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राजस्थान लौटे सचिन पायलट का जोरदार स्वागत, मुख्यमंत्री बनाने की उठी मांग

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नयी दिल्ली : सचिन पायलट की नाराजगी खत्म होते ही राजस्थान में सियासी संकट भी समाप्त हो चुका है. दिल्ली में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से मिलने के बाद पायलट राजस्थान लौट चुके हैं.

जयपुर लौटने के साथ ही उनका जोरदार स्वाागत किया गया. इस बीच उनके समर्थकों ने एक बार फिर से उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग की. सचिन पायलट के समर्थकों ने नारे लगाए और उनका राजस्थान लौटने पर स्वागत किया.

राजस्थान लौटने के बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बताया कि दिल्ली में राहुल-प्रियंका के साथ मुलाकात में क्या हुआ. उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेतृत्व ने उनके एवं समर्थक विधायकों द्वारा उठाए गए मुद्दों का समयबद्ध तरीके से निराकरण का आश्वासन दिया है. उन्होंने कहा, वो किसी पद की या कोई दूसरी मांग नहीं रखी है. मैं एक कार्यकर्ता, एक MLA बनकर काम करता रहूंगा. मैं इस मिट्टी के लिए समर्पित हूं. राजस्थान के लोगों का मुझपर एहसान है, मैं काम करता रहूंगा.

गहलोत के खिलाफ व्यक्तिगत द्वेष नहीं

सचिन पायलट ने कहा, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ उनका व्यक्तिगत द्वेष नहीं है, बल्कि उन्होंने और एवं उनके साथी विधायकों ने उन कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान की खातिर सरकार के कामकाज के मुद्दे उठाए जिन्होंने सरकार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

राजनीति में व्यक्तिगत द्वेष और ग्लानि का कोई स्थान नहीं

पायलट ने कहा, हमने जो मुद्दे उठाए थे वे बहुत जरूरी थे. हम लोगों ने कार्यकर्ताओं के मान-सम्मान के मुद्दे उठाए थे. राजनीति में व्यक्तिगत द्वेष और ग्लानि का कोई स्थान नहीं है. मैंने हमेशा से प्रयास किया है कि राजनीतिक संवाद और शब्दों का चयन बहुत सोच समझकर हो. उन्होंने कहा, मैंने साढ़े छह साल प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर काम किया. हम पांच साल विपक्ष में रहे.

राजस्थान में पार्टी को टॉप पर पहुंचाया

सचिव पायलट ने कहा, 2013 में कांग्रेस का संख्या बल 21 रह गया था तब उस समय राहुल गांधी ने मुझे पार्टी को पुनर्जीवित करने का लक्ष्य दिया था. तबसे लेकर आज तक हमने मिलकर धरना प्रदर्शन किए और जनता के मुद्दे उठाए. यही कारण था कि 2018 में हम बहुमत मिला. पायलट के मुताबिक, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर मेरी जिम्मेदारी थी कि मेहनत करने वाले कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी, मौके और मान-सम्मान दिया जाए. हम जनता की उम्मीदों पर खरा उतरें. उन्होंने कहा, डेढ़ साल में यह लगा कि हम जनता की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में हमने सरकार के कामकाज, शासन से जुड़े मुद्दे उठाए.

गहलोत की टिप्पणी पर क्या बोले सचिन

गहलोत द्वारा किए गए हमले के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैंने अपने परिवार से संस्कार हासिल किए हैं कि किसी का भी विरोध करूं तो इस तरह का भाषा का इस्तेमाल नहीं करूंगा. गहलोत जी बड़े हैं, उनसे कोई द्वेष नहीं है. कामकाज के तरीके को लेकर मेरा मुद्दा था. जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया उस पर टिप्पणी नहीं करूंगा.

सार्वजनिक जीवन में एक लक्ष्मण रेखा होती है और मैंने कभी यह लक्ष्मण रेखा नहीं लांघी. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उन्होंने किसी पद की मांग नहीं की है और पार्टी जो जिम्मेदारी देगी, उसे वह निभाएंगे. पायलट ने कहा, देशद्रोह का एक नोटिस भेजा गया और 25 दिन बाद उसे वापस लिया गया. हमारे साथियों पर प्राथमिकी दर्ज की गई. इस तरह की कार्रवाई से बचा जा सकता था. वो स्थिति बर्दाश्त करने वाली स्थिति नहीं थी, इसलिए आवाज उठाई थी.

Posted By – Arbind Kumar Mishra

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