24.1 C
Ranchi
Tuesday, February 25, 2025 | 12:59 pm
24.1 C
Ranchi
Please configure the plugin settings with your API key and channel ID.

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

समाज की आंखों का पानी सूख जाना नदियों का मर जाना है : राजेंद्र सिंह

Advertisement

देश के ख्याति प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रकृति के प्रकोप को आज ग्लोबल वार्मिंग के नाम से दुनिया संबोधित करती है है. गांव के आम लोग इसे धरती को बुखार का नाम देते हैं. जब समाज की आंखों से नदियां गायब होती हैं, तो नदियां भी सूखने लगती हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

समुदाय केंद्रित नदियों के पुनर्जीवन विषय पर दो दिवसीय सेमिनार

रांची. देश के ख्याति प्राप्त जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कहा है कि प्रकृति के प्रकोप को आज ग्लोबल वार्मिंग के नाम से दुनिया संबोधित करती है है. गांव के आम लोग इसे धरती को बुखार का नाम देते हैं. जब समाज की आंखों से नदियां गायब होती हैं, तो नदियां भी सूखने लगती है. और जब नदियों और पानी को बचाने के लिए समाज उठ खड़ा होता है तो सरकारों को समाज के पास आना ही पड़ता है. श्री सिंह गुरुवार को अशोक नगर स्थित एक होटल में गैर सरकारी संस्था द्वारा समुदाय केंद्रित नदियों के पुनर्जीवन विषय पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार के उदघाटन सत्र में बोल रहे थे. श्री सिंह ने कहा कि जल प्रबंधन प्रणाली जितनी विकेंद्रित होंगी, नदियों के पुनर्जीवन की संभावनाएं उतनी संभव हो पायेंगी. दुर्भाग्य की बात है कि आज सरकारें खासकर नीति निर्धारक पारंपरिक देशज ज्ञान को नजरअंदाज करते रहे हैं. यही कारण है कि आज झारखंड ही नहीं देश और पूरी दुनिया में पानी का संकट विकराल होता जा रहा है.

जलछाजन योजना को धरातल पर उतारने की कोशिश

कृषि मंत्री दीपिका पांडेय ने कहा कि समाज का एक बड़ा तबका आज जल संकट का सामना कर रहा है. जो नयी जिम्मेदारी सरकार ने सौंपी है, पूरी कोशिश होगी कि जलछाजन जैसी महत्वाकांक्षी योजना को धरातल पर उतारें. विधायक सह दामोदर नदी को बचाने की मुहिम के प्रणेता सरयू राय ने कहा कि सरकारों द्वारा निर्गत किये जानेवाले अनुदानों अथवा कर्ज राशि को खर्च करना हमेशा से प्राथमिकता रहती है. जिसके कारण जिनके ऊपर योजनाओं के क्रियान्वयन की जिम्मेवारी होती है, उनकी प्राथमिक मंशा होती है कि योजना में से अधिकांश हिस्सा कैसे बचे. इसे हमलोग भ्रष्टाचार कहते हैं. प्रकृति के प्रति मनुष्यों खासकर सरकारों के अत्याचार से परिस्थितियां विकराल होती जा रही हैं. इसे हर हाल में रोकना होगा.

सरकार और समाज के बीच समन्वय जरूरी

पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित चामी मुर्मू ने अपील की है कि झारखंड का संघर्ष हमेशा से जल, जंगल, जमीन जैसे प्राकृतिक संसाधनों पर समुदाय का अधिकार स्थापित करने का रहा है. इसी दिशा में सरकार और समाज दोनों के आपसी समन्वय से नदियों के पुनर्जीवन का सपना साकार हो सकेगा. पत्रकार मधुकर ने कहा कि झारखंड का गठन ही जल, जंगल, जमीन के पृष्ठभूमि पर हुआ था. दुनिया में विज्ञान से हमने आधुनिक सुविधाओं का उपभोग करना सीखा है, लेकिन दुनिया में एक कारखाना भी नहीं है जहां पानी और मिट्टी जैसे प्राकृतिक संसाधनों का निर्माण किया जा सके. सामाजिक कार्यकर्ता बलराम ने कहा कि धरती का 71% पानी समुद्र में भंडारित है और 2.4% पानी ग्लेशियर में निहित है. इन दोनों स्रोतों की झारखंड में कोई संभावना नहीं है. यहां तो पानी का स्रोत मात्र 0.6% है. इसी से हमारा पूरा जीवनचक्र चलता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

संबंधित ख़बरें

Trending News

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें
Home होम Videos वीडियो
News Snaps NewsSnap
News Reels News Reels Your City आप का शहर