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महिलाएं कर रहीं मशरूम का उत्पादन

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ग्रामीण इलाके में महिलाएं रोजगार के वैकल्पिक माध्यम की ओर अग्रसर हो रही है. टाटीसिलवे व आसपास के कई गांव की महिलाओं ने वैकल्पिक आय के लिए मशरूम की खेती को माध्यम बनाया है. इसके तहत कम लागत पर परिवार के लिए पौष्टिक आहार मिलता है तथा आमदनी अलग से होती है. उषा मार्टिन की पहल पर गांव के किसान परंपरागत खेती के अलावा नकदी फसल, ओल, दलहन व बागवानी की भी खेती कर रहे हैं.

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उषा मार्टिन की पहल : आत्मनिर्भर बन रही हैं ग्रामीण महिलाएं

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रांची : ग्रामीण इलाके में महिलाएं रोजगार के वैकल्पिक माध्यम की ओर अग्रसर हो रही है. टाटीसिलवे व आसपास के कई गांव की महिलाओं ने वैकल्पिक आय के लिए मशरूम की खेती को माध्यम बनाया है. इसके तहत कम लागत पर परिवार के लिए पौष्टिक आहार मिलता है तथा आमदनी अलग से होती है. उषा मार्टिन की पहल पर गांव के किसान परंपरागत खेती के अलावा नकदी फसल, ओल, दलहन व बागवानी की भी खेती कर रहे हैं.

कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी (सीएसआर) के तहत मशरूम को आमदनी का जरिया बनाने के लिए कारखाने के ईद-गिर्द के विभिन्न गांवों की सौ से अधिक महिलाएं एवं स्वंय सहायता समूह को प्रशिक्षण दिया गया था. रामकृष्ण मिशन, दिव्यायन एवं स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की उद्यमिता शाखा के माध्यम से इन महिलाओं को बटन मशरूम और ऑयस्टर मशरूम की खेती की बारीकियां बतायी गयी है.

इसके लिए टाटी, हरातू, महिलौंग, आरा, सिलवे, चतरा, मासू, हेसल व अनगड़ा में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये गये. पिछले सीजन में 144 स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मशरूम की खेती की थी. इस बार बरसात में ही ग्रामीणों ने मशरूम लगाना शुरू कर दिया है. कोरोना संकट को देखते हुए दस से अधिक लोगों को घर में ही सीएसआर प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रशिक्षण दिलाया गया है. मासू गांव के आसाराम महतो का मशरूम अब तैयार भी हो गया है. इसी प्रकार अन्य गांवों की महिलाएं भी तैयार मशरूम बेच रही है. सीएसआर के प्रतिनिधि मोनीत बूतकुमार एवं भुवनेश्वर महतो इन महिलाअों को मशरूम की मार्केटिंग में सहयोग कर रहे हैं.

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