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पुरी : भगवान जगन्नाथ, बलभद्र व देवी सुभद्रा के रथ श्रीगुंडिचा मंदिर पहुंचे

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महाप्रभु श्रीजगन्नाथ की रथयात्रा रविवार शाम रोक दी गयी थी. सोमवार सुबह पुन: रथों को खींच कर श्रीगुंडिचा मंदिर पहुंचाया गया. यहां देवताओं की पूजा-अर्चना की गयी.

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पुरी. सोमवार को लाखों भक्तों द्वारा ‘जय जगन्नाथ’, ‘हरि बोलो’ के जयघोष और शंख-झांझ की ध्वनि के बीच भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथ को श्री गुंडिचा मंदिर पहुंचाया. रथों को मंदिर के सामने सारदा बाली में खड़ा किया गया है. इसके बाद रथ पर होने वाले अनुष्ठान शुरू हुए. इसके बाद उन्हें मौसी मां मंदिर के आडप मंडप ले जाया जायेगा. उल्लेखनीय है कि रविवार शाम 5:20 बजे रथयात्रा शुरू हुई थी. लेकिन परंपरा के अनुसार सूर्यास्त के बाद रोक दिया गया था. शाम को भगवान बलभद्र का रथ तालध्वज मरीचिकोट चौक, देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन श्रीकृष्ण सिनेमा हॉल के पास रुका था. इसी तरह भगवान जगन्नाथ का रथ नंदीघोष सिंहद्वार से कुछ दूरी पर रुका था. सोमवार सुबह रथों को खींचने का काम फिर से शुरू हुआ. आज सुबह से ही भक्तगण अपने-अपने भव्य रथों पर सवार भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के दर्शन करते देखे गये. सबसे पहले भगवान बलभद्र का तालध्वज रथ गुंडिचा मंदिर पहुंचा. उसके बाद देवी सुभद्रा का दर्पदलन रथ पहुंचा. अंत में भगवान जगन्नाथ का नंदीघोष रथ मौसी मां मंदिर पहुंचा. तीनों रथ गुंडिचा मंदिर के सामने सारधा बाली में खड़े हैं. आमतौर पर भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा एक दिवसीय होती है, लेकिन इस वर्ष रथ यात्रा दो दिवसीय थी. इस बार की तिथि के अनुसार एक ही दिन में तीन अनुष्ठान नेत्र उत्सव, नवयौवन दर्शन और रथ यात्रा थी. इस तरह की स्थिति 53 साल पहले 1971 में हुई थी.

रविवार को राष्ट्रपति ने की थी रथयात्रा की शुरुआत

रविवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास, मुख्यमंत्री मोहन माझी, उपमुख्यमंत्री कनक वर्धन सिंह देव और प्रभाती परिडा, केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता नवीन पटनायक सहित कई गणमान्य लोगों ने भगवान जगन्नाथ के भव्य आयोजन में हिस्सा लिया.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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