Rourkela News: आदिवासी बहुल सुंदरगढ़ में स्वास्थ्य देखभाल के नाम पर जिला खनिज निधि संस्थान (डीएमएफ) की करोड़ों रुपयों की राशि पानी की तरह बहायी जा रही है. लेकिन प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों से लेकर जिला मुख्य अस्पताल तक स्वास्थ्य सेवा का हाल बेहाल है. राउरकेला सरकारी अस्पताल भी इससे अछूता नहीं है. राउरकेला सरकारी अस्पताल में डीएमएफ से करोडों रुपयों की लागत से सेंट्रल लैब बनायी गयी. लेकिन बनने के बाद से ही तकनीशियन की कमी के कारण यह लैब दो साल से बंद पड़ी है. आलम यह है कि यहां पर लगे करोड़ों रुपयों के उपकरणों की वारंटी भी खत्म होती जा रही है.
2022 में हुआ उद्घाटन, तकनीशियन व कर्मचारियों की नहीं हुई नियुक्ति
सेंट्रल लैब के लिए कराेड़ो रुपये की मशीनें वर्ष 2021 में खरीदी गयी थीं. 2022 में सेंट्रल लैब खुलने के बाद यह उपकरण लैब में आ गये. 2022 में अपने उद्घाटन के बाद से लैब एक बार भी नहीं खुली है. 10 प्रयोगशाला तकनीशियनों और अन्य कर्मचारियों को काम पर रखने के बाद लैब चलाने की बात कही गयी थी. लेकिन दो साल बीतने के बाद भी किसी की नियुक्ति नहीं हुई है. जिससे 2021 में खरीदे गये इन उपकरणों की वारंटी भी खत्म हो चुकी है.
बायोकेमिस्ट्री ऑटो एनालाइजर समेत अन्य उपकरण की हुई थी खरीदारी
आरजीएच से प्राप्त जानकारी के अनुसार, सेंट्रल लैब में 8 लाख 10 हजार रुपये की लागत से बायोकेमिस्ट्री ऑटो एनालाइजर, ऑटो आंसरर, 12 लाख की लागत से ऑटो इम्यूनिटी एनालाइजर-2000 तथा 7 लाख 2 हजार रुपये की लागत से ऑटो एनालाइजर-1000 समेत 1 लाख 50 हजार रुपये के 3 माइक्रोस्कोप दूरबीन, 74 हजार रुपये के 4 मेंडिफ्यूज मशीनें, 45 हजार रुपये के 2 इनक्यूबेटर, 50 हजार रुपये के सॉयर ऑरेंज, 19 हजार रुपये के 2 प्लेब्रिटोमी कुर्सियां, 8 हजार रुपये की लागत से वॉटर बाथ समेत अन्य सामान की खरीदारी की गयी है. लेकिन उपकरणों का उपयोग करने के लिए कोई भी तकनीशियन नहीं होने से इसका लाभ मरीजों को नहीं मिल पा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है