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हाथियों के आतंक से सिमडेगा की पांच पंचायतों में पांच साल से नहीं हो रही धान की खेती

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इस मामले में वन क्षेत्र पदाधिकारी शंभु शरण चौधरी कहते हैं : हाथियों के आतंक और प्रखंड के किसानों की समस्या को लेकर विभाग गंभीर है. ‘एलिफैंट कॉरिडोर’ बनाने की बात हो रही है. इसके बनने के बाद संभवत: प्रखंड में हाथियों का प्रवेश रुक जायेगा.

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सिमडेगा जिले के बोलबा प्रखंड की पांच पंचायतों- पीड़ियापोछ, शमशेरा, बेहरीनबासा, कादोपानी और मालसाडा में हाथियों का आतंक है. हाथियों का झुंड खेत में खड़ी फसलों (मुख्य रूप से धान) को रौंदते हैं, खाते हैं और बर्बाद कर देते हैं. हाथियों डर से इन पंचायतों के किसानों ने पिछले पांच साल से धान की फसल उगाना बंद कर दिया है. वहीं, बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती भी नहीं की जा रही है. किसानों की इस समस्या को हल करने के लिए अब तक न तो वन विभाग और न ही जिला प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम उठाया गया है. पांच साल पहले तक उक्त पांचों पंचायतों के किसान कुल मिला कर लगभग 1260 एकड़ में धान की खेती करते थे. पीड़ियापोछ में 300 एकड़, शमशेरा में 260 एकड़, बेहरीनबासा में 250 एकड़, कादोपानी में 235 और मालसाड़ा में 225 एकड़ में धान की खेती होती थी. इधर, जब से हाथियों के आतंक की वजह से किसानों ने धान की खेती छोड़ी है, इनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. मजबूरन ये लोग मजदूरी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं. कुछ किसान स्थानीय स्तर पर मजदूरी करते हैं, जबकि पांचों पंचायतों के 500 से भी अधिक किसान रोजी-रोटी के जुगाड़ में महानगरों की ओर पलायन कर चुके हैं.

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ग्रामीणों को दिया जा रहा हाथियों को भगाने का प्रशिक्षण

इस मामले में वन क्षेत्र पदाधिकारी शंभु शरण चौधरी कहते हैं : हाथियों के आतंक और प्रखंड के किसानों की समस्या को लेकर विभाग गंभीर है. ‘एलिफैंट कॉरिडोर’ बनाने की बात हो रही है. इसके बनने के बाद संभवत: प्रखंड में हाथियों का प्रवेश रुक जायेगा. फिलहाल, ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही हर गांव में ग्रामीणों की टोली बना कर उन्हें हाथियों को भगाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है.

सरकार से मिलनेवाले पांच किलो राशन पर हो रहा गुजारा

हर बार मेहनत से की गयी खेती को हाथी बर्बाद कर देते हैं. इसलिए पिछले पांच साल से हम और हमारे से दूसरे किसानों ने खेती छोड़ दी है. सरकार से मिलनेवाले पांच किलो राशन पर निर्भर हैं.

– विपिन सोरेंग, पीड़ियापोछ पंचायत

आसपास की करीब पांच पंचायतों के लगभग सभी गांवों में हाथी का आंतक है. इसी वजह से हम लोग खेती-बारी नहीं कर पा रहे हैं. अपनी जीविका चलाने के लिए दूसरों के यहां मजदूरी कर रहे हैं.

– जुगल प्रधान, शमशेरा पंचायत

पांच साल में हाथियों का आतंक बहुत ज्यादा हो गया है. हाथी धान की खेती बर्बाद कर रहे हैं. धान का एक दाना भी घर नहीं ला पाते हैं. इससे तंग आकर हमलोगों ने खेती करना छोड़ दिया है.

– अल्फोंस खेस, कादोपानी पंचायत

क्या कहते हैं उपायुक्त

सिमडेगा उपायुक्त अजय कुमार सिंह ने कहा कि बोलबा प्रखंड में किसानों की समस्या की गंभीरता से जांच की जायेगी. सर्वेक्षण करने के बाद किसानों को फसल लगाने के लिए प्रेरित किया जायेगा. किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर भरपूर प्रयास किया जायेगा.

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