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Bareilly News: भगवत शरण या स्वामी प्रसाद कौन होगा रामपुर लोकसभा से सपा प्रत्याशी? आजमगढ़ से ये नाम लगभग तय

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Bareilly News: रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर होने वाले उप चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी ने तैयारी तेज कर दी है. सपा दोनों ही सीट को जीतने की कोशिश में है, जिसके चलते प्रत्याशियों के नाम पर मंथन शुरू हो गया है.

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Bareilly News: रामपुर और आजमगढ़ लोकसभा सीट पर निर्वाचन आयोग ने उप चुनाव का कार्यक्रम घोषित कर दिया है. आजमगढ़ लोकसभा सीट से सपा प्रमुख अखिलेश यादव और रामपुर से मुहम्मद आजम खां ने दो महीने पहले विधायक बनने के बाद इस्तीफा दिया था. सपा दोनों ही सीट को जीतने की कोशिश में है, जिसके चलते प्रत्याशियों के नाम पर मंथन शुरू हो गया है.

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रामपुर लोकसभा सीट से कौन लड़ेगा चुनाव

रामपुर लोकसभा सीट से बरेली की 121 नवाबगंज विधानसभा से पांच बार विधायक रह चुके पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार और पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को चुनाव लड़ाया जा सकता है, जबकि आजमगढ़ लोकसभा से सपा प्रमुख की पत्नी पूर्व सांसद डिम्पल यादव का नाम लगभग तय हो गया है. उनको तीन दिन पहले राज्यसभा भेजने की तैयारी थी. मगर, अंतिम समय में गुरुवार को आरएलडी के जयंत चौधरी का नाम फाइनल कर दिया गया है.

चर्चा में पूर्व मंत्री भगवत शरण गंगवार का नाम

रामपुर लोकसभा सीट से पूर्व मंत्री भगत शरण गंगवार के करीबियों ने मुहम्मद आजम खां तक उनका नाम भेजा है. इसके साथ ही कुछ लोग सपा प्रमुख अखिलेश यादव से भी उनकी पैरवी कर रहे हैं. सपा में उनको आजम खां का करीबी माना जाता है, जिसके चलते उनको 2019 में बरेली लोकसभा से टिकट मिला था. हालांकि, वह भाजपा के पूर्व मंत्री संतोष गंगवार से चुनाव हार गए थे. भगवत शरण गंगवार नवाबगंज से पांच बार चुनाव जीते हैं. वह दो बार मंत्री भी रहे हैं.

क्या आजम खान के करीबी के नाम पर लगेगी मुहर

उन्होंने 2002, 2007 और 2012 का चुनाव जीतकर हैट्रिक लगाई थी. मगर, 2017 और 2022 में भाजपा के प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे. रामपुर में आजम खां की पसंद का प्रत्याशी ही होगा, कयोंकि, वहां सपा नहीं, आजम खां के बलबूते ही सपा की जीत होना तय है. हालांकि, सपा हाईकमान स्वामी प्रसाद मौर्य को भी एडजेस्ट करना चाहता है. वह फाजिलनगर विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी से चुनाव हार गए थे.

सपा को मौर्य वोट से मिलेगा फायदा

स्वामी प्रसाद मौर्य को लोकसभा भेजने से पार्टी को मौर्य वोट में फायदा होना तय है, क्योंकि, मौर्य मतदाता हर विधानसभा में 10 से 70 हजार तक हैं, लेकिन रामपुर में आजम खां की पसंद का प्रत्याशी होगा. हालांकि, आजम खां के प्रत्याशी कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के बाद सपा और अखिलेश यादव से उनकी नाराजगी काफी कम हुई है.

आजम की पत्नी को रास नहीं आई सियासत

पूर्व मंत्री मुहम्मद आजम खां की पत्नी तंजीम फातिमा को भी लोकसभा चुनाव लड़ाने की रामपुर में चर्चा है. उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दिया था. मगर, वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती हैं. वह बदायूं के कॉलेज में प्रोफेसर थीं. उनको सियासत पसंद भी नहीं आई है. आजम खां के छोटे पुत्र अब्दुल्ला आजम स्वार विधानसभा से दूसरी बार विधायक बने हैं.

23 को होंगे मतदात, 26 को मतगणना

रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा उपचुनाव के लिए 30 मई को गेजेट नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा. यहां नामांकन की आखिरी तारीख 06 जून रखी गई है. 07 जून को नामांकनों की स्कूटनी की जाएगी. 09 जून तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे, जबकि 23 जून को वोटिंग और 26 जून को मतगणना होगी.

रामपुर में मुस्लिम मतदाता निर्णायक

रामपुर लोक सभा सीट पर करीब 16:50 लाख मतदाता है. यहां मुस्लिम मतदाता करीब 54 फीसद हैं. 20 फीसद मतदाता कुर्मी भी हैं, जिसके चलते भगवत शरण गंगवार मुस्लिम और कुर्मी मतदाताओं के सहारे चुनाव जीत सकते हैं. हालांकि, बिना आजम खां के जीत नामुमकिन है. 2019 में आजम खां ने भाजपा प्रत्याशी और अभिनेत्री जयाप्रदा को करीब 1.10 लाख वोट से हराया था. आजम को 559177 और जया प्रदा को 449180 वोट मिले थे. इस लोकसभा में रामपुर शहर, स्वार, बिलासपुर, चमरौआ और मिलक विधानसभा है. इसमें से शहर, चमरौआ और स्वार सीट पर सपा का कब्जा है, जबकि बाकी दो सीट सपा के पास हैं.

अबुल कलाम आजाद पहले सांसद

रामपुर लोकसभा सीट से सबसे पहली बार 1952 में हुए पहले संसदीय चुनाव में कांग्रेस की ओर से डॉ. अबुल कलाम आजाद ने जीत दर्ज की थी. 1952 से लेकर 1971 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन 1977 में एक बार भारतीय लोकदल के प्रत्याशी यहां से जीते, लेकिन कांग्रेस का फिर से यहां पर दबदबा कायम हो गया.1999 में पहली बार भाजपा के मुख्तयार अब्बास नकवी, फिर 2004 और 2009 में सपा की जया प्रदा ने जीत दर्ज की.2014 में भाजपा के नेपाल सिंह जीते.मगर, 1999 के चुनाव में मुहम्मद आजम खां ने जीत दर्ज की थी.

रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद

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