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झारखंड: शिक्षकों ने राजभवन के समक्ष किया चंडी पाठ व हवन, 30 साल पुरानी कौन सी मांग नहीं हो रही है पूरी?

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शिक्षकों ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में जो आश्वासन दिया है, उसका पालन किया जाए. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कार्मिक को पत्र जो लिखा है, उस पर अविलंब कार्रवाई की जाए. राजभवन के समक्ष महाधरना में वित्तरहित इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय व मदरसा के शिक्षक डटे रहे.

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रांची: राजभवन के समक्ष सोमवार को आयोजित महाधरना में वित्तरहित इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय व मदरसा के शिक्षक बारिश में भी लगातार डटे रहे. बारिश में भींगते हुए शिक्षक धरना पर बैठे रहे. शिक्षकों व कर्मचारियों को राज्यकर्मी का दर्जा देने और सरकारी कर्मियों के समान वेतन देने की मांग कर रहे थे. धरना स्थल पर पीला वस्त्र पहने संस्कृत विद्यालय के शिक्षकों ने पूरे विधि-विधानपूर्वक चंडी पाठ किया. अंत में हवन करते हुए सरकार को सद्बुद्धि देने की मां दुर्गा से प्रार्थना की. महाधरना के बाद राज्यपाल के नाम राजभवन में मांगों से संबंधित ज्ञापन साौंपा गया. इससे पूर्व राज्य के विभिन्न जिलों से आये सैकड़ों शिक्षक सुबह 10 बजे से ही राजभवन के पास एकत्र होने लगे थे. मोर्चा के संजय कुमार ने कहा कि समस्याओं के समाधान के लिए शिक्षकों को संघर्ष तेज करना होगा. प्रतिनिधियों ने कहा कि वह पिछले 25-30 वर्षों से बिना वेतन के काम कर रहे हैं. ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं. वित्तरहित स्कूल-इंटर कॉलेज का अधिग्रहण किया जाए.

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सीएम हेमंत सोरेन से की ये मांग

शिक्षकों ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में जो आश्वासन दिया है, उसका पालन किया जाए. स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग ने कार्मिक को पत्र जो लिखा है, उस पर अविलंब कार्रवाई की जाए. प्रधान सचिव ने दिनांक 17 अक्तूबर 2021 को पत्र लिखा था कि मुख्यमंत्री के सचिवालय के पत्र और सदन में आश्वासन के आलोक में वित्तरहित शिक्षा नीति समाप्त करते हुए शिक्षा कर्मियों को सरकारी कर्मी के समान वेतन देने की दिशा में कार्रवाई की जाए. 2020-21 के अनुदान की राशि विभाग में लंबित है, उसे शीघ्र आवंटित की जाये, क्योंकि 42 स्कूलों को अनुदान दे दिया गया है और शेष स्कूलों का बिना कारण अनुदान रोक कर रखा गया है. बार-बार आश्वासन मिलने के बाद भी राशि निर्गत नहीं की गयी है.

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मौके पर ये थे उपस्थित

झारखंड राज्य वित रहित शैक्षणिक संस्थान अनुदान अधिनियम 2004 में ग्रेडिंग का कोई प्रावधान नहीं है. बिना कारण चौगुना अनुदान के प्रस्ताव को रोक कर रखा गया है. अनुदान नियमावली-2015 में संशोधन करने के प्रस्ताव पर विभागीय मंत्री का अनुमोदन हो चुका है, लेकिन मामला लंबित है. संजय कुमार, देवराज मिश्र, रंजीत मिश्रा, वीरेंद्र सिंह, महात्मा प्रसाद सिंह, बिरसो उराव, परमेश्वर शर्मा ,संजय कुमार, जितेंद्र बहादुर सिंह आदि ने धरना को संबोधित किया. इस अवसर पर कुंदन कुमार सिंह, रघुनाथ सिंह, संजय कुमार, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद, अरविंद सिंह, नरोत्तम सिंह, चंदेश्वर पाठक,अनिल तिवारी, देवनाथ सिंह, गणेश महतो, मनीष कुमार, रघु विश्वकर्मा, वीरेंदर सिंह, डालेश चौधरी, गणेश महतो, नंदलाल पांडेय, अर्जुन पांडेय ,सुरेश पांडेय, शिव शंकर, अनिल तिवारी सहित काफी संख्या में शिक्षाकर्मी उपस्थित थे.

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वित्तरहित शिक्षकों की प्रमुख मांगें

-विगत 25-30 वर्षों से चल रहे स्कूल- इंटर कॉलेजों का अधिग्रहण किया जाए.

-कार्यरत शिक्षक व कर्मियों को राज्यकर्मी का दर्जा दिया जाए.

-मुख्यमंत्री सदन में अपने दिये गये आश्वासन को पूरा करें.

-इंटर कॉलेज के प्लस टू स्कूल में शिफ्टिंग के निर्णय को खत्म किया जाये.

-उच्च विद्यालय के स्लैब में अविलंब संशोधन किया जाये.

-इंटरमीडिएट शिक्षक कर्मचारी सेवाशर्त नियमावली को मंत्री परिषद में भेजी जाए.

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चरणबद्ध आंदोलन जारी रखने का निर्णय

-सात अक्टूबर- इंटर कॉलेज, उच्च विद्यालय, संस्कृत विद्यालय व मदरसा संस्थान के प्रवेश द्वार पर शिक्षा सचिव का पुतला दहन.

-आठ अक्तूबर तक चलेगा विधायकों का घेराव कार्यक्रम.

-12 अक्टूबर तक वित्तरहित शिक्षाकर्मी अपने-अपने जिला मे निवास करनेवाले मंत्री का घेराव करेंगे.

-13 अक्टूबर को पलामू प्रमंडल व उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त के कार्यालय के सामने एक दिवसीय धरना.

-नवंबर के प्रथम सप्ताह में मुख्यमंत्री आवास का घेराव.

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