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पटनाः इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जायेगा पीएमसीएच का महिला वार्ड, जानें क्यों?

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पटना में प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज’ के नाम पर बने पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है. यह वर्ष 1925 में बना था. लगभग साढ़े 10 एकड़ में फैले और अंग्रेजों के समय में बने इस अस्पताल की इमारतें किसी धरोहर से कम नहीं है. पर आने वाले दिनों में इसकी इमारतें इतिहास बनकर रह जायेंगी

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पटना के पीएमसीएच का महिला वार्ड तोड़ने का काम शुरू कर दिया गया है. बीते 12 मार्च से यहां जेसीबी मशीनों से पुराने भवन को तोड़ा जा रहा है. अब तक एक हिस्सा पूरी तरह से जोड़ दिया गया है. बताया जा रहा है कि 25 अप्रैल तक वार्ड का पूरा हिस्सा तोड़ दिया जायेगा. जानकारों की मानें तो, पीएमसीएच की स्थापना 1925 में तत्कालीन बिहार और उड़ीसा प्रांत के पहले मेडिकल कॉलेज के रूप में हुई थी. आज 99 साल का पीएमसीएच हो गया है, जबकि 2025 में 100 वर्ष पूरा हो जायेगा. पीएमसीएच के हथुआ, गुजरी, प्रिंसिपल चेंबर, अधीक्षक आवास बनने के पांच साल बाद यानी लगभग 1930 में महिला वार्ड पूरी तरह से मरीजों के लिए शुरू कर दिया गया था.

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पीएमसीएच का सबसे ऊंचा भवन बनाने का प्रस्ताव है
बता दें कि अस्पताल के हथुआ वार्ड व राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक आने वाले दिनों में कुछ अलग तरह का दिखेगा. हथुआ वार्ड को तोड़कर वहां सात मंजिला भवन बनाने का प्रस्ताव है. जबकि, राजेंद्र सर्जिकल ब्लॉक को तोड़कर पीएमसीएच का सबसे ऊंचा भवन बनाने का प्रस्ताव है. यह भवन दस मंजिला होगा. पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (पीएमसीएच) का निर्माण अब नये सिरे से किया जा रहा है. अस्पताल के सभी पुराने भवनों को तोड़कर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनायी जा रही हैं. सभी भवनों का निर्माण बिहार स्वास्थ्य विभाग एवं बीएमआइसीएल की देखरेख में एक निजी कंपनी द्वारा किया जा रहा है.

विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल होगा पीएमसीएच
पीएमसीएच आने वाले दिनों में विश्व का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल बना जायेगा. जिसका निर्माण कार्य तेजी से जारी है. विश्वस्तरीय अस्पताल में 5462 बेड होंगे. इसके लिए 5540 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं. कुल तीन फेजों में इसका निर्माण किया जाना है. इसमें पहले फेज में ओपीडी भवन का उद्घाटन हाल ही में किया गया.

पहले फेज में ही 2073 बेड का निर्माण होगा
जहां शिशु रोग, मेडिसिन, इएनटी, जेरियाट्रिक समेत 20 विभाग का ओपीडी शिफ्ट किया जा रहा है. नये ओपीडी भवन में इलाज शुरू कर दिया गया है. पहले फेज में ही 2073 बेड का निर्माण कार्य जल्द ही पूरा हो जायेगा. जिसमें गंभीर मरीजों को भर्ती किया जायेगा. एक छत के नीचे मेडिकल कॉलेज, पैथोलॉजी, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड से लेकर एमआरआइ, ब्लड बैंक आदि सभी सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी. इसके साथ ही पीएमसीएच में किडनी प्रत्यारोपण भी शुरू हो जायेगा. दूसरे चरण में गायनी व बच्चा वार्ड, तीसरे चरण में टाटा, हथुआ व गुजरी वार्ड तोड़ का निर्माण कार्य किया जायेगा. वर्तमान में पीएमसीएच में अभी 1850 बेड है.

क्या कहते हैं छात्र संघ और एल्युमिनाई एसोसिएशन
1. प्रिंसिपल ऑफिस व हथुआ वार्ड को बचाने के लिए मैंने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे को पत्र भेजा था. शुरुआती समय में हथुआ वार्ड में सिर्फ अंग्रेज व वहां के कर्मियों का इलाज किया जाता था. कभी यहां महात्मा गांधीजी की भतीजी का भी इलाज किया गया था. पहले इसे बांकीपुर जनरल हॉस्पिटल भवन के तौर पर जाना जाता था. इन दोनों बिल्डिंग के रहने से आगे की पीढ़ियां इस संस्थान की विरासत को मूर्त रूप में देख सकती. – डॉ सत्यजीत कुमार सिंह, पीएमसीएच पूर्व छात्र संघ के अध्यक्ष.

2. पीएमसीएच का इतिहास काफी पुराना है. अस्पताल का आधुनिकीकरण स्वागत योग्य है. लेकिन, अंग्रेजों के जमाने का जो भवन बनाया गया है, उसमें प्रमुख भवनों को छोड़ देना चाहिए था. ताकि आने वाली पीढ़ी इसके इतिहास से रूबरू हो सकें. हालांकि, प्रशासन पीएमसीएच प्रिंसिपल ऑफिस बिल्डिंग को तोड़ने से मना कर दिया है. लेकिन सबसे पुराने भवन, गुजरी वार्ड, अधीक्षक आवास, हथुआ वार्ड को भी धरोहर के तौर पर छोड़ना चाहिए था. – डॉ सच्चिदानंद कुमार, पीएमसीएच एल्युमिनाई एसोसिएशन के कन्वेनर.

3. प्रशासन धीरे-धीरे धरोहरों को नष्ट कर रही है, जिन्होंने हमारे राज्य व पटना को पहचान दी. बिहार दिवस पर मैं अशोक राजपथ की ओर से गुजर रहा था, तो देखा कि मजदूर पीएमसीएच के महिला वार्ड के भवन के सामने के हिस्से के अवशेषों को तोड़कर नीचे गिरा रहे हैं, जिससे मुझे काफी दु:ख हुआ. नया अस्पताल बन रहा है यह अच्छी बात है, लेकिन धरोहर के तौर पर कुछ हिस्से को छोड़ देना चाहिए था. – डॉ विनय कुमार, पीएमसीएच जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष.

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