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झारखंड: धूमधाम से मनेगी सरहुल पूजा, निकलेगी भव्य शोभायात्रा, केंद्रीय सरना समिति सरकारी अवकाश को लेकर नाराज

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23 मार्च 2023 शुक्ल पक्ष द्वितीया को उपवास एवं मछली केकड़ा पकड़ना एवं 24 मार्च 2023 को पूजा एवं दोपहर 1 बजे से सरहुल शोभायात्रा एवं 25 मार्च 2023 शुक्ल पक्ष चतुर्थी को फुलखोंसी कार्यक्रम होगा. केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरहुल प्रकृति पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार है.

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रांची : केंद्रीय सरना समिति के कचहरी परिसर स्थित केंद्रीय कार्यालय 13 आरआईटी बिल्डिंग में सरहुल पूजा महोत्सव 2023 को लेकर बैठक आयोजित की गई. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फुलचंद तिर्की ने की. बैठक में सर्वसम्मति से सरहुल पूजा धूमधाम से मनाने का निर्णय लिया गया. 23 मार्च को उपवास किया जाएगा और केकड़ा पकड़ा जाएगा. 24 मार्च को सरहुल पूजा और शोभायात्रा निकाली जाएगी. 25 मार्च को फुलखोंसी कार्यक्रम होगा. तीन दिवसीय सरहुल को धूमधाम से मनाया जाएगा. इस बैठक में हेमंत सोरेन सरकार द्वारा पर्व से पहले सरहुल का अवकाश देने पर नाराजगी जतायी गयी.

सरहुल का सरकारी अवकाश पर्व से पहले देने से नाराज

23 मार्च 2023 शुक्ल पक्ष द्वितीया को उपवास एवं मछली केकड़ा पकड़ना एवं 24 मार्च 2023 को पूजा एवं दोपहर 1:00 बजे से सरहुल शोभायात्रा एवं 25 मार्च 2023 शुक्ल पक्ष चतुर्थी को फुलखोंसी कार्यक्रम होगा. केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष ने कहा कि सरहुल प्रकृति पूजक आदिवासियों का सबसे बड़ा त्योहार है. इस त्योहार को आदिवासी बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं, लेकिन झारखंड सरकार ने आदिवासियों को ठगने का‌ काम किया है. सरहुल पर्व से पहले ही सरकारी अवकाश घोषित किया गया है. वर्ष 2023 के सरहुल पर्व को लेकर सरकारी छुट्टी खत्म कर आदिवासी विरोधी काम किया गया है.

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हेमंत सरकार को आदिवासियों की चिंता नहीं

अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के महासचिव विमल कच्छप ने कहा कि हेमंत सरकार को आदिवासियों की चिंता नहीं है. वे ईसाई एवं मुसलमान की चिंता करते हैं. क्रिसमस और मोहर्रम की छुट्टी दे सकते हैं. छठ और होली की छुट्टी दे सकते हैं, लेकिन आदिवासी के पर्व-त्योहार सरहुल-करम में छुट्टी नहीं दे सकते हैं. मौके पर केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक भुनेश्वर लोहरा, महासचिव संजय तिर्की, उपाध्यक्ष प्रमोद एक्का, सहाय तिर्की, सचिव विनय उरांव, बाना मुंडा, दीपक जायसवाल, झारखंड मसना विकास समिति के महासचिव बुधराम उरांव एवं अन्य शामिल थे.

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