13.6 C
Ranchi
Sunday, February 9, 2025 | 02:58 am
13.6 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण की 25वीं वर्षगांठ : जंगल में बसने वाले जनता की आवाज बना प्रभात खबर : भुवनेश्वर महतो

Advertisement

25th Anniversary of Prabhat Khabar Jamshedpur edition : झारखंड अलग राज्य और जंगल बचाव आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में एक मैं भी हूं. 1978 से 1985 तक ये आंदोलन चरम पर था. उसके बाद आंदोलन की आवाज जंगलों में दब कर रह गयी थी. जंगल में बसने वाले लोग अलग राज्य की चाहत तो रखते थे, लेकिन अपनी आवाज बुलंद कर नहीं पा रहे थे. उन्हें कोई मंच ही नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण 1995 में शुरू हुआ. यह अखबार जंगल में बसने वाले मुखबधिर जनता की आवाज बना. जनता की जुबान में आवाज देने का काम प्रभात खबर ने ही किया. यह कहना है झारखंड आंदोलनकारी भुवनेश्वर महतो का.

Audio Book

ऑडियो सुनें

25th Anniversary of Prabhat Khabar Jamshedpur edition : चक्रधरपुर (शीन अनवर) : झारखंड अलग राज्य और जंगल बचाव आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में एक मैं भी हूं. 1978 से 1985 तक ये आंदोलन चरम पर था. उसके बाद आंदोलन की आवाज जंगलों में दब कर रह गयी थी. जंगल में बसने वाले लोग अलग राज्य की चाहत तो रखते थे, लेकिन अपनी आवाज बुलंद कर नहीं पा रहे थे. उन्हें कोई मंच ही नहीं मिल पा रहा था. ऐसे में प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण 1995 में शुरू हुआ. यह अखबार जंगल में बसने वाले मुखबधिर जनता की आवाज बना. जनता की जुबान में आवाज देने का काम प्रभात खबर ने ही किया. यह कहना है झारखंड आंदोलनकारी
भुवनेश्वर महतो का.

- Advertisement -

उन्होंने कहा कि सलाम इस बात के लिए कि जनता प्रभात खबर के पास नहीं आयी, बल्कि प्रभात खबर जनता के पास गया और दम तोड़ चुके आंदोलन को फिर चिंगारी से शोला बनाया. इसके लिए मैं तत्कालीन स्थानीय संपादक अनुज सिन्हा का तहेदिल से आभार व्यक्त करता हूं. उनके नेतृत्व में पूरी टीम ने झारखंड के हक में बहुत बड़ा काम किया. जब- जब किसी आंदोलनकारी का शहीद दिवस आया, अखबार ने विशेषांक या विशेष लेख लिख कर उसे जीवित करने का काम किया.

Also Read: प्रभात खबर जमशेदपुर संस्करण की 25वीं वर्षगांठ : झारखंड और जंगल आंदोलन को इस अखबार ने दी विशेष पहचान – बहादुर उरांव

दर्जनों आंदोलनकारी गुमनामी की जिंदगी जी रहे थे. शहीदों को कोई पूछने वाला तक नहीं था. ऐसे में प्रभात खबर ने स्वत: संज्ञान लेकर उनके गांव, घर, आंगन तक में कदम रखा और पाताल से खोज कर उन्हें अखबार की सुर्खियों में स्थान दिया. झारखंड आंदोलन का इतिहास रचने का काम प्रभात खबर की टीम ने ही किया है.

झारखंड और झारखंडियों की समस्या, भाषा, संस्कृति और आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने का काम केवल प्रभात खबर ने ही किया है. इस अखबार के माध्यम से ही पूरी दुनिया को झारखंडी सभ्यता की जानकारी मिली. झारखंड अलग राज्य आंदोलन के दौरान कोल्हान की समस्या, संघर्ष, बलिदान और शहादत को प्रभात खबर ने ही आवाज दिया. जिस कारण अलग राज्य की मांग राष्ट्रीय स्तर का मुद्दा बना.

मैं पूरे विश्वास से कह सकता हूं कि प्रभात खबर ने खोजी पत्रकारिता का काम किया और अलग राज्य निर्माण में सबसे अहम भूमिका निभाया. झारखंड अलग राज्य आंदोलन के संघर्ष के दौरान कोल्हान- पोड़ाहाट के जंगलों में उलगुलान की चिंगारी फैल रही थी. उस चिंगारी को दबाने में बिहार की तमाम सरकारें कोई कसर नहीं छोड़ रखी थी. दमनात्मक कार्रवाई हुई. गोलियां चलीं. कईयों की शहादत होती रहीं. इस दौरान झारखंडी जनता का हितैषी बन कर प्रभात खबर ने प्रमुखता से स्थान दिया, जिस कारण सरकारों को भी बैकफुट में आना पड़ा.

Also Read: नक्सल प्रभावित सारंडा के सुदूरवर्ती गांव नुईयागड़ा पहुंचा प्रशासनिक महकमा, ग्रामीणों की सुनी समस्याएं

यह कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि जल, जंगल और जमीन का नेतृत्व करने वालों का विश्वास है प्रभात खबर. अंधकार में जा चुके शहीद परिवारों को आज तक जो भी सम्मान मिला है, उसका श्रेय प्रभात खबर को ही जाता है, क्योंकि उन शहीदों और इसके आश्रितों को खोज-खोज कर प्रभात खबर ने ही निकाला है. झारखंड का शासन, प्रशासन, साहित्य- साहित्यकार, भाषा, संस्कृति और इतिहास को इतिहासकार बन कर प्रभात खबर ने ही सामने लाया है.

यदि प्रभात खबर नहीं रहता, तो झारखंड आंदोलन और आंदोलन का इतिहास जंगल में ही दब कर रह जाता. आज आदिवासियों के अधिकार की जितनी भी बातें की जा रही हैं, उसे प्रभात खबर ने ही पैदा किया है. जंगल या वन भूमि में अधिकार हो या वन भूमि स्वामित्व का अधिनियम हो ये सभी प्रभात खबर की देन है.

Posted By : Samir Ranjan.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें