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BAU के वेटनरी कॉलेज में स्टैटिस्टिकल टूल्स पर ‍‍वर्कशॉप,आंकड़ों के विश्लेषण के लिए सॉफ्टवेयर को बताया अहम

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पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सदस्यों के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया. वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने ऐसे और भी प्रशिक्षण और कार्यशाला आयोजित करने पर जोर दिया.

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रांची : बीएयू (बिरसा कृषि विश्वविद्यालय) के पशु चिकित्सा महाविद्यालय के पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग द्वारा ‘स्टैटिस्टिकल पैकेज फॉर द सोशल साइंसेज (एसपीएसएस) सॉफ्टवेयर’ विषय पर आयोजित तीनदिवसीय कार्यशाला शनिवार को समाप्त हो गयी. इस दौरान वक्ताओं ने आंकड़ों के पूर्ण विश्लेषण के लिए सॉफ्टवेयर को अहम बताया. पशु चिकित्सा संकाय के डीन डॉ सुशील प्रसाद ने प्रतिभागियों और आयोजन समिति के सदस्यों के बीच प्रमाण पत्र का वितरण किया और कहा कि आंकड़ों के पूर्ण विश्लेषण के लिए एसपीएसएस वर्ष 1968 से प्रयोग किया जा रहा है और वर्तमान में इसके 29 वैरिएंट उपलब्ध हैं. शिक्षकों, शोधार्थियों और शोध निदेशकों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है.

सॉफ्टवेयर की उपयोगिता व व्यावहारिक पहलुओं की दी जानकारी

वानिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ एमएस मलिक ने ऐसे और भी प्रशिक्षण और कार्यशाला आयोजित करने पर जोर दिया. रिसोर्स पर्सन के रूप में पशु आनुवंशिकी एवं प्रजनन विभाग की डॉ नन्दनी कुमारी, डॉ अबसार अहमद, डॉ थानेश उरांव, डॉ मंजरी पांडेय तथा कृषि सांख्यिकी एवं कम्प्यूटर एप्लीकेशन विभाग के डॉ शिवम कुमार मिश्र ने सांख्यिकीय टूल्स और स्टैटिस्टिकल पैकेज फॉर द सोशल साइंसेज (एसपीएसएस) सॉफ्टवेयर की उपयोगिता और व्यावहारिक पहलुओं के बारे में विस्तार से प्रशिक्षणार्थियों को बताया.

कार्यशाला के आयोजन पर जोर

कार्यशाला में विश्वविद्यालय के वानिकी संकाय से आकांक्षा, वेटनरी से डॉ उमर, डॉ श्रिया, डॉ ग्लोरिया ने कार्यशाला के बारे में अपने फीडबैक दिए और कहा कि ऐसी ज्ञानवर्धक कार्यशाला आगे भी 7 दिनों की अवधि वाली आयोजित होनी चाहिए. कार्यशाला का आयोजन बीएयू में चल रही राष्ट्रीय कृषि उच्चतर शिक्षा परियोजना (नाहेप) के सहयोग से किया गया था. मौके पर डॉ आलोक कुमार पांडेय, डॉ ग्लोरिया तिग्गा, डॉ अपर्णा पी मिंज और डॉक्टर प्रिशिला समेत अन्य मौजूद थे.

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