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NFHS-5 Jharkhand: झारखंड में बच्चों को बीमारियों से बचाने के लिए तेजी से चला टीकाकरण अभियान : सर्वे रिपोर्ट

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NFHS-5 Jharkhand: स्वास्थ्य सुधार में झारखंड ने पिछले राष्ट्रीय सर्वेक्षण की तुलना में बेहतर काम किया है. रिपोर्ट इसकी गवाही देते हैं. आप भी पढ़ें शिशु स्वास्थ्य पर एनएचएफएस-5 की विस्तृत रिपोर्ट...

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रांची: देश के पिछड़े राज्यों में शुमार देश के ‘सबसे अमीर’ राज्य झारखंड में स्वास्थ्य मानकों पर कई मामलों में सुधार आया है. शिशुओं के टीकाकरण की बात करें, तो इस मामले में गांवों ने शहरों को पीछे छोड़ दिया है. ये हम नहीं कह रहे. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे-5 (NFHS-5) के नतीजे बता रहे हैं. वर्ष 2020-21 में दो चरणों में कराये गये इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि झारखंड (NFHS-5 Jharkhand) में वर्ष 2015-16 की तुलना में वर्ष 2020-21 में बच्चों के वैक्सीनेशन में 6.7 फीसदी वृद्धि दर्ज की गयी है.

NFHS-5 के आंकड़ों को देखें, तो पता चलता है कि गांवों में शहरों की तुलना में ज्यादा टीकाकरण हुआ है. वर्ष 2015-16 में 72.7 फीसदी बच्चों को टीके लगाये जाते थे, जो अब बढ़कर 79.2 फीसदी हो गये हैं. शहरों में अभी भी सिर्फ 74.6 फीसदी बच्चों को सभी अनिवार्य टीके लगाये जाते हैं, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों के 80.1 फीसदी बच्चे पूरी तरह से टीकाकरण (Vaccination) के दायरे में आ गये हैं. वैक्सीनेशन कार्ड इसकी गवाही देते हैं.

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 के रिपोर्ट बताते हैं कि झारखंड में बीसीजी टीका लगाने की रफ्तार थोड़ी कम हुई है. पहले 95.8 फीसदी बच्चों को बीसीजी का टीका लगता था, अब 95 फीसदी को ही लगता है. ग्रामीण क्षेत्र के 95.4 फीसदी बच्चों को बीसीजी टीका लगा है, जबकि शहरों में 93 फीसदी बच्चों को.

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डीपीटी वैक्सीन लेने वाले बच्चों की संख्या थोड़ी बढ़ी है. रिपोर्ट के मुताबिक, पहले 82.4 फीसदी बच्चों को डीपीटी या पेंटा वैक्सीन के तीन खुराक लगाये जाते थे, अब 85.6 फीसदी बच्चों को लगाये जाते हैं. सर्वे से पता चला है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 86.7 फीसदी बच्चों को डीपीटी वैक्सीन की तीनों खुराक लगायी गयी, जबकि शहरों में 79.8 फीसदी बच्चों को.

पोलियो वैक्सीन के मामले में भी शहर से आगे निकल गये हैं गांव. पिछले सर्वे यानी NFHS-4 में बताया गया था कि 73.8 फीसदी बच्चों ने पोलियो वैक्सीन की तीन खुराक ली. NFHS-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 76.8 फीसदी हो गया. इसमें ग्रामीण क्षेत्र में 77.8 फीसदी बच्चों को पोलियो वैक्सीन की तीनों खुराक लगायी गयी, जबकि शहरी क्षेत्र में 71.2 फीसदी बच्चों को.

NFHS-4 में 82.6 फीसदी बच्चों को मीजल्स की पहली खुराक देने की जानकारी सामने आयी थी. NFHS-5 में यह बढ़कर 86.7 फीसदी हो गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 87.8 फीसदी बच्चों को मीजल्स का टीका लगा, जबकि शहरी क्षेत्रों में 81.0 फीसदी बच्चों को. मीजल्स की दूसरी खुराक 32.3 फीसदी बच्चों को लगी है. गांवों में 32.8 फीसदी बच्चों को मीजल्स के टीका की दूसरी खुराक मिल चुकी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में 29.7 फीसदी बच्चों को.

सर्वे के दौरान पता चला कि झारखंड में 74.6 फीसदी बच्चों को रोटावायरस वैक्सीन की तीन खुराक मिल चुकी है. ग्रामीण क्षेत्रों में 76.4 फीसदी बच्चों को रोटावायरस वैक्सीन लगा, जबकि शहर के 65.2 फीसदी बच्चों को ही वैक्सीन की तीनों खुराक मिल पायी.

हेपाटाइटिस बी का टीका लगाने के मामले में झारखंड ने काफी प्रगति की है. NFHS-4 के सर्वे में बताया गया था कि 56.4 फीसदी बच्चों को इस टीके की तीन खुराक लगी है, जबकि NFHS-5 में बताया गया है कि 84.4 फीसदी बच्चों को यह टीका लगाया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में 85.2 फीसदी बच्चों को हेपाटाइटिस बी वैक्सीन के तीन डोज दिये गये हैं. शहरी क्षेत्रों में 80.6 फीसदी बच्चों को ही वैक्सीन की तीन डोज मिल पायी है.

विटामिन ए की खुराक लेने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी

पिछले 6 महीने में 9 से 35 महीने तक के बच्चों को विटामिन ए की खुराक देने के मामले में स्वास्थ्यकर्मियों ने तेजी दिखायी है. झारखंड में पहले इस आयु वर्ग के 56.6 फीसदी बच्चों को विटामिन ए की डोज दी जाती थी, अब 70.9 फीसदी बच्चों को मिल रही है. इस मामले में शहरों ने गांवों को पीछे छोड़ दिया है. ग्रामीण क्षेत्र में 70.6 फीसदी बच्चों को विटामिन ए की डोज दी जा रही है, तो शहरों में 72.5 फीसदी बच्चे विटामिन ए की डोज ले रहे हैं.

96.5 फीसदी बच्चों को स्वास्थ्य केंद्रों में लगे टीके

झारखंड में 96.5 फीसदी बच्चों को अब स्वास्थ्य केंद्रों में अधिकांश टीके लगाये जा रहे हैं. NFHS-4 में यह आंकड़ा 95.3 फीसदी था. NFHS-5 में लोगों ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में 98 फीसदी बच्चों को अधिकांश टीके स्वास्थ्य केंद्रों में लगाये जा रहे हैं, जबकि शहरी क्षेत्र के लोगों ने बताया कि 89.1 फीसदी बच्चों को स्वास्थ्य केंद्रों में टीका लगवाये जा रहे हैं.

शहर में 10.9 फीसदी बच्चों को प्राइवेट अस्पतालों में लगते हैं वैक्सीन

NFHS-5 के सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि प्राइवेट अस्पतालों में टीका लगवाने वाले बच्चों की संख्या में कमी आयी है. NFHS-4 में बताया गया था कि झारखंड के 4.6 फीसदी बच्चों के माता-पिता उन्हें टीका लगवाने के लिए प्राइवेट अस्पतालों में ले जाते हैं. NFHS-5 में 2.9 फीसदी बच्चों को ही प्राइवेट अस्पतालों में टीके लग रहे हैं. शहरी क्षेत्रों में 10.9 फीसदी लोग अस्पताल में अपने बच्चों को टीका लगवाते हैं, तो ग्रामीण क्षेत्रों में सिर्फ 1.4 फीसदी.

(नोट: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खनिज संपदा से परिपूर्ण झारखंड राज्य को सबसे अमीर राज्य कहा करते थे.)

Posted By: Mithilesh Jha

Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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