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Rourkela News: अपनी बदहाली पर बेबसी के आंसू बहा रहा बंडामुंडा का सेरसा रेलवे स्टेडियम

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Rourkela News: रेलवे ने बंडामुंडा में लाखों रुपये खर्च कर स्टेडियम का निर्माण कराया था. लेकिन देखरेख के अभाव में यह जर्जर हो गया है.

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Rourkela News: रेलवे इंस्टीट्यूट बंडामुंडा की ओर से स्थानीय सेरसा स्टेडियम में वर्ष 1998-99 में अखिल भारतीय फुटबॉल टूर्नामेंट का आयोजन शुरू किया गया था. इस टूर्नामेंट में आर्मी समेत दानापुर, गोवा, कोलकाता, टाटानगर, नागपुर, केरल, झारखंड आदि स्थानों से बेहतरीन टीमें खेलने आती थीं. इसका आनंद लेने के लिए जिले के अलग-अलग स्थानों समेत पड़ोसी झारखंड से भी खेल प्रेमी जुटते थे. इस टूर्नामेंट को लेकर लोगों में इतना उत्साह रहता था कि वे टिकट खरीदकर मैच देखते थे. लेकिन वर्तमान यह स्टेडियम अपनी बदहाली पर बेबसी के आंसू बहाने को मजबूर है, लेकिन रेलवे प्रबंधन अभी भी मूकदर्शक बना हुआ है.

गैलरी के आगे और पीछे जगह-जगह उग आयी जंगली झाड़

खेल प्रेमियों का कहना है कि रेलवे अगर स्टेडियम की उचित देखरेख करती, तो अब तक कितने अच्छे फुटबॉल खिलाड़ी उभर कर बंडामुंडा का नाम रोशन करते. एक समय था जब सेरसा स्टेडियम में कई फुटबॉल खिलाड़ी सुबह शाम अभ्यास करते थे और सेरसा की फुटबॉल टीम जिला स्तर पर खेलने जाती थी. बंडामुंडा सेरसा से नौ फुटबॉल खिलाड़ी संतोष ट्रॉफी में प्लेइंग-11 में खेलते थे. यह एक बड़ी उपलब्धि थी. वैसी सुविधाएं अब नहीं है. यदि स्टेडियम को विकसित कर फुटबॉल कोच की नियुक्ति की जाये, तो यहां से फुटबॉल के और भी सितारे निकल सकते हैं. लेकिन फिलहाल इस खेल मैदान के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है. वर्षों पहले स्टेडियम में बनायी गयी गैलरी के आगे और पीछे जगह-जगह उग आयी जंगली झाड़ के कारण सुबह में मॉर्निंग वॉक करने वालों की संख्या भी दिनों दिन घटती जा रही है. अगर मैदान की देखरेख नहीं की गयी, तो यह शराबियों, जुआरियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बन सकता है.

2017 से बंद हो गया फुटबॉल टूर्नामेंट

सेरसा स्टेडियम में 1998-99 से अखिल भारतीय स्तर का फुटबाल टूर्नामेंट शुरू हुआ था. वर्ष 2000 के बाद दो-तीन साल यह बंद रहा. 2014 में यह टूर्नामेंट पुनः शुरू हुआ, लेकिन 2017 से टूर्नामेंट बंद होने के बाद अब तक शुरू नहीं हो पाया है. जिससे रेलनगरी बंडामुंडा के बी सेक्टर स्थित सेरसा फुटबॉल खेल मैदान, जहां कभी खिलाड़ियों का जमावड़ा लगा रहता था, आज अनदेखी का शिकार है. अनदेखी ऐसी कि यहां मातमी सन्नाटा पसरा रहता है. अब सिर्फ इंटर डिपार्टमेंट क्रिकेट का आयोजन किया जाता है. वैसे रेलवे ने लाखों रुपये की लागत से इस स्टेडियम का निर्माण तो कराया, लेकिन देखरेख के अभाव में आज यह बदहाल है.

सेरसा कमेटी को बदलना जरूरी

सेरसा के पूर्व सचिव दिलीप कुमार प्रधान ने कहा कि रेलवे सेरसा मैदान में ऑल इंडिया फुटबॉल टूर्नामेंट का होना बंडामुंडा के लोगों और खेल प्रेमियों के लिए एक त्योहार की तरह था. फिलहाल सेरसा कमेटी को चेंज करना चाहिए, क्योंकि इसके सदस्य खेल भावना को समझ नहीं पाते हैं. रेल के स्पोर्ट्स कोटा से नौकरी पानेवाले फुटबॉल खिलाड़ियों को सेरसा कमेटी में दायित्व दिया जाये. वे फुटबॉल को और आगे लेकर जायेंगे. चक्रधरपुर मंडल के मेंस यूनियन, मंडल सचिव (रनिंग शाखा) एआर राय ने कहा कि सेरसा स्टेडियम में ऑल इंडिया फुटबॉल टूर्नामेंट फिर से चालू करने के लिए दक्षिण पूर्व रेलवे मेंस यूनियन की ओर से पिछले कई साल से रेल प्रशासन के सामने मांग रखी जा रही है. इस टूर्नामेंट के होने से रेलकर्मियों के बच्चों में खेल भावना उत्पन्न होगी.खेलकूद के साधन नहीं होने के कारण बच्चों के अंदर उत्साह कम हो गया है. वहीं, मेंस कांग्रेस के सदस्य धर्मेंद्र प्रसाद ने कहा कि रेल नगरी बंडामुंडा के एकमात्र खेल मैदान को बचाने के लिए खेल प्रेमियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों को आवाज उठानी पड़ेगी. वरना यह मैदान अपना अस्तित्व ही खो बैठेगा. बंडामुंडा में प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की कमी नहीं है. अगर कमी है, तो सिर्फ खेल मैदान के देखरेख की. मेंस कांग्रेस संगठन की ओर से जल्द ही रेलवे के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में इस मुद्दे को लाया जायेगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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