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झारखंड की बलात्कार पीड़िता की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी, बलात्कार पीड़िता से होता है भेदभाव

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झारखंड की एक बलात्कार पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणी

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supreme court on physical assault victim, supreme court news रांची : झारखंड की एक बलात्कार पीड़िता की ओर से दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने की टिप्पणीएक बलात्कार पीड़िता न सिर्फ मानसिक आघात झेलती है, बल्कि सामाजिक भेदभाव का भी सामना करती है. सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जनजाति से संबंधित झारखंड की एक बलात्कार पीड़िता की अोर से दायर याचिका का निष्पादन करते हुए उक्त टिप्पणी की.

जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की खंडपीठ ने रांची के उपायुक्त को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता के नाबालिग तीन बच्चों को रांची जिला के किसी भी सरकारी संस्थान में मुफ्त शिक्षा प्रदान कराने की व्यवस्था की जाये. प्रधानमंत्री आवास योजना या किसी अन्य केंद्रीय या राज्य योजना के तहत याचिकाकर्ता को आवास प्रदान करने के मामले में विचार करने को कहा.

साथ ही एसएसपी व अन्य सक्षम प्राधिकारी को पीड़िता को प्रदान की गयी सुरक्षा की समीक्षा करने तथा अब तक उठाये गये कदम की जानकारी देने को कहा. वहीं डीएलएसए रांची को निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा दिये गये अभ्यावेदन के आलोक में कानूनी सेवाएं दी जाये, जिसे याचिकाकर्ता के हित को सुरक्षित रखने के लिए उपयुक्त माना जा सके. उल्लेखनीय है कि पीड़िता ने 2019 में एक रिट याचिका दायर करके शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.

याचिका में कहा गया था कि 1998 में उसकी शादी हुई थी. इसी साल उसके साथ मो अली (जिसे बाद में दोषी ठहराया गया था) और तीन अन्य आरोपियों ने बलात्कार किया था. पीड़िता की पहचान का मीडिया ने खुलासा कर दिया. इस कारण पीड़िता को कोई भी किराये पर मकान देने के लिए तैयार नहीं था. उसे परिवार के सदस्यों, दोस्तों या समाज से कोई मदद नहीं मिली है. वह तीन बच्चों के साथ है, उसके पास जीविकोपार्जन का कोई साधन नहीं है. वह अपने बच्चों को शिक्षा देने में सक्षम नहीं है.

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Posted By : Sameer Oraon

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