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गभीर बीमारी से पीड़ित झारखंड का ये मरीज खा रहा दर दर की ठोकरें, नहीं मिल रही सरकारी मदद

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नेपाल हाउस सचिवालय के गेट पर दो दशकों से भी ज्यादा समय से छोटी सी दुकान चलाकर गुजर-बसर करनवाले गंगा सिंह के कांपते होठों से बमुश्किल आवाज निकलती है. कहते हैं - सरकारी मदद न मिली, तो सुनैना दुनिया छोड़ देगी

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रांची : बुजुर्ग गंगा सिंह की पत्नी सुनैना (63) पेट के कैंसर से जूझ रही हैं. इस गंभीर बीमारी के कारण दर्द से तड़प रही अपनी पत्नी के बेहतर इलाजा के लिए गंगा सिंह दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. उनके हाथ में पत्नी के इलाज से जुड़ी अस्पताल की मोटी फाइलें हैं, जिसमें कुछ मेडिकल रिपोर्ट करीने से रखे हुई हैं. इसमें एक पेपर ओरमांझी स्थित एक कैंसर अस्पताल का है, जिसमें डॉक्टर ने तत्काल उनका पैट सीटी कराने की सलाह दी है. पैसे खत्म होने के बाद निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने उनका इलाज करने से मना कर दिया है.

नेपाल हाउस सचिवालय के गेट पर दो दशकों से भी ज्यादा समय से छोटी सी दुकान चलाकर गुजर-बसर करनवाले गंगा सिंह के कांपते होठों से बमुश्किल आवाज निकलती है. कहते हैं : सरकारी मदद न मिली, तो सुनैना दुनिया छोड़ देगी. उन्होंने पूर्व में आवेदन किया था, तो कई प्रयासों के बाद उन्हें उपचार की स्वीकृति दी गयी. लेकिन गंभीर बीमारी वालों में सबकी किस्मत गंगा सिंह के जैसी नहीं है.

Also Read: स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च नहीं कर रहा झारखंड, पांच साल में सिर्फ 58% ही हुआ व्यय

ऐसे लोग बाबुओं से नियम बदलवाने की फरियाद कर रहे हैं.आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को महंगा इलाज मुहैया कराने के लिए राज्य में दो तरह की योजनाएं हैं. पहला- आयुष्मान भारत : मुख्यमंत्री जनआरोग्य योजना, जिसके तहत 2196 तरह की बीमारियों के इलाज के लिए रोगी को पांच लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जाती है. इसके तहत हुए इलाज के दावे का भुगतान आयुष्मान पोर्टल से होता है. दूसरा- मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना, जिसके तहत 21 तरह के असाध्य रोगों का इलाज होता है. इसमें रोगी को न्यूनतम पांच लाख से अधिकतम 25 लाख रुपये तक की आर्थिक सहायता दी जा सकती है.

VIDEO: रांची-गिरिडीह एक्सप्रेस ट्रेन शुरू, विस्टाडोम कोच से उठा सकेंगे प्राकृतिक सौंदर्य का नजारा विभाग के एक संकल्प से मरीजों परेशानी बढ़ी, सिविल सर्जन कार्यालय भी भ्रम में :

बीते तीन अगस्त को स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एक संकल्प पत्र ने ‘मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना’ के लाभुकों की परेशानी बढ़ा दी है. इसमें कहा गया है कि अनियमितता की शिकायतों के मद्देनजर ‘मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना’ के इस्टिमेट का अनुमोदन झारखंड स्टेट आरोग्य सोसाइटी के जरिये किया जायेगा.

हालांकि, योजना राशि का भुगतान अब भी सिविल सर्जन के स्तर से ही किया जाना. यानी नये संकल्प के मुताबिक पाकुड़ में इलाज करा रहे किसी गंभीर बीमारी के मरीज को राशि की मंजूरी लेने 372 किमी दूर रांची आना होगा. इस नये संकल्प पत्र के कारण कैंसर, हृदय, लीवर और किडनी की बीमारी से जूझा रहे मरीजों की परेशानी और बढ़ गयी है.

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