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सड़क नहीं, तो वोट नहीं

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कोनसोदे पंचायत के ग्रामीण सड़क व पुल नहीं रहने है परेशान

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कोनसोदे पंचायत के ग्रामीण सड़क व पुल नहीं रहने है परेशान बानो. प्रखंड की कोनसोदे पंचायत के ग्रामीण सड़क व पुल नहीं रहने से परेशान हैं. उन्होंने छोटकेतुंगा महादेव टोली से सोय अस्पताल तक लगभग चार किमी पक्की सड़क बनाने की मांग की है. ग्रामीणों ने बैठक कर कहा कि रोड नहीं, तो वोट नहीं का निर्णय लिया है. मालूम हो कि महादेव टोली से सोय हॉस्पिटल तक 1957 में कच्ची सड़क बनायी गयी थी. इसके बाद एक दो बार कच्ची सड़क की मरम्मत की गयी. सड़क मरम्मत किये काफी समय होने के कारण सड़क जर्जर हो गयी है, जिससे लोगों को आने-जाने में असुविधा होती है. वहीं सोय नदी पर पुल नहीं बनने से बरसात में ग्रामीणों के अलावा स्कूली छात्र-छात्राओं को स्कूल आने-जाने में भी परेशानी होती है. ग्रामीणों ने बताया कि विधायक व पंचायत प्रतिनिधि को कई बार आवेदन दिया गया, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं की गयी. उक्त मार्ग से ही बरसलोया, लसिया के लोग व्यापार करने के लिए आना-जाना करते हैं. साथ में ग्रामीणों को भी बानो आना पड़ता है. स्कूली बच्चों को बरसात काफी परेशानी होती है. सोए नदी में पानी भरने से लोगों को 8 से 10 किमी अतिरिक्त दूरी तय कर बानो जाना पड़ता है. सड़क व पुल बनने से टिकुनटोली, ओरियाटोली, छोटकेतुंगा, महादेवटोली के लगभग एक हजार से अधिक लोगों को लाभ मिलेगा. गांव के एग्नेस समद ने बताया कि 1957 में कच्ची सड़क बनायी गयी थी, फिर एक दो बार सड़क की मरम्मत की गयी थी. सड़क मरम्मत किये वर्षों बीत गये, जिससे सड़क जर्जर हो गयी है. ढाई साल पूर्व विधायक गांव पहुंचे थे, तो सड़क निर्माण के लिए आश्वासन दिया था. लेकिन कोई पहल नहीं की गयी. प्रतिमा सुरीन ने कहा कि सोय नदी पर पुल नहीं रहने से बरसात में स्कूल व कॉलेज आने-जाने में परेशानी होती है. नदी पर पुल नहीं होने से पानी भर जाने की स्थिति में 6 से 7 किमी घूम के स्कूल जाना पड़ता है, जिससे पठन-पाठन कार्य प्रभावित हो जाता है. सिसिलिया समद ने कहा कि गांव में कई समस्याएं हैं, लेकिन समाधान करने वाला कोई नहीं. सड़क सबसे जरूरी है, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. अनुरंजन सुरीन ने कहा कि सोय नदी में कुछ वर्ष पूर्व पुल निर्माण की पहल की गयी थी, लेकिन अब तक पुल नहीं बनाया गया है. विनीता सुरीन ने कहा कि खराब सड़क रहने से मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में परेशानी होती है. जर्जर सड़क रहने से फसलों को बाजार तक पहुंचाने में असुविधा होती है. एंथोनी सुरीन ने कहा कि सड़क निर्माण के लिए हमेशा आश्वासन दिया जाता है, लेकिन कोई पहल नहीं की जाती है. सुशीला बागे, मानुएल सुरीन, जोविकिम समद, विद्या सुरीन, आलोमी सुरीन, अल्मा सुरीन, ललिता सुरीन, सुमाता सुरीन आदि ने शीघ्र पक्की सड़क व पुलिया निर्माण कराने की मांग की है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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