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सरकारी उपेक्षा का शिकार है हफुआ-तरंवा में ईख उत्पादन

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कच्ची नहर के कारण खेतों तक नहीं पहुंच पाता है पानी

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पिपरवार

सरकार की उपेक्षा के कारण हफुआ-तरवां में ईख उत्पादन में 75 प्रतिशत तक की कमी आयी है. कच्ची नहर का आधा पानी रास्ते में बर्बाद हो जाने से खेतों को पानी नहीं मिल पा रहा है. इसकी वजह से अब किसान सिर्फ 25 फीसदी खेतों में ही ईख लगा रहे हैं. जानकारी के अनुसार कोयलांचल का हफुआ-तरवां गांव में बना गुड़ काफी मशहूर है. यहां का बना गुड़ लोगों को खूब पंसद है. 10 वर्ष पूर्व व्यापारी यहां से गुड़ ले जाते थे. इससे लगभग 550 किसान आत्मनिर्भर थे. पर इधर, इसकी खेती में कमी आने की वजह से यहां के लोगों की आमदनी भी घट गयी है. जानकारी के अनुसार उक्त गांव की खेतों को हिंगवाही झरना का आशीर्वाद प्राप्त है. इस पानी से सैकड़ों एकड़ खेतों की सिचाई होती थी. किसान पहाड़ से निकलने वाले इस झरने का पानी वर्षों से खेतों को पटाने में करते हैं. यह पानी पांच किमी लंबी कच्ची नहर के माध्यम से आता है. इससे आधा पानी रास्ते में ही बर्बाद हो जाता है. किसान झरने के पानी का 100 फीसदी उपयोग नहीं कर पाते हैं. इसके जीर्णोद्धार पर सरकार का अब तक ध्यान नहीं गया है और न ही प्रखंड के अधिकारी इसकी सुध लेते हैं. इस संबंध में ग्रामीण युवक गुलाब महतो ने बताया कि 10 वर्ष पूर्व सीसीएल ने सीएसआर योजना के तहत इस कच्ची नहर को 300 मीटर तक बड़े-बड़े पत्थरों से पक्का कर दिया था. निर्माण कार्य सही नहीं होने की वजह से इसके दरार से पानी बह कर बर्बाद हो रहा है. अब किसानों को पहले जैसा पानी नहीं मिल पा रहा है. इससे गन्ना के अलावा धान, गेहूं, सब्जियों की पैदावार भी घटा है. गुलाब महतो ने बताया कि इस लोकसभा चुनाव में भी नहर को पक्कीकरण करने का मुद्दा उठाया जायेगा. यदि इस नहर का पक्कीकरण हो जाये तो यहां के किसान पहले की तरह खुशहाल हो जायेंगे.

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