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Khagaria News : स्कूल परिसर में ग्रामीण सुखाते हैं मक्का, चराते हैं मवेशी

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खगड़िया का सीएस हाई स्कूल माड़र कई असुवाधाओं से ग्रस्त है. पांच बीघे जमीन वाले स्कूल में शौचालय व चापाकल की व्यवस्था नहीं है. यहां 1350 बच्चे पढ़ रहे हैं. दो मंजिला स्कूल भवन में दस कमरे हैं. पढ़ाई के लिए मात्र तीन कमरे का उपयोग किया जाता है.

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Khagaria News : अमित कुमार/खगड़िया. जिले में एस ऐसा भी हाई स्कूल है जिसमें ना शौचालय है, ना पेयजल. और ना ही बैठने की व्यवस्था. शिक्षक से लेकर छात्र तक मूलभूत सुविधा से वंचित हैं. विद्यालय की चहारदीवारी भी नहीं है. स्कूल परिसर मवेशियों का चरागाह बना है. जर्जर भवन अतिक्रमित है. ग्रामीण यहां मक्का सुखाते हैं. थ्रेसिंग करते हैं. यह बदहाल व्यवस्था जिला मुख्यालय से पांच किलोमीटर दूर माड़र उत्तरी पंचायत के प्लस टू हाई स्कूल की है. यह हाई स्कूल वर्ष 1959 ई से संचालित हो रहा है. लेकिन यहां बच्चों के लिए सुविधा नहीं है. बच्चे शौच के लिए खेतों में जाते हैं. छात्राओं को खासी परेशानी होती है. शिक्षिकाएं शर्मिंदगी झेलती हैं. गांववालों से मदद लेनी पड़ती है. पानी पीने के लिए भी भटकना पड़ता है. अमृत महोत्सव मना रहा देश शिक्षकों व बच्चों को असुविधा के घूंट पिला रहा है.

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नवम से इंटर तक होती है पढ़ाई, शिक्षकों की है कमी

सीएस हाई स्कूल माड़र में कक्षा नवमीं से लेकर बारहवीं तक की पढ़ाई होती है. इस स्कूल में नामांकित छात्र-छात्राओं की संख्या 1350 है. बताया जाता है कि स्कूल में नवमीं कक्षा में 300 छात्र-छात्राएं हैं. 190 छात्राएं हैं, तो 110 छात्र हैं. दसवीं कक्षा में 621 नामांकित बच्चे हैं. छात्र 280 एवं छात्रा 341 हैं. जबकि इंटर के कला व विज्ञान संकाय में 490 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. कला संकाय में 216, जबकि विज्ञान संकाय में 274 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं. बताया जाता है कि हाल के महीनों में शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति हुई है. लेकिन अब भी संस्कृत व साइंस संकाय के शिक्षकों की कमी है. प्रत्येक वर्ष सैकड़ों बच्चे मैट्रिक व इंटर पास करते हैं.

स्कूल में नहीं है चहारदीवारी, परिसर में घूमते हैं मवेशी

प्लस टू हाई स्कूल माड़र में सुविधाएं की घोर कमी है. विद्यालय में चहारदीवारी नहीं रहने के कारण मवेशियों की आवाजाही लगी रहती है. पढ़ाने के समय बकरी, गाय, कुत्ते आदि जानवर प्रवेश कर जाते हैं. स्कूल परिसर में स्थानीय लोगों का कब्जा है. स्कूल परिसर में मवेशी बांधे जाते हैं. मक्का थ्रेसिंग की जाती है. पूरे दिन उचक्कों की आवाजाही रहती है. इससे पढ़ने में बच्चों को काफी परेशानी होती है. स्कूल परिसर का दो मंजिला भवन जर्जर हो गया है. तीन माह पूर्व भवन निर्माण विभाग के जेई जांच करने पहुंचे थे. मौखिक आदेश दे दिया. लेकिन लिखित एनओसी नहीं दिया गया. भवन जर्जर अवस्था में पड़ाहै. मालूम हो कि वर्ष 2002 की प्रलयकारी बाढ़ में स्कूल का भवन जर्जर हो गया है. इसमें पढ़ाई नहीं होती है. लेकिन इसे लोगों द्वारा अतिक्रमित कर लिया गया है.

आज सेक्शन ए, तो कल बी के बच्चे करेंगे पढ़ाई

खगड़िया के सीएस हाई स्कूल माड़र की दो मंजिला इमारत है. इसमें दस कमरे हैं. शिक्षकों द्वारा मात्र तीन कक्षाओं में पठन-पाठन किया जाता है. बाकी सात कमरे में अन्य कार्य के लिए रखे गये हैं. इनमें ऑफिस,आईसीटीसी लैब, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी, जिम, स्मार्ट क्लास, शिक्षक कक्ष हैं. मात्र तीन कक्षा में पढ़ाई होने से बच्चों व शिक्षकों को भी परेशानी होती है. प्रतिदिन 65 प्रतिशत से अधिक बच्चे पढ़ने आते हैं. बैठने की जगह नहीं रहने के कारण प्रत्येक कक्षा को सेक्शन वाइज बांट दिया गया. आज ए सेक्शन की पढ़ाई होगी, तो कल बी सेक्शन की पढ़ाई होती है. माना जाये तो सप्ताह में एक दिन ही छात्र-छात्राएं पढ़ पाते हैं. इसके बावजूद स्कूली बच्चे जिले में बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं.

27 कमरे का बनना था तीन मंजिला भवन, ग्रामीणों ने रोका काम

बताया जाता है कि प्लस टू हाई स्कूल माड़र को एक करोड़ 87 लाख रुपये की लागत से बनाया जाना था. तीन मंजिला इमारत बनना था. 27 कमरे होता. स्कूल को अपना शौचालय, पेयजल, छात्र-छात्रा को बैठने की व्यवस्था व अन्य सुविधा मिलती. भवन बनने के लिए भूमि पूजन भी किया गया. अगले दिन स्कूल निर्माण का कार्य शुरू होना था. लेकिन कुछ ग्रामीणों ने निर्माण कार्य को रोक दिया. ग्रामीणों का कहना था स्कूल परिसर छोड़ भवन निर्माण किया जाये. स्कूल के पास पर्याप्त जगह है. लेकिन गढ्ढा होने की वजह से संवेदक ने भवन निर्माण करना नहीं चाहा. इस वजह से भवन निर्माण कार्य रुक गया. मालूम हो कि 15 सितंबर 2023 को बहुमंजिला भवन बनने के लिए एक करोड़ 87 लाख रुपये स्कूल को आवंटित किये गये थे.

पांच बीघा जमीन से होती है कमाई, सुविधाएं सिफर

बताया जाता है कि प्लस टू सीएस हाई स्कूल को अलग-अलग जगहों पर लगभग पांच बीघा जमीन है. लेकिन स्कूल 16 कट्ठे में ही है. स्कूल की जमीन ढ़ाई बीघा खेती के लिए किसान को दी गयी है. जो अलौली प्रखंड में है. प्रतिवर्ष किसान प्रति एकड़ पांच हजार रुपये देते हैं. अन्य जमीन गढ्ढे में है.माड़र की कुछ जमीन में मछुआरे मछली पालन करते हैं. प्रतिवर्ष विद्यालय के कोष में हजारों की आमदनी आती है. लेकिन सुविधाएं सिफर हैं.

कहते हैं प्रभारी प्रधानाध्यापक

इस मामले में प्रभारी प्रधानाध्यापक अमर ज्योति ने बताया कि हाल के दिनों में प्रभार मिला है. सिर्फ शैक्षणिक प्रभार दिया गया है. इस संबंध में ज्यादा कुछ नहीं बता सकते. विद्यालय के छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षक-शिक्षिका को काफी परेशानी होती है.

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