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सरना कोड के लिए आंदोलन फिर हुआ तेज, जनगणना 2021 में शामिल करने को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल मिला राज्यपाल से

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जनगणना में सरना कोड को शामिल कराने की मांग को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल कल गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मिला. बता दें कि टीएसी की बैठक में भी तय हुआ था कि सरना धर्म कोड के लिए राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा जायेगा.

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रांची : जनगणना 2021 में राज्य के आदिवासियों के लिए अलग सरना आदिवासी धर्म कोड का प्रावधान लागू करने की मांग को लेकर सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को राज्यपाल रमेश बैस से मुलाकात की. प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व मंत्री चंपई सोरेन कर रहे थे. प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर केंद्र सरकार को अनुशंसा भेजने की मांग की है.

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पिछले दिनों टीएसी की बैठक में भी तय हुआ था कि सरना धर्म कोड कॉलम के लिए राज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को ज्ञापन सौंपा जायेगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी इस मामले को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री से मिले थे. प्रतिनिधिमंडल में बंधु तिर्की, राजेश कच्छप, विक्सल कोंगाड़ी, स्टीफन मरांडी, दीपक बिरूआ, विकास मुंडा, लंबोदर महतो, डॉ देवशरण भगत, राजद एवं वामदल के नेता शामिल थे.

हमारी अलग पहचान होनी चाहिए : चंपई सोरेन

राज्यपाल से मिलने के बाद मंत्री चंपई सोरेन ने पत्रकारों से कहा कि प्रकृति पूजक आदिवासियों को अपना धर्म कोड नहीं होने का नुकसान उठाना पड़ रहा है. झारखंड सहित पूरे देश में 12 करोड़ से अधिक प्रकृति पूजक आदिवासी रहते हैं. जनगणना में इनका अलग धर्म कोड नहीं होना दुखद है. इसलिए केंद्र सरकार को अविलंब आदिवासियों को अलग धर्म कोड देना चाहिए. भाजपा द्वारा सरना को हिंदू बताये जाने पर उन्होंने कहा कि वे लोग कुछ भी कह सकते हैं. हमारी अपनी सामाजिक व्यवस्था है. मानकी मुंडा, पहड़ा राजा व्यवस्था के तहत हमारा समाज चलता है. हम पेड़ के नीचे बैठ कर पेड़ों की पूजा करते हैं. आदिवासियों का अपना इतिहास रहा है.

Posted By : Sameer Oraon

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