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आठ वर्षों से बच्चों के इंतजार में है तीन करोड़ रुपये से बना आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय

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तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने किया था उदघाटन,

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बरहेट. केंद्र और राज्य सरकार दोनों पीवीटीजी (पर्टिक्यूलरली वल्नरेबल ट्राइबल ग्रुप्स) यानि आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय के उत्थान तथा बच्चों की शिक्षा के लिए प्रसायरत है. एक ओर केंद्र एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय के माध्यम से बच्चों का बहुआयामी विकास में जुटा है, तो वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार भी कल्याण विभाग के माध्यम से आवासीय विद्यालयों के जरिये बच्चों को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है. लेकिन राज्य सरकार द्वारा निर्मित एक ऐसा आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय भी है, जो पिछले 8 वर्षों से पढ़ाई शुरू होने की आस में है. यह विडंबना ही है कि करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद आदिम जनजाति बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. मामला साहिबगंज जिले के बरहेट प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत भोगनाडीह पंचायत के किताझोर गांव में बने आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय का है. करीब तीन करोड़ रुपये की लागत से बने इस विद्यालय का शिलान्यास 30 जून 2016 को हूल दिवस पर राज्य के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किया था. कल्याण विभाग अंतर्गत सीसीडी योजना से इसका निर्माण कार्य बहुत ही तेज से शुरू हुआ. करीब एक वर्ष बाद यह भवन बनकर तैयार भी हो गया. लेकिन यह विद्यालय विभागीय अनदेखी का शिकार हो गया. पिछले 8 वर्षों में विभाग में कई अधिकारियों के तबादला-पोस्टिंग हुए और जिन अधिकारियों की इसके संचालन की जिम्मेवारी थी, समय के साथ वे इससे बेखबर हो गये. विद्यालय में पढ़ाई शुरू करने को लेकर जो पत्राचार होना था, वह सही तरीके से हो ही नहीं पाया. इस कारण यह विद्यालय अब भी बंद पड़ा हुआ है. रख-रखाव के अभाव में टूटने लगे खिड़कियां व दरवाजे जिस उद्देश्य के साथ इस विद्यालय का निर्माण कराया गया, वह तो पूरा नहीं हुआ. हालांकि, यह स्थानीय ग्रामीणों के बड़े काम आ रहा है. ग्रामीणों ने विद्यालय परिसर को गौशाला बना रखा है. परिसर के अंदर गोबर के उपले, गाय के चारे आदि रखे हुये हैं. रख-रखाव के अभाव के कारण परिसर में जंगल-झाड़ियां उग आयी है. साथ ही विद्यालय की खिड़कियां व दरवाजे टूटने लगे हैं. वहीं, विद्यालय के पिछले भाग में बने शौचालय भी जर्जर अवस्था में है. पानी उपलब्धता के लिए बनाये गये डीप बोरिंग, चापाकल व पानी टंकी अनुपयोगी होने के कारण खराब होते जा रहे हैं. ‘सरकार आपके द्वार’ के कैंप में तीन बार चालू कराने की लगायी गयी गुहार भोगनाडीह पंचायत में आदिम जनजाति पहाड़िया समुदाय की जनसंख्या अधिक है. यहां आवासीय विद्यालय बनाने का उद्देश्य भोगनाडीह के साथ-साथ तलबड़िया, झबरी, बोड़बांध, बरमसिया, इलाकी, खिजुरखाल आदि क्षेत्रों के बच्चों को भी गुवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना था. लेकिन जब विद्यालय में शुरू नहीं हुआ, तो स्थानीय ग्रामीणों ने भोगनाडीह पंचायत में आयोजित ‘आपकी योजना, आपकी सरकार, आपके द्वार’ शिविर में पहुंचकर शिकायत की. ग्रामीण सामवेल हांसदा, मुनि हेम्ब्रम, टालकू सोरेन, मांझी हेम्ब्रम आदि ने बताया कि अब तक हमलोगों ने तीन बार शिविर में पहुंचकर विद्यालय में पढ़ाई शुरू करने को लेकर आवेदन दिया है, लेकिन एक भी अधिकारी आज तक विद्यालय की सुधि नहीं लेने नहीं पहुंचे हैं. क्षेत्र में पहाड़िया समुदाय में शैक्षिक स्तर बहुत नीचे है. मैट्रिक की पढ़ाई के बाद बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं और जीवनयापन की तलाश में लग जाते हैं. ऐसे में विद्यालय शुरू न होना हमें पीछे धकेलने जैसा है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिये, ताकि यहां भी पहाड़िया समाज आगे बढ़ सके. कहते हैं अधिकारी जिला कल्याण पदाधिकारी प्रमोद आनंद ने कहा कि विद्यालय के संचालन को लेकर वरीय अधिकारियों से पत्राचार किया गया है. अनुमति मिलते ही वहां पढ़ाई शुरू करा दी जायेगी.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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