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World Environment Day 2021 : झारखंड के सभी प्रमुख शहरों की हवा दूषित, एक्यूआइ 100 से ऊपर, लेकिन इस जिले का हाल सबसे खराब, जलाशय भी प्रदूषित

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रांची का वायु प्रदूषण तो कभी-कभी राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच जाता है. यहां वाहनों की संख्या देश के कई बड़े-बड़े जिलों से अधिक है. राज्य की कोयलानगरी का वायु प्रदूषण तो देश में सबसे उच्च स्तर में रहता है. कुछ यही स्थिति ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी है. ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण और संचालन) कानून-1999 में कई प्रावधान किये गये हैं. इसका खुल्लेआम उल्लंघन लोग करते हैं. वाहनों में प्रेशर हॉर्न को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है. रात 10 बजे के बाद शादी , पार्टी-फंक्शन में जोरदार आवाज में गाना बजाना आम बात है. प्रावधान है कि 10 डेसीबल से अधिक आवाज होने पर इसकी शिकायत सरकारी अथॉरिटी से कर सकते हैं. लेकिन, ऐसी कोई शिकायत सरकार के पास नहीं है.

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Pollution Level in Jharkhand, Ranchi News रांची : झार-झंखाड़ (जंगल-झाड़ी) के लिए प्रसिद्ध झारखंड की आबोहवा अब बदलने लगी है. यहां की प्राकृतिक छटा को नुकसान पहुंचने लगा है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक राज्य में जंगल तो बढ़े हैं, लेकिन, प्रदूषण भी कम नहीं हुआ है. कई जंगल, पहाड़, नदी-नाले, तालाबों का अस्तित्व या तो संकट में है या ये समाप्त हो चुके हैं. स्थिति यह है कि राज्य के लगभग सभी प्रमुख शहरों की हवा मानकों के अनुसार दूषित है. कई जलाशयों का पानी भी शुद्धता के मानकों पर खरे नहीं उतर रहे. वह भी प्रदूषण की चपेट में हैं.

रांची का वायु प्रदूषण तो कभी-कभी राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच जाता है. यहां वाहनों की संख्या देश के कई बड़े-बड़े जिलों से अधिक है. राज्य की कोयलानगरी का वायु प्रदूषण तो देश में सबसे उच्च स्तर में रहता है. कुछ यही स्थिति ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी है. ध्वनि प्रदूषण (नियंत्रण और संचालन) कानून-1999 में कई प्रावधान किये गये हैं. इसका खुल्लेआम उल्लंघन लोग करते हैं. वाहनों में प्रेशर हॉर्न को लेकर कोई रोक-टोक नहीं है. रात 10 बजे के बाद शादी , पार्टी-फंक्शन में जोरदार आवाज में गाना बजाना आम बात है. प्रावधान है कि 10 डेसीबल से अधिक आवाज होने पर इसकी शिकायत सरकारी अथॉरिटी से कर सकते हैं. लेकिन, ऐसी कोई शिकायत सरकार के पास नहीं है.

नदियां नालों में तब्दील, पानी हो गया काला :

झारखंड के बड़े हिस्से में कोयला खनन का काम होता है. कोयला खनन वाले इलाके की नदियों का पानी काला हो गया है. इन नदियों में इतनी अधिक मात्रा में कोयला जाता है कि पानी उपयोग के लायक नहीं रह गया है. कोयला कंपनियों को ट्रीटमेंट प्लांट लगाने को कहा जाता है. कई स्थानों पर ट्रीटमेंट प्लांट लगा भी है, लेकिन उसमें सुधार नहीं. राजधानी में भी नदी नाले में तब्दील हो रही है.

हरमू नदी के जीर्णोद्धार पर करोड़ रुपये खर्च कर दिये गये, लेकिन उसकी स्थिति और खराब हो गयी. पूरे शहर का कचरा उसमें जा रहा है. राजधानी में पड़ने वाले जुमार और पोटपोटो नदी की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है. नदी किनारे अवैध निर्माण इसके मूल स्वरूप को नष्ट कर रहे हैं. वहीं कांके डैम, चडरी तालाब और बड़ा तालाब के किनारे कई आवासीय परिसर बन गये हैं.

ग्रीन लैंड में बने घरों को हटाने की कार्रवाई कई बार हुई. घरों का कचरा डैम में जा रहा है. इससे पीने की पानी दूषित (पीएच और बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड) हो रहा है. रांची के बड़ा तालाब में शहर के बड़े हिस्से का कचरा और नाली का पानी जा रहा है. अलबर्ट एक्का चौक के पास स्थित चडरी तालाब में हर साल ऑक्सीजन की कमी से मछलियों की मौत होती है.

आजकल प्रकृति को नुकसान पहुंचाना ही विकास हो गया है

असल में विकास की धारणा ही बदल गयी है. सबका अपना लक्ष्य है. किसी को कोयला निकालना है, तो किसी को रोड बनाना है. किसी को भवन बनाना है. लेकिन, कोई यह नहीं देखता है कि इससे प्रकृति को कितना नुकसान हो रहा है. झारखंड इससे अछूता नहीं है. यहां औद्योगिक इकाइयां बहुत प्रदूषण फैला रही हैं. इसके लिए जो रेगुलेटरी बॉडी है, उसे मजबूत होना होगा.

प्रदूषण के लिए जो तय प्रोटोकॉल होगा, उसका पालन कराना होगा. हर प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए एक प्रोटोकॉल है. उसका पालन नहीं हो रहा है. झारखंड में काफी जंगल है. जनसंख्या घनत्व भी कम है. एेसे में इस राज्य को प्राकृतिक रूप से समृद्ध रखा जा सकता है. रेल, रोड, डैम जैसी बड़ी संरचना बनाते समय जल-जंगल के बारे में सोचना होगा. राज्य गठन के बाद कई एेसी संरचनाएं बनी, जिससे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा. आज भी कई परियोजना ऐसी है.

लाल रत्नाकर सिंह, पूर्व, पीसीसीएफ झारखंड

कोयलानगरी का वायु प्रदूषण देश में सबसे उच्चस्तर पर

शहर एक्यूआइ

रांची 151

धनबाद 154

जमशेदपुर 153

डाल्टनगंज 156

गढ़वा 129

हजारीबाग 135

देवघर 111

दुमका 155

मानक : एक्यूआइ 100 के नीचे होना चाहिए

नदी पीएच- बीओडी

दामोदर नदी (सिंदरी) 7.4 – 2.1

नार्थ कोयल (रेहला) 7.5 – 2.8

हटिया डैम (रांची ) 7.5 – 2.3

कांके डैम (रांची ) 6.7 – 3.2

रुक्का डैम (रांची) 7.4 – 2.7

हजारीबाग, रामगढ़ गंभीर प्रदूषित शहर में

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने देश के 100 औद्योगिक शहरों के प्रदूषण की स्थिति का आकलन कराया है. इसमें झारखंड के हजारीबाग, सरायकेला और रामगढ़ को गंभीर प्रदूषित शहरों की श्रेणी में रखा गया है. इस श्रेणी में पूरे देश के 31 शहरों को रखा गया है. जबकि, क्रिटिकली प्रदूषित की श्रेणी में 31 शहरों को रखा गया है.

प्रदूषण बोर्ड ने कंप्रिहेंसिव क्वालिटी इनवायरमेंटल पोल्यूशन इंडेक्स (सीइपीआइ) को आधार मान कर अध्ययन कराया था. अगर सीइपीआइ का स्कोर 100 में 70 से ऊपर रहा, तो ऐसे शहरों को क्रिटिकल की श्रेणी में रखा जाता है. 60 से 70 के बीच होने पर इसे सीवियर (गंभीर) शहर की श्रेणी में रखा जाता है. झारखंड के तीनों शहरों का इंडेक्स 60 से 70 के बीच पाया गया है. सीपीसीबी ने अपनी रिपोर्ट में राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इन शहरों के लिए एक्शन प्लान बनाने को कहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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