16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

इस आदिवासी परिवार के बच्चों को है तारणहार का इंतजार, जन्म से ही है दिव्यांग, नहीं मिल रही कोई मदद

Advertisement

बेड़ो के आदिवासी परिवार के बच्चे जन्म से ही दिव्यांग हैं, बिस्तर पर कट रही जिंदगी

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची : जब किसी घर में बच्चे की किलकारियां गूंजती हैं, तो मां-बाप उसके लिए तरह-तरह के सपने सजाने लगते हैं. उसके पालन-पोषण, पढ़ाई-लिखाई, शादी-ब्याह से लेकर अपने बुढ़ापे की लाठी बनने तक के अरमान संजोने लगते हैं. लेकिन, लोदो उरांव और मंजू उरांव के सारे सपने दम तोड़ रहे हैं, क्योंकि इनके तीनों बच्चे जन्म से ही दिव्यांग हैं.

- Advertisement -

बेड़ो प्रखंड मुख्यालय से चार किमी दूर आदिवासी बहुल गांव जरिया पीपरटोली का रहनेवाला यह दंपती अब अपने बच्चों के लिए किसी तारणहार का इंतजार कर रहा है. इन्होंने अपने बच्चों के समुचित इलाज कराने की गुहार लगायी है, ताकि उनका भविष्य संवर सके. उरांव दंपती का बड़ा पुत्र सौरभ तिर्की 14 वर्ष, दूसरा पुत्र श्रीसा उरांव आठ वर्ष और पुत्री शिवा उरांव पांच वर्ष की है. सौरभ घिसट कर कुछ दूर तक चलता है और टूटी-फूटी आवाज में कुछ बोलता है, लेकिन श्रीसा व शिवा न तो बोलते हैं न चल-फिर पाते हैं.

दिनभर बिस्तर पर पड़े रहते हैं. नित्यकर्म भी बिस्तर पर होता है. माता-पिता इनके हावभाव से ही इन्हें समझ पाते हैं.

अनपढ़ पति ने मेहनत कर कराया डीएलएड : मंजु उरांव बताती है कि उसने केसी भगत काॅलेज से अर्थशास्त्र में बीए किया है. 2002 में उसके पिता ने अनपढ़ लोदे उरांव से उसकी शादी कर दी.

पर उसके हौसले को देखते हुए अनपढ़ पति ने शादी के बाद डीएलएड कराया. फिर मेहनत कर उसने टेट की परीक्षा पास की. पति व बच्चों के साथ सुनहरे जीवन का सपना देखा था, लेकिन वह टूट गया. शादी के बाद तीन बच्चे हुए, लेकिन तीनों दिव्यांग. यह देख उसके हौसले पस्त हो गये. अब ये ही उसकी दुनिया हैं. वह नौकरी करना चाहती है, लेकिन घर से बाहर नहीं जा सकती. बाहर चली गयी, तो बच्चों को कौन देखेगा.

अब नौकरी की तैयारी छोड़कर बच्चों की सेवा में लगी है. इनकी स्थिति ऐसी है कि रात में सोने नहीं देते और दिन में इन्हें छोड़कर कहीं जा नहीं सकती. मंजु उरांव कहती है कि जब तक जीवित रहूंगी, इनकी देखरेख करती रहूंगी, परंतु मेरे बाद इनका क्या होगा?

खेती और मजदूरी कर परिवार पाल रहा पति

लोदे उरांव ने कहा : परिवार का एकमात्र कमानेवाला हूं. ग्रामीण बैंक बेड़ो से 40 हजार का केसीसी लोन ले रखा. पुश्तैनी जमीन में खेतीबारी के साथ-साथ मजदूरी भी कर लेता हूं. किसी तरह परिवार चल रहा है. लाल कार्ड है, लेकिन दो बच्चों का नाम नहीं जुड़ा है. सौरभ को दिव्यांग पेंशन मिलता है. कुछ महीनों से श्रीसा को भी दिव्यांग पेंशन मिल रहा है. एक बच्चे को ट्राइसाइकिल मिली है, जो अब पुरानी हो गयी है.

Posted By : Sameer Oraon

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें