17.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में बोतलबंद पानी का अनियंत्रित कारोबार, गांवों में भी खूब हो रही है बिक्री

Advertisement

जल संकट और बढ़ते प्रदूषण जैसी बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं ने झारखंड में पैकेज्ड वॉटर के कारोबार की साइज को बड़ा किया है. इस कारण बोतलबंद पानी की खपत हर जगह बढ़ी है. स्थानीय बाजारों में पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर चार अलग-अलग साइज और कीमतों में उपलब्ध है

Audio Book

ऑडियो सुनें

झारखंड में बोतलबंद पानी का कारोबार पूरी तरह से अनियंत्रित है. शहर तो शहर, अब गांवों में भी जार और बोतल वाले पानी की खूब बिक्री हो रही है. राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित कई ब्रांड झारखंड में बोतलबंद पानी के कारोबार के बड़े मार्केट में शामिल हैं. इनमें मिनरल वाटर बेचने का दावा करनेवाली कई कंपनियां शामिल हैं. वहीं, अगर लोकल ब्रांड की बात करें, तो अलग-अलग शहरों में अपने स्तर से कई ब्रांड अच्छी पकड़ बना रहे हैं. उनमें कुछ खास ब्रांड शामिल हैं, जो कोकर इंडस्ट्रियल एरिया, तुपुदाना, टाटीसिलवे और ओरमांझी जैसी औद्योगिक इकाइयों में बंटे हैं. इनमें कई तय मानकों के हिसाब से सबसे ज्यादा बिकनेवाले पैकेज्ड ड्रिंकिंग वाटर के स्थानीय ब्रांड हैं. झारखंड में बोतलबंद पानी के बिजनेस में सबसे बड़ी कंपनी राष्ट्रीय स्तर की स्वेदसी कंपनी ही है, जिसका बोतल बंद पानी एयरपोर्ट से लेकर सुदूरवर्ती देहात के जनरल स्टोर और छोटी दुकानों तक बिकते हुए नजर आता है. वहीं, बोतलबंद पानी के मार्केट में और भी कई कंपनियां हैं, जो ज्यादातर असंगठित तरीके से पानी का भूजल दोहन और बिक्री दोनों ही मनमाने तरीके से कर रही हैं. इस पर न तो सरकार का नियंत्रण है और न ही बाजार का.

- Advertisement -

प्रदूषित जल और सुलभ बाजार ने बढ़ायी बिक्री

जल संकट और बढ़ते प्रदूषण जैसी बढ़ती स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं ने झारखंड में पैकेज्ड वॉटर के कारोबार की साइज को बड़ा किया है. इस कारण बोतलबंद पानी की खपत हर जगह बढ़ी है. स्थानीय बाजारों में पैक्ड ड्रिंकिंग वाटर चार अलग-अलग साइज और कीमतों में उपलब्ध है. यह एक लीटर, दो लीटर, 500 मिली और 250 मिलीलीटर की बोतल में उपलब्ध है.

झारखंड में बोतलबंद पानी का बड़ा बाजार

यह रेगुलर पानी से अलग होता है, क्योंकि इसमें कैल्शियम कार्बोनेट, मैग्नीशियम सल्फेट, पोटेशियम और सोडियम सल्फेट अधिक घुले होते हैं. सूत्रों के अनुसार, झारखंड में बोतलबंद पानी का मार्केट साल 2021 में करीब प्रत्येक साल 100 करोड़ रुपये का था. इसमें बड़े ब्रांड की हिस्सेदारी करीब 30 से करोड़ रुपये के आसपास है. इनके पास संगठित बाजार एक चौथाई फीसदी हिस्सेदारी है. लोकल ब्रांड इससे पीछे हैं.

Also Read: Jharkhand: डुमरिया में भीतरआमदा के रानीझरना टोला में पेयजल संकट से मचा हाहाकार, नाले का पानी पे रहे सबर

प्रॉफिट और प्रतिस्पर्धा पर टिका है कारोबार

स्थानीय बोतल बंद पानी से जुड़े कारोबारी की मानें तो प्रॉफिट मार्जिन और प्रतिस्पर्धा में टिके रहना सबसे बड़ी चुनौती है. बाजार और क्वालिटी के हिसाब से यह लागत बढ़ सकती है. हालांकि, बाजार के जानकारों के मुताबिक, थोक में प्लास्टिक की बोतल की कीमत 80 पैसे से एक रुपया के करीब होती है. एक लीटर पानी की कीमत 1.5 रुपये आती है. वहीं पानी को विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजारने की लागत करीब 3.50-4.50 रुपये प्रति बोतल आती है. इसके अलावा अतिरिक्त लागत के रूप में 01 रुपया का खर्च आता है. इस प्रकार बोतलबंद पानी की एक बोतल की कुल लागत 6 रुपये 50 पैसे से 7 रुपये 50 पैसे के आसपास होती है.

Also Read: BIG ISSUE: रांची में बिना निगरानी बिक रहा पानी, संचालित हो रहे अवैध प्लांट, प्रशासन व निगम बना अनजान

ज्यादा गंभीर पहल करने की जरूरत : अमिकांत तिवारी

पैकेज्ड वाटर कंपनी के टेक्निकल हेड अमिकांत तिवारी कहते हैं कि हमारी जैसी जिम्मेदार कंपनियां प्लास्टिक प्रदूषण से संबंधित भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) व ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड (बीआइएस) व स्थानीय रेगुलरटीज के पेयजल मानकों से जुड़े जरूरी अहर्ता को पूरा करती हैं. पंजाब और चंडीगढ़ प्रशासन ने इस मामले में अपने यहां ज्यादा जागरूक होकर काम किया है. प्लास्टिक और जल प्रदूषण के मामले में डब्ल्यूएचओ के अध्ययन के बाद इस मामले में निगरानी और मूल्यांकन को लेकर ज्यादा गंभीर पहल करने की जरूरत है.

Also Read: झारखंड: जमशेदपुर शहर में जल संकट, ट्रीटमेंट के बाद भी पीने लायक नहीं है पानी, ये है वजह

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें