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झारखंड के 5 जिलों में पकड़ी गयी बीज खरीदारी में 25 करोड़ की गड़बड़ी, ऐसे हुआ मामले का खुलासा

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टारगेटिंग राइस फेलो एरिया टर्फा योजना में गड़बड़ी सामने आयी है. पांच जिलों में बिना आपूर्ति आदेश के ही बीज की आपूर्ति करने, कागज में आपूर्ति दिखाने संबंधित मामले पकड़ में आये हैं.

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रांची : टारगेटिंग राइस फेलो एरिया (टर्फा) योजना में मूंग, चना, सरसों, मसूर, तीसी सहित अन्य सामग्री की खरीदारी में भारी गड़बड़ी हुई है. राज्य के पांच जिलों में जांच के दौरान बिना आपूर्ति आदेश के ही बीज की आपूर्ति करने, कागज में आपूर्ति दिखाने, दूसरे आपूर्तिकर्ताओं के बदले आपूर्ति करने से संबंधित मामले पकड़ में आये हैं.

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बीज की आपूर्ति और वितरण से संबंधित अधिकतर बिल को तत्कालीन जिला कृषि पदाधिकारियों ने पारित ही नहीं किया है. केंद्र प्रायोजित इस योजना पर सरकार 2017-20 तक की अवधि में 25 करोड़ रुपये की सामग्रियां खरीद चुकी है. हालांकि अब तक किसी भी सप्लायर को भुगतान नहीं किया जा सका है.

सरकार ने टर्फा योजना में गड़बड़ी की शिकायतों के मद्देनजर जांच के लिए चार सदस्यीय समिति का गठन किया था. समिति ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में गंगोत्री इंडस्ट्रीज और शारदा एग्रो ने इंटीग्रेटेड न्यूट्रिएंट मैनेजमेंट (आइएनएम) की आपूर्ति की थी. इससे संबंधित दस्तावेज तत्कालीन जिला कृषि पदाधिकारी ने पारित नहीं किया है.

2018-20 में चना, मसूर बीज खरीद और वितरण से संबंधित दस्तावेज को जिला कृषि पदाधिकारी ने पारित नहीं किया है. चतरा में 2018-19 के दौरान एनएससी ने 1649.7 क्विंटल चना बीज की आपूर्ति की. इससे संबंधित 1.42 करोड़ रुपये का बिल जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा पारित नहीं किया गया है.

मसूर और मटर बीज की आपूर्ति का आदेश भी एनसीसी को दिया गया था. लेकिन बदले में शारदा एग्रो एजेंसी ने 300 क्विंटल मसूर और 202 क्विंटल मटर बीज की आपूर्ति की. इसके बदले 41.84 लाख रुपये का बिल जमा किया. यह बिल जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा पारित नहीं है. मूंग के बीज की आपूर्ति का आदेश कार्यालय द्वारा नहीं दिया गया था.

फिर भी शारदा एग्रो ने 78 क्विंटल मूंग बीज की आपूर्ति का दावा करते हुए सात लाख रुपये का बिल जमा किया. इस बात के मद्देनजर जांच रिपोर्ट में आपूर्ति की प्रक्रिया को संदेहास्पद करार दिया गया.

मेसर्स एडवांस क्रॉप केयर प्राइवेट लिमिटेड ने आइएनएम और आइपीएम (इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट) की आपूर्ति का दावा करते हुए 4.53 लाख रुपये का बिल जमा किया. लेकिन आपूर्ति करने से संबंधित किसी तरह का दस्तावेज कार्यालय में नहीं है.

रिपोर्ट में इस आपूर्ति को संदेहास्पद करार दिया गया है. रिपोर्ट में पश्चिम सिंहभूम जिले की चर्चा करते हुए कहा गया है कि शारदा एग्रो ने बिना आपूर्ति आदेश के ही 149.92 क्विंटल मसूर बीज की आपूर्ति की और 15.74 लाख रुपये का बिल जमा किया. इसे जिला कृषि पदाधिकारी ने पारित किया है. आपूर्ति से संबंधित चालान कार्यालय में नहीं है.

यानी इसकी खानापूर्ति की गयी है. योजना के लाभुकों की सूची कार्यालय में है, लेकिन उस पर न तो उनके हस्ताक्षर हैं और न ही बीज देने से संबंधित कोई ब्योरा दर्ज है. शारदा एग्रो ने 1500 क्विंटल लाइम पाउडर के आपूर्ति आदेश के आलोक में 300 क्विंटल की आपूर्ति की और 4.21 लाख रुपये का बिल दिया. इस मद में सिर्फ 2.50 लाख रुपये का बजटीय प्रावधान था. लाइम पाउडर की इंट्री स्टॉक रजिस्टर में है.

लेकिन उस पर किसी के दस्तखत नहीं हैं. इसके बांटे जाने से संबंधित कोई दस्तावेज भी कार्यालय में नहीं है. वित्तीय वर्ष 2018-19 में शारदा एग्रो ने पश्चिम सिंहभूम में ही बिना आपूर्ति आदेश के 270 क्विंटल मूंग बीज की आपूर्ति की. कार्यालय में चालान नहीं है. स्टॉक रजिस्टर में इंट्री नहीं है. हालांकि इस मद में 24 लाख रुपये के बिल को जिला कृषि पदाधिकारी ने पारित किया है.

रिपोर्ट में दुमका जिले में 2017-18 के दौरान चना बीज की आपूर्ति को भी संदेहास्पद करार दिया गया है. दुमका में 480.20 क्विंटल चना बीज की आपूर्ति कृषि निदेशक द्वारा 10 नवंबर 2017 को जारी आदेश के आलोक में किया गया है. हालांकि इससे संबंधित बिल पर तीन जनवरी 2017 लिखा हुआ है, जो वित्तीय वर्ष शुरू होने से पहले का है.

वित्तीय वर्ष 2019-20 में 49.65 लाख रुपये की लागत पर दुमका में 405 क्विंटल चना, 84 क्विंटल मसूर और 30 क्विंटल मटर बीज की खरीदारी की गयी. हालांकि इसके वितरण से संबंधित कोई दस्तावेज कार्यालय में उपलब्ध नहीं है.

रिपोर्ट में पलामू जिले में चना और मसूर बीज की खरीदारी को भी संदेहास्पद करार दिया गया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 में कृषि निदेशक द्वारा आपूर्ति आदेश देने से पहले ही परियोजना निदेशक (आत्मा) ने चना और मसूर बीज की खरीदारी के लिए आदेश जारी कर दिया था. 2018-19 में मटर और मूंग की आपूर्ति गणपति एग्रो बायोटेक द्वारा की गयी. हालांकि आपूर्ति का आदेश एनएससी को दिया गया था. कार्यालय में एनएससी द्वारा आपूर्ति में असमर्थता व्यक्त किये जाने से संबंधित कोई पत्र उपलब्ध नहीं है.

क्या है मामला

केंद्र सरकार ने धान की फसल के बाद खाली खेतों में दूसरी फसल पैदा करने करने के उद्देश्य से टर्फा योजना की शुरुआत की थी. योजना के लिए तीन वित्तीय वर्ष (2017-20) का समय निर्धारित किया गया था. इस योजना को राज्य के पांच जिलों (रांची, चतरा, पश्चिम सिंहभूम, दुमका, पलामू) में क्रियान्वित किया गया.

सरकार द्वारा राज्यादेश जारी किये बिना ही जिलों में इस योजना को शुरू कर दिया गया. इससे इस मद का पैसा ट्रेजरी से नहीं निकाला जा सका. बाद में सरकार ने पैसों की निकासी और भुगतान का आदेश दिया. हालांकि ट्रेजरी से पैसों की निकासी नहीं की जा सकी. इस बीच योजना में गड़बड़ी की शिकायत सरकार को मिली. इसके बाद सरकार ने इसकी जांच का आदेश दिया था.

Posted By: Sameer Oraon

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