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सारंडा जंगल में दिखने लगे शेर- तेंदुए ! जांच में जुटा वन विभाग

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Jharkhand news, West Singhbhum news : एशिया का सबसे बड़ा साल के पेड़ों का जंगल सारंडा में शेर दिखने का दावा किया जा रहा है. यह हम नहीं, बल्कि मेघाहातुबुरू के 2 छात्रों ने शेर को देखने का दावा किया है. मेघाहातुबुरु शहर तथा वन विभाग कार्यालय से सटी पहाड़ी पर शेर दिखने की बात कही गयी है. दोनों छात्रों ने मेघालया गेस्ट हाउस से सटी पहाड़ी से सामने की पहाड़ी पर शेर को घूमते देख तस्वीर लेने की कोशिश की, लेकिन काफी दूर होने के कारण शेर की तस्वीर साफ नहीं दिख पायी. बता दें कि सारंडा देश का पहला नोटिफाईड एलिफैंट (हाथी) रिजर्व एरिया है.

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Jharkhand news, West Singhbhum news : किरीबुरु (पश्चिमी सिंहभूम) : एशिया का सबसे बड़ा साल के पेड़ों का जंगल सारंडा में शेर दिखने का दावा किया जा रहा है. यह हम नहीं, बल्कि मेघाहातुबुरू के 2 छात्रों ने शेर को देखने का दावा किया है. मेघाहातुबुरु शहर तथा वन विभाग कार्यालय से सटी पहाड़ी पर शेर दिखने की बात कही गयी है. दोनों छात्रों ने मेघालया गेस्ट हाउस से सटी पहाड़ी से सामने की पहाड़ी पर शेर को घूमते देख तस्वीर लेने की कोशिश की, लेकिन काफी दूर होने के कारण शेर की तस्वीर साफ नहीं दिख पायी. बता दें कि सारंडा देश का पहला नोटिफाईड एलिफैंट (हाथी) रिजर्व एरिया है.

मेघाहातुबुरु के इन दोनों छात्रों ने बताया कि 19 अगस्त, 2020 की शाम घूमते हुए मेघालया गेस्ट हाउस के समीप जंगल में थे. पास की पहाड़ी पर एक जानवर की गतिविधियां नजर आयीं. पहले तो लगा कि शायद गाय या कोई अन्य जानवर होगा, लेकिन जब दोनों थोड़ा और नीचे गये, तो शेर जैसा जानवर दिखा. उस जानवर की तस्वीरें मोबाइल से लेने की कोशिश की, दूरी अधिक होने के कारण तस्वीर साफ नहीं आयी.

इसकी जानकारी प्रभात खबर संवाददाता को भी दिया. दोनों छात्रों ने प्रभात खबर संवाददाता को उस स्थान पर ले गये, जहां से उसने सामने पहाड़ी पर शेर देखा था. यहां कुछ दूर पर पहाड़ी दिखी, लेकिन तस्वीर में जिस जानवर को दोनों छात्र शेर बता रहे हैं, तस्वीर साफ नहीं होने के कारण भी प्रभात खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है. लेकिन, जिस उत्साह से दोनों छात्र घटनाक्रम की जानकारी दे रहे हैं, इसको देखते हुए वन विभाग को इसकी जांच जरूर करनी चाहिए.

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मालूम हो कि अनेक निजी खदानों के बंद होने के बाद वन्यप्राणियों की गतिविधियां सारंडा जंगल में अचानक बढ़ते देखा जा रहा है. वन विभाग के लोगों को भी अब भालू आदि जानवर दिखाई देने लगे हैं. उल्लेखनीय है कि उक्त पहाड़ी वन विभाग कार्यालय से करीब 400 मीटर की दूरी पर अवस्थित है.

मेघाहातुबुरु के कुछ लोगों ने बताया कि वर्ष 2000 में उक्त पहाड़ी के दूसरे छोर पर घूमने गये थे, जहां छोटी-बड़ी कई गुफाएं हैं. तब वहां से 3 शेर के छोटे बच्चे को पकड़ कर अपने साथ लाया था, जिसे वन विभाग को सुपुर्द किया था. इसके अलावे ॐ शांति स्थल मंदिर के समीप जिस पहाड़ी को टाइगर पीट कहा जाता है वहां रात में किरीबुरु के तत्कालीन रेंजर एके चौधरी, वन विभाग के वर्तमान चालक सुनील आदि चाईबासा से आने के दौरान 18 नवंबर, 2015 को रात में काफी करीब से बाघ दिखने का दावा किया था.

इसके बाद किरीबुरु, बोलानी आदि क्षेत्रों के अनेक लोग बाघ एवं तेंदुआ देखने का दावा करते रहे हैं, लेकिन वन विभाग अभी तक इनकी खोज या तस्वीरें नहीं ले पायी है. पिछले दिनों एनकेपीके खदान क्षेत्र के टाइगर पीट की पहाड़ी पर वन्यप्राणी के पगमार्क मिलने के बाद वन विभाग उसकी जांच करायी थी, जिसमें तेंदुआ के पैर के निशान होने की बात कही गयी थी. लेकिन, वन विभाग अभी तक बाघ या शेर सारंडा में होने की पुष्टि एवं इनकार दोनों नहीं किया है.

इस संबंध में सारंडा डीएफओ रजनीश कुमार ने कहा कि जिस पहाड़ी पर शेर देखे जाने की बात कही जा रही है उस स्थल पर वनकर्मियों को भेज कर जांच कराया जायेगा. साथ ही उस क्षेत्र में फुटप्रिंट या अन्य प्रमाण तलाशे जायेंगे. प्रमाण मिलने के बाद जांच के लिए भेजा जायेगा. उसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

Posted By : Samir Ranjan.

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