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ये चुनावी नतीजे तय करेंगे 3 मुख्य चेहरों का भविष्य, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के रिजल्ट का इंतजार

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छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आने लगे हैं. तेलंगाना को छोड़ बाकी तीन राज्यों में भाजपा बहुमत की ओर बढ़ रही है.

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चार राज्यों छत्तीसगढ़, राजस्थान, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव की मतगणना जारी है. रुझानों में छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी स्पष्ट बहुमत लाती दिख रही है. भाजपा ने जहां मध्य प्रदेश के अपनी सत्ता वापस पा ली है, वहीं राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को सत्ता से बेदखल करने वाली है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की किस्मत दांव पर है. वहीं, भाजपा की जीत के बाद यह कम ही उम्मीद की जा रही है शिवराज सिंह चौहान एक बार मुख्यमंत्री बनेंगे. तीनों राज्यों के मुख्यमंत्री रुझानों में आगे चल रहे हैं, लेकिन उनकी कुर्सी जाती दिख रही है.

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भाजपा का शिवराज से मन भरा

भाजपा ने मध्य प्रदेश में चुनाव से पहले ही घोषणा कर दी थी कि मुख्यमंत्री पर फैसला चुनाव नतीजों के बाद होगा. शिवराज सिंह चौहान ने हालांकि काम काफी अच्छा किया है और उनके कामों को जनता का समर्थन वोट के रूप में भी मिला है, लेकिन भाजपा आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है. मुख्यमंत्री की दौड़ में दो केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल और नरेंद्र सिंह तोमर भी चुनावी मैदान में हैं और अपनी-अपनी सीटें जीत रहे हैं. आदिवासी चेहरे के रूप में फग्गन सिंह कुलस्ते पार्टी की पहली पसंद हो सकते हैं.

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कैसा रहा है शिवराज का राजनीतिक सफर

भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान नवंबर 2005 से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं. शिवराज का जन्म 5 मार्च, 1959 को सीहोर के जैत गांव में हुआ था. चौहान प्रेम सिंह चौहान और सुंदर बाई चौहान के पुत्र हैं. चौहान का आरएसएस और भाजपा की छात्र शाखाओं से पुराना जुड़ाव रहा है. वह 1972 में 13 साल की उम्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में शामिल हो गए और अभी भी इसके शीर्ष नेताओं के साथ अपनी निकटता के लिए जाने जाते हैं. वह 2006 से राज्य में कन्या भ्रूण हत्या के उन्मूलन के लिए अपनी योजनाओं और उपायों के लिए जाने जाते हैं. वह 2000 से 2004 तक संचार मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य भी थे.

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अशोक गहलोत का खत्म हो सकता है राजनीतिक करियर

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बात करें तो वह खुद का चुनाव जरूर जीत रहे हैं, लेकिन उनकी पार्टी राज्य में सत्ता से बेदखल हो रही है. इस हार का ठीकरा निश्चित रूप में गहलोत पर ही फोड़ा जाएगा. हो सकता है कि इस हार के बाद गहलोत का राजनीतिक करियर समाप्त हो जाए. क्योंकि कांग्रेस ने यहा विधानसभा चुनाव भी गहलोत के चेहरे पर ही लड़ा था. वैसे भी सीएम गहलोग उम्र के उस पड़ाव पर है, जहां से वह राजनीति से संन्यास भी ले सकते हैं.

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अशोक गहलोत का बारे में जानें

अशोक गहलोत एक अनुभवी राजनीतिज्ञ और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. अशोक गहलोत वर्तमान में राजस्थान के मुख्यमंत्री हैं. 3 मई 1951 को जन्मे अशोक गहलोत ने 1970 के दशक में राजस्थान में एक छात्र नेता के रूप में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की. वह जल्द ही कांग्रेस पार्टी में उभरे और राज्य की राजनीति में एक प्रमुख व्यक्ति बन गए. गहलोत के समर्पण और चतुर राजनीतिक कौशल के कारण उन्हें 1998 में पहली बार राजस्थान के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया. मुख्यमंत्री के रूप में गहलोत का दूसरा कार्यकाल 2008 में शुरू हुआ और 2013 तक चला.

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भूपेश बघेल नहीं भुना पाएं अपनी उपलब्धियां

कांग्रेस को छत्तीसगढ़ में भी करारी हार का सामना करना पड़ सकता है. रुझानों की मानें तो भाजपा एक बार फिर सत्ता में लौट रही है. ऐसा माना जा रहा था कि कांग्रेस इस राज्य में अपनी सरकार बचा लेगी, क्योंकि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के कामों से जनता खुश थी. इसके बावजूद राज्य के वोटरों ने कांग्रेस को नकार दिया है. जानकारों की मानें तो बघेल अपनी उपलब्धियों को चुनाव में भुना नहीं पाए हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कांग्रेस आगामी चुनावों के लिए किसी और को पार्टी का मुख्य चेहरा बना सकती है.

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