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Jharkhand Cabinet Expansion: कौन हैं योगेंद्र प्रसाद, पंचायत अध्यक्ष से मंत्री तक का तय किया सफर

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Hemant Soren Cabinet Expansion : गोमिया विधायक योग्रेंद्र प्रसाद ने आज राजभवन में मंत्री पद की शपथ ले ली. उन्हें राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार ने पद और गोपनियता की शपथ दिलाई.

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Jharkhand Cabinet Expansion, दीपक सवाल : हेमंत सोरेन सरकार के मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है. लगभग 21 साल के बाद गोमिया के किसी विधायक को एक बार फिर मंत्री बनने का मौका मिला. लगभग 95 हजार वोटों के साथ गोमिया से ऐतिहासिक जीत दर्ज करने वाले योगेंद्र प्रसाद को हेमंत सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. इससे पहले माधवलाल सिंह वर्ष 2000 में नवंबर महीने तक अविभाजित बिहार में राबड़ी देवी की सरकार में और पुनः 18 मार्च 2003 से 2005 तक अर्जुन मुंडा के कार्यकाल में झारखंड सरकार में परिवहन मंत्री बनाये गये थे. हालांकि, योगेंद्र प्रसाद के रूप में गोमिया में तीसरी बार किसी विधायक को मंत्री बनने का मौका मिला है. अविभाजित बिहार सरकार में छत्रुराम महतो भी वित्त राज्य मंत्री बनाये गये थे.

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दूसरी बार जितने वाले गोमिया के पहले विधायक हैं योगेंद्र प्रसाद

इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में योगेंद्र प्रसाद ने गोमिया विधानसभा से इस बार ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. 95 हजार से अधिक वोट लाकर दोबारा विधायक बनने वाले वे गोमिया के एकमात्र विधायक हैं. इससे पहले 2014 में लगभग 97 हजार वोटों से जीत दर्ज की थी और उस समय बीजेपी प्रत्याशी माधवलाल सिंह को शिकस्त दी थी. इस बार के चुनाव में 95 हजार 170 वोट प्राप्त कर अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी जेएलकेएम प्रत्याशी पूजा कुमारी को 36 हजार 93 मतों के बड़े अंतर से पराजित किया. पूजा कुमारी को 59 हजार 77 वोट को मिले. इस सीट से चुनाव लड़ रहे गोमिया विधायक और एनडीए प्रत्याशी डॉ लंबोदर महतो 54 हजार 508 वोट लाकर तीसरे स्थान पर रहे.

पंचायत अध्यक्ष से शुरू हुआ राजनीतिक सफर

योगेंद्र प्रसाद मूल रूप से रामगढ़ जिले के मुरूबंदा निवासी के निवासी हैं. कांग्रेस पार्टी में एक पंचायत अध्यक्ष के रूप में अपनी राजनीति शुरू की थी. फिर जिला अध्यक्ष से लेकर विधायक बनने का इनका सफरनामा काफी दिलचस्प संघर्ष से भरा है.

काफी संघर्षों से भरी है योगेंद्र प्रसाद की दास्तां

मुरबंदा निवासी साधारण कुड़मी किसान घर के बेटे योगेंद्र तीन भाईयों में सबसे बड़े हैं. 1991 में कांग्रेस पार्टी हजारीबाग जिला उपाध्यक्ष बने. फिर 1995 में जिलाध्यक्ष भी बने थे. कुछ महीने बाद ही उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी और तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव की जनता दल में शामिल हो गये. वर्ष 2000 में झारखंड अलग राज्य गठन के बाद वे सुदेश महतो की पार्टी आजसू में शामिल हुए. इस बीच 2007 में आजसू सुप्रीमो सुदेश महतो ने गोमिया विधानसभा क्षेत्र में आजसू की जमीन तैयार करने योगेंद्र प्रसाद को गोमिया विधानसभा क्षेत्र में सक्रिय कर दिया.

2009 में मिली शिकस्त लेकिन 2014 में झामुमो का परचम किया बुलंद

प्रसाद ने 2009 का विधानसभा चुनाव गोमिया विधानसभा से लड़ा और दूसरे स्थान पर रहे. वे आजसू पार्टी के केंद्रीय महासचिव के पद पर भी रहे, लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने आजसू छोड़ झामुमो का दामन थाम लिया और 97 हजार से अधिक वोट लाकर गोमिया का विधायक बनने का अवसर प्राप्त किया. इस बीच झामुमो का केंद्रीय प्रवक्ता और सचिव भी रहे.

2018 में योगेंद्र की पत्नी बनी विधायक

विधायक बनने के तीन वर्ष बाद ही 2018 में एक मामले में कोर्ट द्वारा उनकी विधायिकी समाप्त कर दी गयी. उसके बाद गोमिया विधानसभा उपचुनाव में उनकी धर्मपत्नी बबीता देवी विधायक बनी. 2019 के विधानसभा चुनाव में उनकी पत्नी ने फिर से चुनाव लड़ा, लेकिन आजसू पार्टी प्रत्याशी डॉ लंबोदर महतो से चुनाव हार गयी. 2022 में योगेंद्र महतो को झारखंड राज्य समन्वय समिति का सदस्य एवं बाद में जनवरी 2024 में झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष पद की जिम्मेवारी दी गयी.

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