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ढाई करोड़ से बने 10 शौचालयों की स्थिति जर्जर

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10 सार्वजनिक स्थानों पर नगर परिषद ने कराया था निर्माण, नहीं हो रहा उपयोग, कई जगह पानी की व्यवस्था नहीं, लटके हैं ताले, खुले में शौच करने को मजबूर हैं शहरवासी. 23 लाख की लागत से प्रति शौचालय का किया गया था निर्माण.

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साहिबगंज. नगर परिषद क्षेत्र में ढाई करोड़ से 10 शौचालयों का निर्माण कराया गया था. शहर के 10 सार्वजनिक स्थानों पर बने इन शौचालयों का उपयोग नहीं हो पा रहा है. नगर परिषद की ओर से बनाये गये इन सार्वजनिक शौचालय की स्थिति काफी जर्जर हो चुकी है. शहर के हटिया परिसर में दो बनपरटोला, शीतला मंदिर, सब्जी मंडी, तालबन्ना, पंचगढ़, घोघी समेत 10 जगह पर सार्वजनिक शौचालय का निर्माण कराया गया था. यह शौचालय लगभग आठ वर्ष पूर्व बनवाया गया, इसमें एक शौचालय की लागत लगभग 23 लाख रुपये थी. इस प्रकार 10 शौचालय के निर्माण में लगभग दो करोड़ 30 लाख रुपये नगर परिषद की ओर से खर्च किये गये. अगर उपयोगिता की बात की जाये तो इनमें से लगभग सभी शौचालय उपयोग विहीन ही पड़े रहे. कई शौचायलयों की स्थिति तो इतनी खराब है कि उधर से गुजरना भी दुश्वार हो गया है. विशेष कर अगर वनपर टोला के निकट स्थित शीतला मंदिर के पास का शौचालय. यहां शौचालय निर्माण के बाद भी प्रतिदिन लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं. नगर परिषद की ओर से रखरखाव की व्यवस्था नहीं स्थानीय लोगों की माने तो नगर परिषद ने शौचालय का निर्माण तो करवा दिया, परंतु इन शौचालयों के रखरखाव की कोई भी व्यवस्था नहीं करायी गयी, जिसके कारण ना तो शौचालय प्रयोग में लाया जा सका और ना ही सुरक्षित रह सका. शहर में बने 10 सार्वजनिक शौचालय के बाहर की योजना नगर परिषद ने बोर्ड लगाने के लिए दो करोड़ से अधिक की राशि स्वीकृति तो दे दी परंतु बोर्ड के किसी भी सदस्यों ने इसके रखरखाव और उपयोग के तरीकों पर कहीं कोई मंथन नहीं किया. पूर्व वार्ड परिषद सदस्य जयप्रकाश सिंह ने बताया कि नगर परिषद के बोर्ड में योजनाओं को लेकर मंथन नहीं की जाती है. नगर परिषद बोर्ड केवल बंदर बांट का अड्डा बन चुका है. योजना की उपयोगिता पर उठने लगे सवाल शहर के कई प्रबुद्ध नागरिकों ने योजना की उपयोगिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि निर्माण से पूर्व बोर्ड को यह तय करना चाहिए था कि इसकी उपयोगिता है भी या नहीं. प्रदीप कुमार ने कहा कि नगर परिषद बोर्ड केवल और केवल अधिकारियों, कर्मियों और पार्षदों के जेब भरने की जगह बनकर रह गया है. कहा कि जनता के टैक्स के पैसे से जो भी निर्माण कार्य होता है, उसकी उपयोगिता का ध्यान रखा जाना चाहिए. परंतु शौचालय निर्माण में ऐसा नहीं दिखाई पड़ता है. पूर्व वार्ड पार्षद चेतन भारतीय ने भी सार्वजनिक शौचालय की उपयोगिता पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि बिना किसी सोच विचार के केवल आपसी तालमेल से जनता की धनराशि का दुरुपयोग वास्तव में काफी निराशाजनक है. कोट: शौचालय निर्माण की योजना मेरे समय का नहीं है. बोर्ड से पास किए जाने के बाद ही नगर परिषद ने इन शौचालयों का निर्माण करवाया था. -सोमा खंडैत, प्रशासक, नगर परिषद, साहिबगंज

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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