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World Cycle Day 2022: बेरमो के लैना सिंह ने 10 किमी की साइकिल रेस जीत कोल इंडिया में पायी नौकरी

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World Cycle Day 2022: आप कभी सोच सकते हैं कि साइकिलिंग आपको बेहतर स्वास्थ्य के साथ नौकरी भी दिला सकती है. जी, हां यह संभव हुआ है. आज विश्व साइकिल दिवस के दिन ऐसे ही एक व्यक्तित्व से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने 10 किमी की साइकिल रेस में चार बार पहला स्थान पाया.

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World Cycle Day 2022: आप कभी सोच सकते हैं कि साइकिलिंग आपको बेहतर स्वास्थ्य के साथ नौकरी भी दिला सकती है. जी, हां यह संभव हुआ है. आज विश्व साइकिल दिवस के दिन ऐसे ही एक व्यक्तित्व से रूबरू कराते हैं, जिन्होंने 10 किमी की साइकिल रेस में चार बार पहला स्थान पाया. उनके इसी जज्बे और हुनर को देखते हुए कोल इंडिया ने नौकरी दी थी. ये कोई और नहीं बल्कि बेरमो के लैना सिंह हैं. कई दफे स्वर्ण, रजत व कांस्य पदक जितने वाले लैना सिंह आज भी अपनी कहानी बताते रोमांचित हो जाते हैं.

बचपन से ही रहा लगाव, रेस जीत कर साल 1973 में पायी नौकरी

लैना सिंह बताते हैं कि उनके पिता सरदार किस्मत सिंह पंजाब के अमृतसर से 40-50 के दशक में बेरमो आये थे. उस वक्त एनसीडीसी के तहत बेरमो के चकरी कोलियरी में हैवी टैंडर जमादार के पद पर कार्यरत थे. पहले पूरा परिवार चलकरी में रहता था. बाद में करगली सीसीएल के क्वार्टर में रहने लगे. करगली में ही मेरा जन्म हुआ. फुसरो के राम रतन उच्च विद्यालय ढोरी में 10 वीं तक की पढाई की. इसके बाद बेरमो, चंद्रपुरा के अलावा गोमिया के आइइएल में कुछ वर्षों तक प्राइवेट नौकरी की. उस वक्त आइइए द्वारा साइकिल रेस आयोजित किया जाता था. जो आइइएल ग्राउंड से कोनार तक करीब 10 किमी का रहता था. इस प्रतियोगिता में चार बार फर्स्ट आये. हर दिन सुबह चलकरी से जैनामोड करीब 15 किमी साइकिल से आना-जाना कर प्रैक्टिस करता था. शाम में नजदीक के खेल मैदान में प्रैक्टिस करता था. मेरे इसी जज्बे को देखते हुए चलकरी कोलियी के तत्कालीन परियोजना पदाधिकारी बी बागर ने मुझे वर्ष 1973 में इसी कोलियरी में नियोजन दे दिया. उस वक्त मेरे पिता भी यहीं कार्यरत थे. वर्ष 1975 में पिता रिटायर हुए. नियोजन मिलने के बाद कोल इंडिया व सीसीएल स्तरीय स्पोटर्स के तहत साइकिल रेस प्रतियोगिता में लगातार हिस्सा लेता रहा. सीसीएल में तो हमेशा अव्वल आता रहा. लेकिन कोल इंडिया स्तर पर जाकर पिछड जाता था. लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी.

1972 से 1996 तक रहा लैना सिंह का बोलबाला

कोल इंडिया व सीसीएल स्तरीय साइकिल रेस प्रतियोगिता में वर्ष 1972 से लेकर 1996 तक लैना सिंह का काफी बोलबाला रहा. 400 मी. के ग्राउंड में साढे सात राउंड तथा 200 मी. के ग्राउंड में 15 राउंड का उस वक्त साइकिल रेस होती थी. जिसमें लैना सिंह बढ—चढकर हिस्सा लेते थे. सीसीएल के बीएंडके एरिया में आयोजित प्रतियोगिता में करीब 10-12 बार उन्होंने प्रथम स्थान प्राप्त किया. बीएंडके एरिया के संडे बाजार तथा करगली फुटबॉल ग्राउंड में लैना सिंह का साइकिल रेस देखने के लिए काफी भीड जुटती थी. वर्ष 2014 के फरवरी माह में लैना सिंह सीसीएल की सर्विस से सेवानिवृत्त हो गये. लेकिन आज भी उनकी शारीरिक चुस्ती फुर्ति देखते बनती है. उन्होंने आज के युवा वर्ग से आहृवान किया कि लोग कुछ समय स्पोटर्स के लिए जरूर निकाले. स्पोटर्स भी कैरियर बनाने का एक बडा माध्यम है.

लोन लेकर खरीदरी साइकिल

उन्होंने सीसीएल से कहा कि रेसिंग साइकिल नहीं रहने के कारण वे फर्स्ट नहीं आ पा रहे है. वर्ष 1983 के आसपास सीसीएल से लोन लेकर करीब 12 सौ रूपये में साइकिल खरीदी तथा लगातार प्रैक्टिस करते रहे. इसके बाद सीसीएल स्तर पर आयोजित साइकिल रेस में करीब छह बार स्वर्ण पदक जीता. वहीं कोल इंडिया स्तर पर दो दफा द्वितीय स्थान पर रहकर रजत पदक तथा तीन बार तीसरे स्थान पर रहकर कांस्य पदक जीता. वे कहते हैं कि एक बार कथारा ग्राउंड में तथा एक बार गिददी सी ग्राउंड में सीसीएल स्तरीय आयोजित साइकिल रेस प्रतियोगिता में उन्होंने योगेंद्र सिंह को पराजित कर स्वर्ण पदक जीता था.

रिपोर्ट : राकेश वर्मा

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