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आदिवासियों तक नहीं पहुंची विकास की किरण

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रोजगार के अभाव में पलायन कर रहे मचवा टांड़ के ग्रामीण

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प्रतिनिधि, खलारी सरकार आदिवासियों के उत्थान के लिए कई योजनाएं चला रही हैं. लेकिन इसका वास्तविक लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है. वर्तमान में आदिवासी परिवार समस्याओं से घिरे हुए हैं. खलारी प्रखंड के चूरी दक्षिणी पंचायत का मचवाटांड़ गांव आदिवासी बहुल है. इस गांव में लगभग 30 मकान हैं. गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. शैक्षणिक व्यवस्था से लेकर स्वास्थ्य, पानी, सड़क, रोजगार आदि के लाभ से यहां के आदिवासी पूरी तरह वंचित हैं. प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ इन्हें नहीं मिला है. शौचालय का लाभ भी नहीं मिला है. गांव में पेयजल की व्यवस्था नहीं है. एक मात्र सोलर टंकी लगी है, वह भी इस गर्मी में जवाब दे चुका है. ग्रामीण गांव से एक किलोमीटर दूर एक डाड़ी कुआं पर निर्भर हैं. मुखिया को जानकारी होने के बावजूद ध्यान नहीं दिया गया है. मचवा टांड़ गांव में रहनेवाले आदिवासी परिवारों के समक्ष समस्याएं कई हैं, लेकिन सबसे अधिक परेशानी पेयजल को लेकर है. गांव जाने के नहीं है सड़क : प्रकृति की गोद में बसे 30 परिवारों के इस गांव में आज तक आने-जाने के लिए सड़क नहीं है. सरकार द्वारा संचालित योजनाओं की जानकारी उन तक नहीं पहुंच पाती है. गांव में पक्की सड़क नहीं रहने से काफी परेशानी होती है. बरसात के दिनों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो उसे चारपाई पर बिठाकर मुख्य सड़क तक ले जाना पड़ता है. ग्रामीणों ने बताया कि उनकी जीविका खेती पर निर्भर है. पलायन से परेशानी : मचवा टांड़ के युवा गांव में कोई रोजगार नहीं होने से पलायन करने को विवश हैं. ग्रामीणों ने बताया कि चुनाव के समय यहां कुछ नेता दिख जाते हैं. लेकिन इसके बाद प्रशासन की नजर यहां नहीं पड़ रही. जबकि आदिवासियों के लिए तो कई जनहितैषी योजनाओं को भौतिक रूप देने का दावा भी किया जाता है. गांव में नहीं बने शौचालय : खुले में शौच मुक्त होने के दावे को मचवाटांड़ गांव आइना दिखाता है. लोग सुबह-शाम लोटा लेकर खेतों में जाते हैं. ग्रामीणों को अभी तक शौचालय का लाभ नहीं मिला है. स्वच्छता अभियान की किरण से अभी तक यह गांव अछूता है. मूलभूत सुविधाओं से वंचित ग्रामीण महिलाओं को बारिश के दिनों में शौच के लिए बाहर जाने में काफी परेशानी होती है. समस्याओं से घिरा है गांव : गांव के बलदेव मुंडा ने बताया कि यह गांव समस्या से घिरा हुआ है. बताया कि 30 घर की आबादी वाले इस बस्ती में सभी गरीब परिवार हैं. सभी का घर मिट्टी का है. लेकिन आज तक किसी को न प्रधानमंत्री आवास न अबुआ आवास का लाभ मिला है. रोजगार का कोई साधन नहीं है. ग्रामीण जंगल से लकड़ी लाकर बाजार में बेचते हैं तो घर का चूल्हा जलता है. जलमीनार से नहीं मिल रहा पानी : पंचू मुंडा, अनिता देवी, मेघु मुंडा, राजेश मुंडा ने बताया कि गांव विकास के नाम पर बिजली और एक जलमीनार लगा है. बताया कि वह भी जलमीनार इस भीषण गर्मी में पानी देना बंद कर दिया है. बताया कि गांव से दो किलोमीटर दूर एक डाड़ी कुआं है, जहां से लोग पानी लाकर अपनी प्यास बुझाते हैं. बताया कि बारिश की पानी के भरोसे मात्र एक फसल ही कर पाते हैं. बताया कि हर चुनाव में गांव के लोग वोट देते हैं, पर गांव के विकास पर किसी का ध्यान नहीं है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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