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राज्यपाल के एक फैसले से गिर जायेगी उद्धव ठाकरे की सरकार, जानिए क्यों

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महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नीत महाविकास आघाड़ी की सरकार पर संकट का बादल मंडरा रहा है, जिसके बाद तीनों दलों ने मिलकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस बार सरकार के लिए संविधानिक नियम संकट का कारण बन सकता है.

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मुंबई : महाराष्ट्र में शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी नीत महाविकास आघाड़ी की सरकार पर संकट का बादल मंडरा रहा है, जिसके बाद तीनों दलों ने मिलकर रणनीति बनानी शुरू कर दी है. बताया जा रहा है कि इस बार सरकार के लिए संविधानिक नियम संकट का कारण बन सकता है.

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दरअसल, किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री को किसी भी सदन के सदस्य रहना जरूरी है. या नहीं तो सीएम पद की शपथ के बाद छह महीने तक उसे किसी भी सदन का सदस्य निर्वाचित होना ही पड़ेगा नहीं तो उन्हें पद से हटना पड़ता है.

महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे जब मुख्यमंत्री बनें तो किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे, जिसके कारण राज्यपाल ने उन्हें सदन के सदस्य बनने के लिए छह महीने की मोहलत दी थी और ये मोहलत 29 मई को खत्म हो जायेगी. ऐसे में माना जा रहा है कि सरकार पर संकट बढ़ गया है.

गेंद राज्यपाल के पाले में– तीनों पार्टी ने इसका निदान निकालते हुए कल कैबिनेट की बैठक बुलाई, जिसके बाद उद्धव ठाकरे को राज्यपाल कोटे से खाली विधानपरिषद के सीटों के लिए नाम भेजा गया. बताया जा रहा है कि अब सरकार का पूरा दारोमदार राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के ऊपर टिका है.

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नियम और कानून का पेंच– संवैधानिक विशेषज्ञों की मानें तो राज्यपाल कोटे से किसी राजनीतिक नेता को विधानपरिषद नहीं भेजा जा सकता है. इसलिए माना जा रहा है कि राज्य में राजनीतिक उलटफेर हो सकता है. हालांकि शिवसेना के नेताओं का मानना है कि उद्धव ठाकरे फोटोग्राफर और लेखक रहे हैं. ऐसे में उन्हें राज्यपाल मनोनीत कर सकते हैं.

कोरोना ने बढ़ाया संकट– उद्धव सरकार को कोरोनावायरस ने संकट बढ़ा दिया है. कोरोनावायरस के कारण ही राज्य में चुनाव टल गया है, जिसके कारण सरकार पर संकट का बादल मंडराने लगा है.

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