22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

West Singhbhum : गुदड़ी प्रखंड में बालू के अवैध धंधा में हुईं हत्याओं के बाद शुरू हुआ सेंदरा अभियान

Advertisement

बालू के धंधे में पीएलएफआइ का सीधा दखल से बढ़ा खूनी संघर्ष, पुलिस और खनन विभाग बालू के अवैध धंधा पर नकेल कसने में विफल

Audio Book

ऑडियो सुनें

चाईबासा/चक्रधरपुर. चक्रधरपुर (पोड़ाहाट) अनुमंडल में बालू का अवैध धंधा सालों से चल रहा है. हालांकि, इस धंधा में पहले नक्सलियों (माओवादी या पीएलएफआइ) का सीधा दखल नहीं था. इस कारण यह अवैध धंधा तेजी से फूलता-फलता गया. बीते कुछ समय पहले इस धंधे में नक्सलियों का प्रवेश हुआ है. बालू के अवैध धंधा में वर्चस्व को लेकर पीएलएफआइ के सदस्यों ने अबतक दो लोगों की हत्या की है. इस हत्या के बाद ग्रामीण एक हो गये हैं. नक्सलियों के सेंदरा का आह्वान कर दिया है. बालू के अवैध धंधा में गुदड़ी की धरती रक्त रंजित हो रही है.

ज्ञात हो कि बालू का अवैध धंधा जिले के मनोहरपुर, गोइलकेरा, गुदड़ी आदि क्षेत्रों में धड़ल्ले से हो रहा है. रोजाना सैकड़ों भारी वाहन बालू की अवैध ढुलाई होती है. पुलिस और खनन विभाग बालू के अवैध धंधा पर नकेल कसने में विफल है.

समानांतर राज चला रहा था पीएलएफआइ संगठन

क्षेत्र में पीएलएफआइ का काफी दबदबा रहा है. घोर बीहड़ क्षेत्र होने के कारण संगठन अपना समानांतर राज चला रहा था. यहां लोगों से बालू लेने, कोई भी निर्माण कार्य व व्यापारियों से लेवी लेना नक्सलियों की आय का मुख्य स्रोत था. चूंकि, ग्रामीण नक्सलियों से लड़ाई मोल लेना नहीं चाहते थे, जिससे नक्सलियों का मनोबल काफी बढ़ गया था.

सेंरेगदा में कैंप कर रही तीन थाना की पुलिस

पश्चिमी सिंहभूम जिला के अति नक्सल क्षेत्र गुदड़ी-गोइलकेरा इलाके में ग्रामीणों ने पीएलएफआइ नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन छेड़ दिया है. इसमें दर्जनों गांव के हजारों ग्रामीण तीर-धनुष, तलवार और पारंपरिक हथियार के साथ शामिल हो रहे हैं. ये ग्रामीण सप्ताह भर से गुदड़ी-गोइलकेरा के पहाड़ी क्षेत्र में पीएलएफआई के खिलाफ सेंदरा अभियान चला रहे हैं. इस बृहद जनआंदोलन को देखते हुए तीन थाना गुदड़ी, सोनुवा व गोइलकेरा की पुलिस सेंरेगदा में कैंप कर रही है.

गुदड़ी, सेंरेगदा व लोढाई बाजार रहे बंद

पीएलएफआइ नक्सलियों के खिलाफ चले आंदोलन में ग्रामीण शामिल हो रहे हैं, लेकिन सेंदरा या अन्य कार्रवाई की खबरें बाहर नहीं आ रही हैं. घटना की जानकारी बाहर न जाये, इसलिए साप्ताहिक हाट-बाजार बंद कर दिये गये हैं. गुदड़ी, सेंरेगदा व लोढ़ाई साप्ताहिक बाजार बंद रहा. हाट के बंद होने का एक कारण सेंदरा अभियान का दहशत भी माना जा रहा है.

वाहनों का परिचालन नहीं हुआ

सोनुवा से गुदड़ी जाने वाली बसें व छोटी गाड़ियों को पूर्णता बंद कर दिया गया है. एक भी वाहन घटना स्थल क्षेत्र से न तो आ रही है, और न जा रही है. ग्रामीणों के मुताबिक क्षेत्र में हुई घटना की जानकारी किसी को न मिले, इसे लेकर सतर्कता बरती जा रही है.

24 नवंबर, 2024 को हुई थी दो लोगों की हत्या

वर्तमान परिस्थिति बालू के अवैध धंधे से शुरू हुआ है. बालू उठाव को लेकर पीएलएफआइ संगठन ने 24 नवंबर को गिरु गांव के बिनोद तांती व घनसा टोपनो की हत्या कर दी थी. दो दिन बाद 26 नवंबर को भरडीहा बाजार में सेंरेगदा के नमन लोमगा को मार डाला था. तीन युवकों की हत्या के बाद भी उग्रवादियों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई. पुलिस भी मौन थी. इससे नाराज ग्रामीणों ने खुद ही हथियार उठा लिया. उग्रवादियों का सेंदरा शुरू कर दिया है. मालूम रहे कि पूर्व में भी अपराधियों के खिलाफ ग्रामीण सेंदरा अभियान चला चुके हैं.

अभियान में शामिल नहीं होने पर लगाते हैं जुर्माना

ग्रामीणों की बैठक में सेंदरा का निर्णय लिया गया. पूर्व की भांति इस बार भी प्रत्येक घर से एक-एक व्यक्ति को पीएलएफआइ नक्सली के खिलाफ सेंदरा अभियान में शामिल होना अनिवार्य किया गया है. जिस घर से अभियान में कोई शामिल नहीं होगा, उससे जुर्माना लिया जा रहा है. इस कारण लोग जुर्माना न देकर अपने-अपने हथियार के साथ सेंदरा में शामिल हो रहे हैं. इस कारण ग्रामीणों की संख्या हजारों में पहुंच गयी है.

मोबाइल पर रोक, शिक्षकों को स्कूल जाने की है छूट

जनआंदोलन चला रहे गांवों में अघोषित कर्फ्यू जैसा माहौल है. गुदड़ी के 40 किमी दायरे के पहाड़ी गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक है. मोबाइल लेकर आना-जाना वर्जित है. सेंदरा अभियान में शामिल लोग भी अपने पास मोबाइल फोन नहीं रख सकते हैं. केवल शिक्षकों को गांवों में आने-जाने की छूट दी गयी है. हालांकि वे भी मोबाइल का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. सिर्फ स्कूल आ जा सकते हैं.

शनिचर सुरीन का भतीजा था मोटा टाइगर, ग्रामीणों को डराकर रखता था

बताया जाता है कि मृतक मोटा टाइगर पीएलएफआइ संगठन के जोनल कमांडर शनिचर सुरीन का भतीजा था. शनिचर सुरीन भी पुलिस की गोली से मारा गया था. उसकी मौत के बाद मोटा टाइगर को पीएलएफआइ का एरिया कमांडर बनाया गया था. उसका कार्यक्षेत्र गुदड़ी, सोनुवा, गोइलकेरा था. वह ग्रामीणों के साथ मारपीट करता था. हत्या व लेवी वसूलता था. इससे ग्रामीणों में मोटा टाइगर के प्रति गहरा आक्रोश था. गुदड़ी थाना में पीएलएफआई उग्रवादी संगठन के कमांडर मोटा टाइगर, गोमिया के अलावा चार-पांच अज्ञात उग्रवादियों पर उग्रवादी हिंसा व हत्या का मामला दर्ज किया गया था.

पीएलएफआइ के सफाये के बाद ही रुकेगा सेंदरा अभियान

जानकारों की माने, तो यह सेंदरा अभियान तबतक चलेगा, जबतक पूरी तरह क्षेत्र से पीएलएफआइ का खात्मा न हो जाये. जानकारी के मुताबिक, ग्रामीण अब तक कई लोगों की हत्या कर चुके हैं. पुलिस अब तक एक भी शव बरामद नहीं कर पाई है. बताया जाता है कि सेंदरा अभियान खत्म होने के बाद भी पुलिस शव को बरामद कर पाने में नाकाम साबित होगी. हत्या किस व्यक्ति की और किसने किया, यह काफी गुप्त रखा जा रहा है. शव को किस ठिकाने पर अंतिम संस्कार किया जा रहा है, यह भी पूर्णतः गोपनीय है.

पोस्टरबाजी कर बालू लेने से मना किया था उग्रवादियों ने

गुदड़ी से बालू नहीं लेने के लिए नक्सलियों ने पोस्टरबाजी की थी. नक्सलियों का फरमान था, यहां से कोई बालू लेकर नहीं जाएगा. बालू लेने के पूर्व उसे संगठन से अनुमति लेनी होगी. कुछ स्थानीय लोगों ने बालू लाने का प्रयास किये, जिसका परिणाम हुआ कि तीन ग्रामीणों की हत्या कर दी गयी. घटना के बाद पीएलएफआइ उग्रवादियों ने धमकी दी कि उनकी इजाजत के बिना बालू घाट में बालू का कारोबार करने वालों का यही अंजाम होगा.

गुदड़ी में पहले मजबूत थे माओवादी, 2014 से बढ़ा पीएलएफआइ का वर्चस्व

पश्चिमी सिंहभूम जिले के पोड़ाहाट (चक्रधरपुर) अनुमंडल स्थित गुदड़ी प्रखंड सुदूरवर्ती व दुर्गम क्षेत्र है. इसके कारण वर्ष 2000 से 2014 तक प्रतिबंधित संगठन भाकपा माओवादी की क्षेत्र में मजबूत पकड़ थी. वर्ष 2014 में कमांडर प्रसाद जी उर्फ कृष्णा अहीर की गिरफ्तारी के बाद संगठन की पकड़ ढीली पड़ गयी. इसके बाद प्रतिबंधित संगठन पीएलएफआइ ने अपना वर्चस्व बढ़ाया. शनिचर सुरीन सरीखे नेता तक पीएलएफआइ अपने उद्देश्य के साथ ठीक आगे बढ़ा. उसके बाद पीएलएफआइ पोड़ाहाट क्षेत्र में कई गैंग में बंट गया. गैंग ने क्षेत्रवार अपना वर्चस्व बढ़ाना शुरू किया. ऐसे में लेवी, वसूली के लिए हत्या जैसी घटनाएं बढ़ती गयीं. क्षेत्र में कोई भी विकास कार्य हो, या अन्य काम पीएलएफआइ अपना हिस्सा की मांग करने लगे. इसे लेकर अक्सर तनाव बढ़ता गया. इसी का नतीजा है कि लगातार हत्या हो रही है.

माओवादी व पीएलएफआइ की लड़ाई में सात निर्दोष की जा चुकी है जान

जनवरी, 2020 में गुदड़ी प्रखंड के दुर्गम बुरुगुलीकेरा गांव में सात लोगों की गला काटकर हत्या कर दी गयी थी. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था. घटना के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से लेकर तत्कालीन राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने गुदड़ी का दौरा कर यहां की हालत पर चिंता व्यक्त करते हुए दुःख प्रकट किया था. उस समय हेमंत सोरेन की नयी सरकार बनी थी. इस घटना ने सरकार को चुनौती दे डाली थी. पश्चिमी सिंहभूम जिले के दुर्गम प्रखंड गुदड़ी में इस घटना ने फिर से ग्रामीणों की सुरक्षा को लेकर नयी सरकार पर दबाव बना दिया है. राज्य सरकार भी गुदड़ी में विकास को लेकर काफी गंभीर है. गुदड़ी प्रखंड में बहुत सारे कार्य किये जा रहे हैं. हाल की घटनाओं ने एक बार फिर गुदड़ी की अमन-चैन को बाधित करने का प्रयास किया है.

हाल के तीन माह की घटनाओं से उग्र हुए ग्रामीण

सूत्रों के अनुसार, हाल के तीन माह (सितंबर, अक्तूबर व नवंबर) में पीएलएफआइ के सदस्यों ने करीब 16 निर्दोष ग्रामीणों की हत्या कर दी. हालांकि, सभी घटना की जानकारी पुलिस तक नहीं पहुंच सकी. मुख्य रूप से गुदड़ी के जतरमा में तीन फेरी वालों की हत्या, गिरु गांव के दो लोगों की हत्या व भरडीह में सेरेंगदा के युवक की हत्या के बाद ग्रामीणों ने अपनी सुरक्षा करने का निर्णय लिया. वे गोलबंद होने लगे. अबतक उग्रवादियों से डरे-सहमे रहने वाले ग्रामीणों ने कड़ा निर्णय ले लिया.

पुलिस-प्रशासन की कार्रवाई से नाखुश हैं ग्रामीण

ज्ञात हो कि ग्रामीणों के उग्र होने के लिए शायद पुलिस-प्रशासन भी जिम्मेवार है. ग्रामीणों के अनुसार, उग्रवादी लगातार निर्दोष लोगों के घर में घुसकर हत्या कर रहे थे. वहीं, पुलिस-प्रशासन मात्र कुछ मामलों में केस दर्ज कर चुप बैठ जा रहा था. ऐसे में ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता गया और ज्वालामुखी बन गया.

गुदड़ी क्षेत्र में हाल में हुईं हत्याएं

8 अक्तूबर, 2024 :

जतरमा में तीन फेरीवालों राकेश, रमेश (दोनों शिवहर, बिहार) के तथा मोतिहारी जिले के तुलसी शाह की हत्या कर दी गयी थी.

24 नवंबर, 2024 :

गिरू गांव के रवि तांती व घनसा टोपनो की हत्या कर दी गई थी.

27 नवंबर 2024 :

भरडीहा बाज़ार में सेरेंगदा के नमन लोमगा की हत्या हुई थी.

——————

जंगल आंदोलन से शुरू खूनी संघर्ष झारखंड बनने के बाद भी जारी

करीब 15 साल पहले सोनुवा से अलग होकर गुदड़ी प्रखंड बना. हालांकि, गुदड़ी क्षेत्र में जंगल आंदोलन के समय से खूनी संघर्ष होता रहा है. गुदड़ी में खूनी खेल का इतिहास लंबा रहा है. झारखंड निर्माण के साथ-साथ वर्ष 2000 में नक्सलियों का प्रवेश गुदड़ी प्रखंड के सेरेंगदा से हुआ था. उसके बाद से पुलिस मुखबिरी के आरोप में टोमडेल के मुखिया, चौकीदार, मुखिया पति समेत दर्जनों लोगों की हत्या हो चुकी है.

नक्सली धमक व पिछड़ा क्षेत्र के दंश के बीच पिस रहे लोग

नक्सली धमक व पिछड़ा क्षेत्र के दंश के बीच आम लोग पिसते रहे हैं. प्रखंड के लोग वर्तमान में भी यातायात, दूरसंचार, बैंक, सुव्यवस्थित चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं. गुदड़ी अलग प्रखंड वर्ष 2009 में बना. इसमें सात पंचायत बांदु, बिरकेल, गुलीकेरा, सारुगाड़ा, डाड़ियो कमरोड़ा, टोमडेल, गुदड़ी शामिल हैं. गुदड़ी पांच प्रखंडों के बीच में पड़ता है. गुदड़ी के पूर्वी भाग में सोनुवा, पश्चिम में रनिया, उत्तर में बंदगांव, दक्षिण में गोइलकेरा व आनंदपुर प्रखंड पड़ता है. 2011 की जनगणना के मुताबिक, प्रखंड में 38,282 लोग बसते हैं. प्रखंड में कुल 88 गांव आते हैं, जिसमें कुल 7245 परिवार रहते हैं. प्रखंड में पुरुषों की संख्या 19,445 तथा महिलाओं की संख्या 18,837 है.

प्रखंड का भवन बना, लेकिन सोनुवा से हो रहा संचालन

2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने गुदड़ी प्रखंड मुख्यालय भवन के निर्माण की आधारशिला रखी थी. महज 525 दिनों में प्रखंड कार्यालय भवन तैयार कर लिया गया, लेकिन प्रखंड का अब तक पूर्ण रूप से संचालन शुरू नहीं हो सका है. अब भी गुदड़ी प्रखंड का संचालन सोनुवा से किया जा रहा है.

प्रखंड के 100 परिवार पड़ोसी प्रखंड में रहने लगे हैं

इस प्रखंड के ग्रामीणों को बुनियादी सुविधा अबतक मयस्सर नहीं है. प्रखंड मुख्यालय तक जाने वाली सड़कें दुरुस्त हुईं, लेकिन कामकाज दुरुस्त नहीं हो सका. गुदड़ी प्रखंड जाने वाली मुख्य रूप से दो सड़के हैं. एक सोनुवा से लोढाई होकर तथा दूसरा गोइलकेरा, सेरेंगदा होकर जाती है. दूरसंचार की समस्या है. गुदड़ी की एक तिहाई आबादी का पलायन हो चुका है. यह सुनकर आश्चर्य होगा कि गोइलकेरा व सोनुवा में करीब 100 परिवार रहने लगे हैं. इसके अलावे कई लोग दिल्ली व पंजाब तक का रुख कर लिया है.

- Advertisement -

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें