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Gorakhpur News: गोरखपुर के सामूहिक सुसाइड केस में बड़ा खुलासा, आर्थिक तंगी बनी मौत का कारण

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Gorakhpur News: गोरखपुर में आर्थिक तंगी से परेशान होकर दो बेटियों संग पिता ने खुदकुशी कर ली थी. आर्थिक तंगी से यह परिवार काफी दिनों से जूझ रहा था. 2 वर्ष पहले मृतक जितेंद्र श्रीवास्तव की पत्नी की मौत हो गई थी जिसके बाद से परिवार परेशानी मे चल रहा था.

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Gorakhpur News: गोरखपुर में आर्थिक तंगी से परेशान होकर दो बेटियों संग पिता ने खुदकुशी कर ली थी. घर में अकेले बचे दादा ने ही तीनों को मुखाग्नि दी थी.आर्थिक तंगी से यह परिवार काफी दिनों से जूझ रहा था. 2 वर्ष पहले मृतक जितेंद्र श्रीवास्तव की पत्नी की मौत हो गई थी जिसके बाद से परिवार परेशानी मे चल रहा था.

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बताया जा रहा है कि जितेंद्र की पत्नी की मौत कैंसर से हुई थी. लेकिन गोरखपुर में यह दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है. जहां एक तरफ मॉडर्न सिटी की तरफ गोरखपुर बढ़ रहा है वहीं इस तरीके की घटना होना एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करता है. बताया जा रहा है कि इस परिवार के पास ना तो राशन कार्ड था और ना ही कोई सरकारी सुविधा.

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अंतिम संस्कार के बाद दादा ओमप्रकाश के जेब में मात्र 130 रुपए ही थे. ओमप्रकाश ने बताया कि इस घटना के बाद भी कोई रिश्तेदार और परिचित काम नहीं आया. सारे इंतजाम शाहपुर थाने के इंस्पेक्टर रणधीर मिश्रा ने कराया. उन्होंने बताया कि इस घटना के बाद से पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार पर पुलिस ने साथ दिया .लाशों को कंधा देने के लिए भी कोई आगे नहीं आया. पोस्टमार्टम हाउस से शमशान तक शव को ले जाने के लिए पुलिस ने गाड़ी की व्यवस्था की थी.

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अंत्येष्टि के समय परिवार के 5 सदस्य भी मौजूद नहीं थे जिसके बाद पुलिस वालों ने ही यह प्रक्रिया पूरी कराई. इतना ही नहीं अंत्येष्टि के बाद पुलिस हवन पूजन और शांति पाठ के लिए भी मदद कर रही है. इसमें कुछ अन्य लोग भी सामने आकर मदद के लिए आगे हाथ बढ़ा रहे हैं. इस घटना के बाद गोरखपुर के मेयर सीताराम जायसवाल और सदर सांसद रवि किशन शुक्ला घर पहुंच कर परिवार में अकेले बचे ओम प्रकाश श्रीवास्तव से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दिए और उन्हें सरकारी मदद के लिए आश्वासन भी दिया है.

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बताते चलें गोरखपुर के शाहपुर थाना क्षेत्र के गीता वाटिका स्थित घोसीपुरवा में बीते मंगलवार को एक सामूहिक सुसाइड हुआ. जिसमें परिवार के पिता और उनकी दो बेटियों ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली थी. आत्महत्या करने वाले पिता जितेंद्र श्रीवास्तव 45 वर्ष उनकी दो बेटियां मान्या श्रीवास्तव उर्फ रिया 16 वर्ष और मानवी श्रीवास्तव उर्फ जिया 14 वर्ष थे.

इस घटना की जानकारी तब हुई जब इनके दादा ओमप्रकाश (60 वर्षीय) गार्ड की नाइट ड्यूटी कर सुबह घर पहुंचे .ओम प्रकाश श्रीवास्तव जब सुबह घर लौटे तो गेट पहले से खुला था. वह अंदर पहुंचे तो चीख पड़े एक कमरे में उनकी दोनों पोतियां दुपट्टे से पंखे पर लटकी थी और दूसरे कमरे में उनका बेटा जितेंद्र का शव पंखे से लटका हुआ था. सूचना पर पहुंची पुलिस को मानवी का एक डायरी मिला है. जिसमें कई राज खुले हैं. डायरी में मान्या और मानवी की अंतिम इच्छा थी कि उनके पाले हुए तोते पाब्लो और लिली को उड़ा दिया जाए. जिसके बाद दोनों तोते को बुधवार को उड़ा दिया गया.

मान्या ने डायरी में क्या लिखा जो पुलिस के हाथ लगी है

मान्या ने लिखा है कि “ए जिंदगी मेरे साथ इतना निर्दयी मत बनो. मैं इतनी मजबूत नहीं हूं, प्लीज मुझे बख्श दो, मैंने तुम्हारा सबसे सख्त रूप देखा है लेकिन तुम मुझे कभी संघर्ष कराने में हिचकिचाई नहीं. यहां तक कि तुमने मेरी मां बाप को भी टॉर्चर किया ,तुमने उनको चैन से जीने नहीं दिया. उन्होंने सबसे कठिन परिस्थिति का सामना किया है ,उनके चेहरे पर थकी मुस्कान के साथ और जब मेरी मां ने दम तोड़ दिया उसके बाद भी तुमने किसी को दूसरा मौका नहीं दिया, तुमने मेरी सारी खुशियां छीन ली”

चार पन्नों में लिखी अपनी दास्तान में मान्या ने लिखा है कि” वह मेरी मां थी जिसे तुम ने छीन लिया मुझसे, अब मेरे पापा हम सबके लिए जूझ रहे हैं, तुम बहुत निर्दयी हो. मुझे लगता है मैं एक अभिशाप हूं. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता यह दर्द और यह दुख भरी जिंदगी. यह जिंदगी बहुत कठिन है मुझे थोड़ी सी खुशियां दे. जिन लोगों की लाइफ में प्रॉब्लम होती है मुझे नहीं पता वह कैसे जीते हैं, मैं तुम से लड़ना चाहती हूं पर प्रॉब्लम की एक लंबी कतार है. ए जिंदगी मेरे साथ इतनी निर्दयी मत बनो. मैं इतनी मजबूत नहीं हूं प्लीज मुझे बख्श दो”

“मुझे विश्वास नहीं हो रहा कि मैं जिसे अपना दोस्त मानती थी वह मेरे और मेरी फैमिली के बारे में ऐसा सोचती थी. मुझे लगता था कि वह किसी टेंशन में है इसलिए मुझसे बात नहीं कर रही है पर नहीं सभी के जैसे उसकी भी मानसिकता के हम बिना मां के बच्चे हैं और गंदा काम करेंगे वह ऐसा कैसे सोच सकती हैं. एक बार फिर जिंदगी का पहिया एक मोड़ पर आया जहां मुझे लगा कि मैं अपनी जिंदगी खत्म कर लूं.

कौन है वह लोग जो मेरी फैमिली को बर्बाद करना चाहते हैं. हां मुझे पता है कौन है वह लोग, लेकिन वह क्यों हमें खुश नहीं देखना चाहते हैं हे भगवान अब मैं और नहीं लिख सकती हूं. मैं अपने आप को यही रोक रही हूं. मेरा दम घुट रहा है. डायरी प्लीज यह बातें कभी किसी को मत बताना मैं खुद से इस पन्ने को फाड़ दूंगी जब खुशियां मिलेगी”

रिपोर्ट–कुमार प्रदीप ,गोरखपुर

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