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रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दो दिनों तक होगा कार्यक्रम, आदिवासी परंपरा व संस्कृति की दिखेगी झलक

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50 कलाकारों द्वारा नगाड़े की प्रस्तुति दी जायेगी. इस दौरान टीआरआइ रांची की ओर से 35 पुस्तकों का लोकार्पण किया जायेगा. आदिवासी महोत्सव पर डाक टिकट का लोकार्पण भी होगा. मोनिका मुंडू भी अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगी.

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झारखंड आदिवासी महोत्सव -2023 में झारखंड की अनूठी कहानियां, परंपरा, संघर्ष, दर्शन और इतिहास को करीब से जानने और समझने का अवसर मिलेगा. समारोह में जनजातीय फिल्मों से लेकर साहित्य तक देखने को मिलेंगे. आदिवासी खान-पान से लेकर पहनावा, रहन-सहन और संस्कृति की झलक भी दिखेगी. देश के विभिन्न राज्यों के आदिवासियों का जुटान होगा. महोत्सव में उनकी संस्कृति और कला का समागम होगा. समारोह की शुरुआत दिन के 12.10 बजे रीझ रंग रसिका रैली से होगी. इसमें 32 जनजातीय समूह पारंपरिक वाद्य यंत्रों का वादन करते हुए करमटोली चौक से समारोह स्थल तक पहुंचेंगे. समारोह में पाइका नृत्य भी देखने को मिलेगा. 50 कलाकारों द्वारा नगाड़े की प्रस्तुति दी जायेगी. इस दौरान टीआरआइ रांची की ओर से 35 पुस्तकों का लोकार्पण किया जायेगा. आदिवासी महोत्सव पर डाक टिकट का लोकार्पण भी होगा. मोनिका मुंडू भी अपनी आवाज का जादू बिखेरेंगी.

देशभर के जनजातीय समूह नृत्य प्रस्तुत करेंगे

महोत्सव में देश भर के जनजातीय समुदाय नृत्य प्रस्तुत करेंगे. इसमें आंध्र प्रदेश के कोम्मू कोया नृत्य,ओड़िशा के परोजा नृत्य, गरासिया आदिवासी समुदाय द्वारा राजस्थानी वालार नृत्य, केरल के आदिवासी समुदाय द्वारा पालियन नृत्य, तपन पटनायक और उनके समूह द्वारा सरायकेला छऊ नृत्य, राजेश बड़ाईक द्वारा मांदर वादन, पद्मश्री मुकुंद नायक द्वारा नागपुरी लोक नृत्य, छत्तीसगढ़ से बस्तर बैंड व वर्षा लकड़ा द्वारा नागपुरी नृत्य की प्रस्तुति की जायेगी. 10 अगस्त को भी पाइका नृत्य, उरांव आदिवासी समुदाय का लोक नृत्य, गोंड आदिवासी समुदाय का किहो नृत्य, कर्नाटक के आदिवासी समुदाय द्वारा दमनी लोक नृत्य, लखन गुड़िया का मुंडारी गायन वादन, पद्मश्री एच मधु मंसूरी की गायन प्रस्तुति, रमेश्वर मिंज द्वारा बांसुरी वादन, अरुणाचल प्रदेश के निशि आदिवासी समुदाय द्वारा रेखम पड़ा नृत्य, असम के हाजोंग आदिवासी समुदाय द्वारा लेवा टाना नृत्य, दिओरी आदिवासी समुदाय का बिहू नृत्य, झारखंड का डोमकच नृत्य व गुजरात के अफ्रीकन आदिवासी समुदाय द्वारा सिद्धि धमाल नृत्य की प्रस्तुति दी जायेगी.

ट्राइबल फैशन शो होगा

10 अगस्त को ट्राइबल फैशन शो का आयोजन होगा. समापन समारोह में नंदलाल नायक की टीम प्रस्तुति देगी. लेजर, ड्रोन और वीएफएक्स शो भी होगा.

फिल्म फेस्टिवल का आयोजन

फिल्म महोत्सव में निर्माता दशरथ हांसदा द्वारा निर्मित फूलमुनी, दीपक बारा की द अगली साइड ऑफ ब्यूटी, दीपक बेसरा की मोहोत, निजाम की छैला संधु, मेघनाथ की नाची से बांची, बिजू टोप्पो की मुंडारी सृष्टिकथा, अनुज वर्मा की चेरो, एनपीके पुरुषोत्तम की बंधा खेत, प्रियंका पूर्ति की हॉनर्टन रिमिल व रूपेश साहू की रैट ट्रैप जैसी जनजातीय फिल्मों का प्रदर्शन होगा. इसके माध्यम से झारखंड की परंपरा, संघर्ष और इतिहास जानने का मौका मिलेगा. .

कार्यक्रम में 72 में से जनजातीय समूह के 32 स्टॉल होंगे

भगवान बिरसा मुंड स्मृति उद्यान सह संग्रहालय में आयोजित किये जा रहे दो दिवसीय कार्यक्रम में लगभग 72 स्टॉल लगाये जायेंगे. इनमें जनजातीय समूह के 32 स्टॉल शामिल हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) की ओर से ये स्टॉल लगाये जायेंगे. इसमें राज्य की सभी 32 जनजातियों की कला-संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी. साथ ही राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के तहत जनजातीय स्वयं सहायता समूह के पांच स्टॉल लगाये जायेंगे. छह स्टॉल कल्याण विभाग तथा एक-एक स्टॉल खादी और झारक्राफ्ट के होंगे

सरकार की योजनाओं की भी मिलेगी जानकारी

महोत्सव में लोगों को राज्य सरकार की ओर से संचालित विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाओं की भी जानकारी मिलेगी. इसमें कृषि, कल्याण, ग्रामीण विकास, श्रम, शिक्षा, समाज कल्याण आदि से संबंधित योजनाओं के स्टॉल होंगे. प्रदर्शनी में मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना, फूलो-झानो आशीर्वाद एवं बिरसा हरित ग्राम अभियान, सारथी योजना, गुरुजी क्रेडिट कार्ड, सर्वजन पेंशन योजना, सावित्री बाई फुले किशोरी समृद्धि योजना, मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा ओवरसीज स्कॉलरशिप स्कीम (एमजीओएस) आदि से संबंधित स्टॉल लगायें जायेंगे. इसके अलावा जोहारग्राम, जोबरा, ट्राइबल इंडियन चेंबर एंड इंडस्ट्री, चाला अखड़ा खोरहा, लाइव आर्टिजन और डॉक्टर मनीषा उरांव ओपन फील्ड के भी स्टॉल लगायें जायेंगे.

पारंपरिक आदिवासी आभूषणों की प्रदर्शनी लोगों को लुभायेगी

महोत्सव में पारंपरिक आदिवासी आभूषणों और पलाश ब्रांड के उत्पादों के भी स्टॉल लगाए जायेंगे. यहां अदिवा ब्रांड की प्रदर्शनी एवं बिक्री की जायेगी. पलाश के स्टॉल में शुद्ध शहद, कोल्ड-प्रेस्ड सरसों का तेल, काला गेहूं का आटा, हल्दी, मिर्च पाउडर, रागी का आटा, रसायनमुक्त साबुन, कुकीज आदि की बिक्री भी होगी. वहीं, आजीविका दीदी कैफे का भी स्टॉल लगया जायेगा. यहां लोग झारखंड के पारंपरिक व्यंजनों जैसे राइस डंबू, मडुवा डंबू, धुस्का घुघनी, मडुआ पकौड़ा, माढ़ जोर, दाल पीठा आदि का लुत्फ उठा सकेंगे.

सेमिनार-परिचर्चा में होगी आदिवासी की बात

आदिवासी महोत्सव-2023 में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन भी होगा. सेमिनार में जनजातीय अर्थव्यवस्था, आदिवासी साहित्य, जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान के अतीत और भविष्य आदि विषयों पर चर्चा की जायेगी.

सेमिनार के प्रमुख विषय व वक्ता

जनजातीय ज्ञान, मानवविज्ञान से जुड़ा अतीत और भविष्य : प्रो टी कट्टीमनी, प्रो एस एम पटनायक, प्रो सत्यनारायण मुंडा, प्रो विजय एस सहाय, प्रो एमसी बेहरा, प्रो पुष्पा मोतियानी, प्रो सुमहन बंदोपाध्याय, डॉ नरेश चंद्र साहू, डॉ पिनाक तरफदार व डैली नेली.

जनजातीय अर्थव्यवस्था

डॉ सीपी चंद्रशेखर, डॉ जयति घोष, डॉ अमित भादुरी, डॉ प्रवीण झा, डॉ अरुण कुमार, डॉ ज्यां द्रेज, डॉ बेला भाटिया, डॉ रमेश शरण, डॉ जया मेहता व पी साईनाथ.

आदिवासी साहित्य

ममांग दाई, प्रो (सेवानिवृत्त) मृदुला मुखर्जी, प्रो (सेवानिवृत्त) आदित्य मुखर्जी, डॉ राकेश बताब्याल, प्रो महालक्ष्मी रामाकृष्णन, प्रो वी सेल्वाकुमार, स्नेहा गांगुली, किशोर लाल चंदेल, देव कुमार झाजं व रोमा चटर्जी.

राष्ट्रीय जनजातीय चित्रकला शिविर लगेगा

आदिवासी दिवस पर नौ से 16 अगस्त तक राष्ट्रीय जनजातीय चित्रकला शिविर लगेगा. इसमें ओडिशा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और झारखंड के जनजातीय चित्रकार, संताल हूल ( 1855 – 56 ) के दृश्यों और झारखंड के पुरखा साहित्यकार को कैनवास पर उतारेंगे.

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