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मसीहियों के लिए देश के खतरनाक 13 जिलों में रांची भी, सामाजिक बहिष्कार के 54 मामले छत्तीसगढ़ और झारखंड में

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जबकि, 2022 में 505 घटनाएं हुई थीं. उत्तर भारत के तीन बड़े राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं देखी जा रही हैं. इनमें 211 घटनाओं के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है

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देश में 13 ऐसे जिले हैं, जहां ईसाई धर्म का पालन करना खतरनाक होता जा रहा है. इनमें ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 51 घटनाओं के साथ बस्तर जिला (छत्तीसगढ़) सबसे आगे है. छत्तीसगढ़ के कोंडागांव में 14, उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में 14, जौनपुर, रायबरेली व सीतापुर में 13-13, कपूरपुर में 12, हरदोई, महाराजगंज, कुशीनगर व मऊ में 10-10 और गाजीपुर में नौ घटनाएं तथा झारखंड के रांची नौ घटनाएं हुई हैं. यह बात यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में कही है. इसमें 2023 के प्रथम आठ महीने की घटनाओं की चर्चा की गयी है.

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फोरम की ओर से बताया गया है कि सामाजिक बहिष्कार के 54 मामले मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ और झारखंड में हुए हैं. इस बहिष्कार में पीड़ितों को बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच जैसे- गांव के जल स्रोत, आम सड़कें आदि से वंचित करना शामिल हैं. कुछ मामलों में पीड़ितों को अपनी फसल काटने से रोका जाता है. रिपोर्ट के अनुसार, इस साल के आठ महीनों में भारत के 23 राज्यों से ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की 525 घटनाएं दर्ज की गयी हैं.

जबकि, 2022 में 505 घटनाएं हुई थीं. उत्तर भारत के तीन बड़े राज्यों में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा की सबसे अधिक घटनाएं देखी जा रही हैं. इनमें 211 घटनाओं के साथ उत्तर प्रदेश सबसे आगे है. इसके बाद 118 घटनाओं के साथ छत्तीसगढ़ और 39 घटनाओं के साथ हरियाणा है. 2014 के बाद से इस तरह की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. 2014 में 147, 2015 में 177, 2016 में 208, 2017 में 240, 2018 में 292, 2019 में 328, 2020 में 279, 2021 में 505, 2022 में 599 और 2023 के पहले 212 दिनों में 525 घटनाएं हुईं.

हिंसा की ये घटनाएं विशेष आस्था के तथाकथित निगरानी समूहों के नेतृत्व में भीड़ द्वारा की गयी हैं, जिन्हें कथित तौर पर सत्ता में बैठे लोगों का समर्थन है. ऐसे 520 ईसाई हैं, जिन्हें जबरन धर्मांतरण के झूठे आरोप में गिरफ्तार किया गया है. इस विज्ञप्ति में मणिपुर का विवरण शामिल नहीं है.

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