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कालीतल्ला में 159 वर्षों से हो रही मां काली की पूजा अर्चना

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29 से 1 नवंबर के बीच विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का होगा आयोजन, तैयारी अंतिम चरण में

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बरहरवा. नगर के कालीतल्ला स्थित सार्वजनिक पुरानी बड़ी काली मंदिर में पिछले 159 वर्षों से मां काली की पूजा की जा रही है. इस वर्ष भी भव्य रूप से तैयारी की जा रही है. मां काली के मंदिर से लोगों की काफी आस्था है. लोगों की मनोकामना पूरी होने के बाद यहां शनिवार, मंगलवार एवं अमावस्या में पूजा अर्चना की जाती है. कमेटी अध्यक्ष पांचू सिंह ने बताया वर्ष 2018 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता स्थित मां दक्षिणेश्वर काली मंदिर की तर्ज पर मंदिर का भव्य तरीके से पुननिर्माण करवाया गया है. वर्ष 2019 से बड़ी काली मंदिर में प्रतिवर्ष पांच दिवसीय काली पूजन उत्सव का कार्यक्रम किया जा रहा है. इस वर्ष 29 अक्तूबर से 1 नवंबर के बीच विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन किया जायेगा. 29 को 1001 कन्याओं के द्वारा कलश यात्रा निकाली जायेगी. कलश यात्रा के बाद 11 बजे से मां काली का वर्णित ब्राह्मणों के द्वारा महाभिषेक, पूजा व हवन किया जायेगा. शाम के समय भंडारा व भजन कीर्तन किया जायेगा. अगले दिन 30 अक्तूबर को सुबह चंडी पाठ व रुद्राभिषेक एवं पूजा-अर्चना की जायेगी. 31 की रात्रि नौ बजे से वार्षिक काली पूजनोत्सव व 1 नवंबर को शाम 7 बजे महाआरती एवं महाप्रसाद का वितरण किया जायेगा. पूजा में पश्चिम बंगाल के तारापीठ दक्षिणेश्वर के पुरोहित यहां पहुंचते हैं. महेशपुर स्टेट की रानी हर माह अमास्या को करती थी पूजा वार्डवासी बताते हैं कि कालीतल्ला के सार्वजनिक पुरानी बड़ी काली मंदिर में वर्ष 1865 से पहले से मां की आराधना की जा रही है. पहले यहां घनघोर जंगल था. यहां महेशपुर स्टेट की रानी ज्योतिर्मय दिव्या के द्वारा प्रत्येक माह की अमावस्या में पूजा-अर्चना की जाती थी. इसके अलावा अन्य लोगों के द्वारा भी पूजा की जाती थी. वर्ष 1865 में रानी ज्योतिर्मय दिव्या के द्वारा यहां छोटे से मंदिर का निर्माण करवाया गया. समय-समय पर स्थानीय लोगों की सहायता से मंदिर का जीर्णोद्धार भी करवाया गया. इसे लेकर सार्वजनिक श्री श्री बड़ी काली पुजा प्रबंध समिति के कार्यकारी अध्यक्ष सिंटू साहा, महासचिव अमन राय, कोषाध्यक्ष रॉकी रमानी सचिव अनूप साहा, राजेश भास्कर सहित अन्य तैयारियों में जुटे हुए हैं.

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