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Happy Women’s Day 2023: ग्रामीण महिलाएं फोन रखने में पीछे, बैंक खाता व संपत्ति मामले में शहरी महिलाओं से आगे

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Happy Women's Day 2023|झारखंड की 79.6 फीसदी महिलाओं के पास अपना बचत बैंक का खाता है. इसमें 79.8 फीसदी ग्रामीण महिला के पास और 79.2 फीसदी शहरी महिला के पास है. इसके अलावा संपत्ति के मामले में भी ग्रामीण महिलाएं आगे हैं. गांव की 66.5 फीसदी और गांव की 57.4 फीसदी महिलाओं के नाम संपत्ति (घर या जमीन) है.

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रांची, राजीव पांडेय. झरखंड में महिला सशक्तिकरण की स्थिति बेहतर हुई है. एनएफएचएस-पांच (वर्ष 2020-21) की रिपोर्ट की मानें तो राज्य की 49 फीसदी महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है. यह एफएफएचएस-चार (वर्ष 2015-16) से 13.8 फीसदी बढ़ गया है. हालांकि शहरी महिलाओं की अपेक्षा ग्रामीण महिलाएं इस मामले में अभी पीछे हैं. शहर की 65.2 फीसदी और ग्रामीण की 43.7 फीसदी महिलाओं के पास अपना मोबाइल फोन है. हालांकि बैंक खाता और संपत्ति के मामले में गांव की महिलाएं शहरी महिलाओं से आगे हैं.

एनएफएचएस-पांच की रिपोर्ट में झारखंड की 79.6 फीसदी महिलाओं के पास अपना बचत बैंक का खाता है. इसमें 79.8 फीसदी ग्रामीण महिला के पास और 79.2 फीसदी शहरी महिला के पास है. इसके अलावा संपत्ति के मामले में भी ग्रामीण महिलाएं आगे हैं. गांव की 66.5 फीसदी और गांव की 57.4 फीसदी महिलाओं के नाम संपत्ति (घर या जमीन) है.

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मासिक के दौरान स्वच्छता में शहरी महिलाएं ज्यादा जागरूक

राज्य की शहरी महिलाएं मासिक के दौरान स्वच्छता को लेकर ज्यादा जागरूक हैं. शहर की 88.2 फीसदी और गांव की 70.8 फीसदी महिलाएं मासिक के दौरान स्वच्छता का ख्याल रखती हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि जागरूकता और शिक्षा के अभाव के कारण मासिक के दौरान ग्रामीण महिला स्वच्छता को प्राथमिकता नहीं देती हैं.

घरेलू निर्णय में गांव की महिलाओं की भागीदारी कम

राज्य की ग्रामीण महिलाएं घरेलू निर्णयों में हिस्सा नहीं लेती हैं. एनएफएचएस-पांच की रिपोर्ट के अनुसार शहर की 94.6 फीसदी महिलाएं घर के महत्वपूर्ण फैसलों में अपनी भागीदारी निभाती हैं. वहीं, गांव की महिलाओं की स्थिति इस मामले में नीचले स्तर पर है. आंकड़ों के अनुसार 89.8 फीसदी गांव की महिलाएं ही घरेलू निर्णय में हिस्सा ले पाती है.

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गांव की महिलाएं घरेलू हिंसा की होती ज्यादा शिकार

एनएफएचएस-पांच की रिपोर्ट की मानें तो गांव की महिलाएं घरेलू हिंसा की ज्यादा शिकार होती है. गांव की 33.4 फीसदी विवाहित महिलाएं (18-49 साल की ) जो कभी हिंसा की शिकार हुई. हालांकि इस मामले में शहर की 2.1 फीसदी महिलाओं के साथ ऐसा हुआ है. वहीं, गर्भावस्था के दौरान 3.4 फीसदी ग्रामीण महिलाओं के साथ शारीरिक हिंसा हुई है. इसके अलावा 18-29 वर्ष की 1.5 ग्रामीण युवतियां हिंसा की शिकार हुईं हैं.

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