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प्रशासनिक अनदेखी की वजह से तीन साल से बंद पड़ा है धोबी झरना पार्क

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यह परियोजना नगरवासियों के मनोरंजन और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन देखभाल और प्रशासनिक उदासीनता के अभाव में यह पार्क अब टूट-फूट और अव्यवस्था का शिकार हो गया है.

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साहिबगंज. मनोरंजन और प्राकृतिक सुंदरता के लिए बनाए गए पार्क किसी भी शहर की पहचान और समृद्धि के प्रतीक होते हैं. परंतु, जब ऐसे स्थानों की देखरेख में लापरवाही बरती जाए, तो यह केवल आर्थिक नुकसान नहीं, बल्कि स्थानीय जनता की उम्मीदों पर भी आघात करता है. साहिबगंज में धोबी झरना के निकट नगर परिषद द्वारा लगभग एक करोड़ रुपये की लागत से निर्मित पार्क आज अपने बदहाल स्वरूप के कारण सुर्खियों में है. यह परियोजना नगरवासियों के मनोरंजन और पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू की गई थी, लेकिन देखभाल और प्रशासनिक उदासीनता के अभाव में यह पार्क अब टूट-फूट और अव्यवस्था का शिकार हो गया है. धोबी झरना पार्क को स्थानीय लोगों की मांग पर नगर परिषद ने विकसित किया था. बच्चों के खेलने के लिए विशेष जानवरों की आकृतियां बनाई गईं, बैठने के लिए सीमेंट की पक्की सीटें स्थापित की गईं, और चारों ओर सौंदर्यीकरण किया गया. यहां तक कि मुख्य द्वार पर एक गार्ड रूम भी बनाया गया. लेकिन दुखद यह है कि इस पार्क को आम जनता के लिए कभी सही तरीके से खोला ही नहीं गया. देखरेख के अभाव और रखरखाव में कमी के कारण पार्क में चारों ओर जंगली घास उग आई है. शुरुआत में बरसात के मौसम में झरने में पानी रुकने से बच्चे कुछ समय तक आनंदित हुए, लेकिन जल्द ही झरने में मिट्टी भर गयी. हाइमास्ट लाइटें, जो पार्क को रोशन करने के लिए लगायी गयी थीं, अब अंधेरे में गुम हो चुकी हैं. लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी यह पार्क शहरवासियों के मनोरंजन का उद्देश्य पूरा करने में असफल रहा. शहरवासियों के मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी इस परियोजना की विफलता का जिम्मेदार कौन है? नगर परिषद द्वारा पिछले तीन वर्षों में इस परियोजना पर 90 लाख रुपये खर्च किए गए, लेकिन न तो इसका सही रखरखाव हुआ और न ही इसे आम जनता के लिए उपयोगी बनाया जा सका. वसूले गये शुल्क से करना था मेंटेनेंस इस पार्क को बनाने के पीछे नगर परिषद का उद्देश्य था कि इसे मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित किया जाये और वहां से शुल्क वसूली कर इसका रखरखाव सुनिश्चित किया जाये. लेकिन न तो इस योजना की सही तरीके से शुरुआत हुई और न ही नीलामी प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. लगभग तीन वर्षों से यह पार्क बदहाली का शिकार है और सरकारी धन की बर्बादी का प्रतीक बन चुका है. धोबी झरना पार्क की वर्तमान स्थिति केवल नगर परिषद की लापरवाही को उजागर करती है. यह परियोजना केवल आर्थिक हानि नहीं, बल्कि स्थानीय जनता की भावनाओं के साथ भी खिलवाड़ है. अब समय आ गया है कि नगर प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करे. पार्क की मरम्मत, रखरखाव और सही उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि यह शहरवासियों के मनोरंजन और पर्यटन के उद्देश्य को पूरा कर सके.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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