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जिले के ऐतिहासिक स्थलों को मिल सकती है वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर के रूप में मान्यता

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- वन विभाग की ओर से शुरू किया गया प्रयास, बारहद्वारी, जामा मस्जिद, सिंघी दालान, मोती झरना, व शिवगादीधाम के बहुरेंगे दिन

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साहिबगंज. जिले के कई ऐतिहासिक स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर की मान्यता मिल सकती है. इसको लेकर वन विभाग ने प्रयास भी शुरू कर दिया है. संभावना है कि जिले के राजमहल प्रखंड अंतर्गत मंगलहाट स्थित ऐतिहासिक स्थल बारहद्वारी, जामा मस्जिद, कटघर के पत्थर का चावल-दाल, राजमहल के गंगा किनारे स्थित सिंघी दालान, प्राकृतिक स्थल महाराजपुर के मोती झरना, बरहेट के शिवगादी धाम, जियोलॉजिकल क्षेत्र राजमहल के वृंदावन और मंडरो के फॉसिल्स पार्क, उधवा के पक्षी अभ्यारण को आने वाले दिनों में वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा प्राप्त हो सकता है. उधवा पक्षी अभ्यारण को रामसर साइट घोषित करने का हो रहा प्रयास हाल के दिनों में वन विभाग ने उधवा के पतौड़ा झील पक्षी अभ्यारण को रामसर साइट घोषित करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया है. संभवतः इसी वर्ष इसे रामसर साइट घोषित कर दिया जाएगा. इसके रामसर साइट घोषित होने पर उधवा के पतौड़ा झील को अंतरराष्ट्रीय पहचान प्राप्त हो जाएगा. इसी क्रम में वन विभाग ने पहले तो जूलॉजिकल क्षेत्र में काम किया, जिसमें मंडरो के फॉसिल पार्क, बरहरवा के वृंदावन आदि शामिल है. अब वन विभाग महाराजपुर के मोती झरना पर विशेष फोकस कर रही है, जिसे बहुत जल्द बेहतर लुक दिया जायेगा. वर्ल्ड हेरिटेज साइट के फायदे यूनेस्को अगर किसी जगह को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित करता है, तो इसका सबसे बड़ा फायदा ये है कि उस स्थल का नाम पूरी दुनिया में चमक जाता है. ऐसी जगह पर्यटन के लिहाज से पूरे विश्व में प्रसिद्ध हो जाती है. किसी स्थान को धरोहर घोषित होने के बाद उसके बचाव और उसकी देखरेख की जिम्मेदारी भी काफी बढ़ जाती है. ऐसे में अगर कोई देश गरीब है और अपने धरोहरों की रक्षा नहीं कर सकते हैं, तो उनके लिए यूनेस्को काम करता है. ऐसी जगहों को अंतरराष्ट्रीय नक्शे में जगह मिल जाती है. पूरे विश्व में उस जगह की चर्चा हो जाती है. ऐसे में दुनियाभर के लोगों के बीच उस जगह को देखने की उत्सुकता बढ़ती है. ऐसे में वहां पर्यटकों की संख्या तेजी से बढ़ती है. पर्यटकों के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को भी फायदा होता है. कोई जगह अगर विश्व धरोहर स्थल घोषित हो जाता है, तो उसका बेहतर तरीके से संरक्षण होता है. ऐसे में वहां रोजगार के नये अवसर पैदा होते हैं. साथ ही, उस जगह से ताल्लुक रखने वाले लोगों के मन में गौरव की भावना पैदा होती है. कैसे चुना जाता है विश्व धरोहर स्थल किसी भी धरोहर को संरक्षित करने के लिए दो संगठनों अंतरराष्ट्रीय स्मारक एवं स्थल परिषद और विश्व संरक्षण संघ द्वारा आकलन किया जाता है. इसके बाद इसकी सिफारिश विश्व धरोहर समिति से की जाती है. ये समिति वर्ष में एक बार बैठती है और इस बारे में निर्णय लेती है कि किसी नामांकित संपदा को विश्व धरोहर सूची में शामिल करना भी है या नहीं. अब तक कितने विश्व धरोहर स्थल अप्रैल 2024 तक 168 देशों में कुल 1,199 विश्व धरोहर स्थल (933 सांस्कृतिक, 227 प्राकृतिक और 39 मिश्रित सांस्कृतिक और प्राकृतिक संपत्तियां) मौजूद हैं. 59 चयनित क्षेत्रों के साथ इटली सबसे अधिक साइटों वाला देश है. इसके बाद चीन के 57, फिर फ्रांस और जर्मनी में प्रत्येक के 52 साइट हैं. भारत में अब तक कुल 42 विश्व धरोहर स्थल घोषित हो चुके है. बीएसआइपी की टीम ने किया दौरा इसके लिए पिछले दिनों ही प्रो रंजीत सिंह के नेतृत्व में बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज लखनऊ के सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ जियोहेरिटेज एंड जियोटूरिज्म की टीम ने मंडरो के बास्को बेड़ो, तारा पहाड़, बांसकोला, गिलामारी, गुर्मी पहाड़ के महत्वपूर्ण जीवाश्म क्षेत्रों का दौरा किया है. स्थानीय ग्रामीणों के साथ बातचीत कर उन्हें अपने आसपास के क्षेत्र में प्रचलित लकड़ी के जीवाश्मों के संरक्षण हेतु लोगों को जागरूक किया. डॉ रणजीत का कहना है कि पिछली एक सदी में भारत के भूविज्ञानी, विशेष रूप से बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पोलियो साइंसेज, लखनऊ और दुनिया भर के गोंडवाना पौधे के जीवाश्म शोधकर्ताओं ने गोंडवाना वनस्पतियों और जीवाश्म लकड़ी को व्यवस्थित रूप से पहचाना और वर्गीकृत किया. भूवैज्ञानिक क्षेत्र में महत्व को समझा. अगली पीढ़ी भूविज्ञानी शोधकर्ताओं और इस क्षेत्र के विज्ञान और वैज्ञानिक समझ में रुचि रखने वाले आम लोगों के लिए झारखंड की इन अद्वितीय जीवाश्म लकड़ी के संरक्षण और संरक्षण की सख्त जरूरत है. क्या कहते है डीएफओ जिला वन प्रमंडल पदाधिकारी मनीष तिवारी ने बताया कि साहिबगंज जिला के ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थलों को वर्ल्ड हेरिटेज को वर्ल्ड हेरिटेज के लिए विभाग प्रयास कर रही है. इसके लिए दिल्ली से कई टीमें भी स्थलों का भौतिक सत्यापन किया है, जिसका रिपोर्ट विभाग ने तैयार कर लिया है. बहुत जल्द रिपोर्ट दिल्ली भेजा जाएगा.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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