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World Indigenous Day 2022: निःस्वार्थ भाव से समाज का मार्गदर्शन करते हैं साहित्यकार व लेखक

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कल्याण विभाग के मंत्री चंपाई सोरेन ने कहा कि साहित्यकार, लेखक निःस्वार्थ भाव से काम करते हैं. अपनी लेखनी और रिसर्च से समाज का मार्गदर्शन करते हैं. आदिवासी समाज की सभ्यता, संस्कृति को जानने समझने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. मंत्री चंपई सोरेन ने झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 में शामिल होते हुए कहा.

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Ranchi News: अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के मंत्री चंपाई सोरेन ने कहा है कि साहित्यकार, लेखक निःस्वार्थ भाव से काम करते हैं1 अपनी लेखनी और रिसर्च से समाज का मार्गदर्शन करते हैं. आदिवासी समाज की सभ्यता, संस्कृति को जानने समझने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है. वे आज झारखंड जनजातीय महोत्सव 2022 के अवसर पर जनजातीय शोध संस्थान मोरहाबादी में आयोजित ट्राइबल सेमिनार के दूसरे दिन साहित्यकारों, लेखकों व रिसर्च स्कॉलरों को संबोधित कर रहे थे.

पूर्वजों से समाज को जोड़ कर रखना सीखना चाहिए

श्री चंपई सोरेन ने कहा कि आज के आधुनिक युग में हमें आदिवासी समाज की संस्कृति एवं उसकी सभ्यता को सहेज कर रखते हुए आगे बढ़ना है. हमें अपने पूर्वजों से समाज को जोड़ कर रखना और मजबूत बनाना सीखना होगा. उन्होंने कहा कि वर्षों से हम आदिवासी उत्थान की बात कर रहे हैं. इसके लिए अलग से मंत्रालय भी है, परंतु आज भी आदिवासियों का क्या वास्तविक विकास हो पाया है? इसे समझने की आवश्यकता है. इस तरह के सेमिनार से ही आदिवासी समाज की सभ्यता, संस्कृति और उसकी सामाजिक व्यवस्था की स्थिति क्या है, इसे जानने में मदद मिलेगी.

बड़े पैमाने पर मनेगा जनजातीय महोत्सव

मंत्री चंपई सोरेन ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मनाये जा रहे झारखंड जनजातीय महोत्सव में देशभर से आए आदिवासी समाज की कला-संस्कृति, रहन-सहन को जानने का प्रयास किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन ने इसे झारखंड जनजातीय महोत्सव के रूप में मनाने का निर्णय लिया है. इस अवसर पर जनजातीय शोध संस्थान, मोरहाबादी में दो दिवसीय ट्राइबल सेमिनार का आयोजन कर आदिवासी समाज ने अपने इतिहास, रीति-रिवाज को कितना बचाया है और कितना खोया है, इस पर चर्चा हो रही है. आने वाले वर्षों में इसे और भी बड़े पैमाने पर मनाया जाएगा.

आदिवासी समाज के उत्थान के लिए काम करने की जरूरत

इस अवसर पर कल्याण सचिव केके सोन ने कहा कि अब हमें आदिवासी समाज के उत्थान के साथ इस समाज के सशक्तिकरण के बारे में भी विचार करना होगा. झारखंड जनजातीय महोत्सव में इस तरह के सेमिनार के आयोजन से देश के विभिन्न हिस्सों से आए साहित्यकार, लेखक, रिसर्च स्कॉलर, जनजातीय समुदाय के लोगों के विचार साझा होंगे और आपलोगों का बहुमूल्य सुझाव हमें प्राप्त होगा, जिससे आदिवासी समाज के विकास एवं उनके सशक्तिकरण में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि हमें आदिवासियों को सशक्त बनाने की दिशा में प्रयास करने होंगे. पारंपरिक ट्राइबल मेडिसिन को बढ़ावा देना होगा. झारखंड के जंगलों में मौजूद जड़ी-बूटियों का अध्ययन कर इसके व्यापक इस्तेमाल पर ज़ोर देना होगा, जिससे जनजातियों की आर्थिक उन्नति भी हो सके.

इनकी रही उपस्थिति

इस अवसर पर साहित्यकार यशवंत गायकवाड, सोनकर, महादेव टोप्पो, डॉ हरि उरांव, डॉ जिंदल सिंह मुंडा सहित विभिन्न राज्यों से आए साहित्यकार, लेखक एवं रिसर्च स्कॉलर उपस्थित रहे.

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