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झारखंड में घर बनना हुआ मुश्किल, बालू की कीमत बढ़ी तो सीमेंट और छड़ की मांग घटी

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झारखंड में बालू की खरीदारी करनी महंगी पड़ रही है. मोंगिया स्टील के निदेशक गुणवंत सिंह मोंगिया ने कहा कि वर्तमान में छड़ की मांग लगभग 50 प्रतिशत घट गयी है.

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बालू के महंगा हो जाने से कई घरों का बजट बिगड़ गया है. कई घरों का निर्माण कार्य ठप हो गया है और इससे जुड़े धंधे भी चौपट हो गये हैं. हाल यह है कि छड़, सीमेंट, सेनेटरीवेयर सहित अन्य सामग्री की मांग घट गयी है. बालू महंगा मिलने से कई लोगों ने घरों का काम रोक दिया है. वहीं बिल्डरों को भी खासी परेशानी हो रही है. कई बिल्डर महंगी बालू लेने के लिए मजबूर हैं. उनका कहना है कि प्रोजेक्ट को पूरी तरह से रोकना मुश्किल है.

समय पर ग्राहकों को फ्लैट नहीं दिया गया, तो झारेरा की ओर से कार्रवाई होगी. जो लोग हिम्मत जुटा कर काम करा रहे हैं, उन्हें महंगी कीमत पर बालू की खरीदारी करनी पड़ रही है. मोंगिया स्टील के निदेशक गुणवंत सिंह मोंगिया ने कहा कि वर्तमान में छड़ की मांग लगभग 50 प्रतिशत घट गयी है. सामान्य दिनों में हर माह झारखंड में लगभग 10,000 टन कंपनी के छड़ की मांग रहती थी. वर्तमान में यह घट कर आधी हो गयी है. यही हाल सीमेंट का भी है. सीमेंट के कारोबार में लगभग 25 प्रतिशत की गिरावट आयी है.

सेनेटरीवेयर आइटमों की मांग 30 से 40% घटी

सेनेटरीवेयर आइटमों की मांग भी घट गयी है. श्रीराम इंटरप्राइजेज (डिस्ट्रीब्यूटर) के प्रोपराइटर अजय गोयल ने कहा कि पिछले छह माह से इन उत्पादों की मांग काफी घट गयी है. निजी घरों के साथ-साथ सरकारी प्रोजेक्ट का काम ठप होने से यह स्थिति हुई है. इस कारण सेनेटरीवेयर उत्पादों की मांग 30 से 40 प्रतिशत घट गयी है. जब तक काम में तेजी नहीं आयेगी, तब तक सुधार नहीं होगा.

बालू महंगा होने से कई घरों के काम पर लगा ब्रेक

बालू महंगा होने से कई घरों के काम पर ब्रेक लग गया है. यही हाल मंदिरों का भी है. छोटे से लेकर मध्यम परिवार तक काफी परेशान हैं. कई जगहों पर पिछले चार माह से अधिक समय से आधा-अधूरा काम रुक गया है. जो लोग हिम्मत जुटा कर काम करा रहे हैं, उन्हें ऊंची कीमत पर बालू खरीदना पड़ रहा है.

हर समय बालू के लिए परेशान होना पड़ता है. हमारी मजबूरी है कि प्रोजेक्ट को पूरी तरह से नहीं रोक सकते हैं. औने-पौने दाम में भी बालू खरीदना पड़ता है. समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया गया, तो पेनाल्टी भरना पड़ता है.

अमित अग्रवाल, बिल्डर

बालू अधिक महंगा होने से घरों में काम शुरू करने के लिए हिम्मत नहीं जुटा पा रहा हूं. पिछले तीन माह से काम रुका हुआ है. पहले किये गये बालू के स्टॉक से काम चल रहा था, लेकिन अब काम शुरू करना मुश्किल हो रहा है.

कामेंद्र शर्मा, सिमलिया

किसी बाजार में बालू सस्ता होने का नाम नहीं ले रहा है. घर में काम लगाया था, इसे रोक दिया गया है. बालू को लेकर िवकट स्थिति हो गयी है, इससे मुश्किल बढ़ी है. बालू सस्ता होता, तो घर बनाने का काम भी आसानी से हो पाता.

राजेश ठाकुर, टैगोर हिल, मोरहाबादी

रांची

29 घाटों का टेंडर नहीं

रांची में 29 बालू घाट हैं. पर एक का भी टेंडर नहीं हो सका है. पर राजधानी रांची में बालू की बिक्री खूब हो रही है. एक कारोबारी के अनुसार रात के अंधेरे में बुंडू से बालू की निकासी की जाती है. जहां पहले ग्रामीण और स्थानीय रंगदार को चार हजार रुपये एक हाइवा की कीमत देनी पड़ती है.

गुमला

50 हाइवा से कारोबार

गुमला में दक्षिणी कोयल व शंख नदी से बालू का धंधा परवान पर है. कोयल का बालू रांची व शंख का बालू छत्तीसगढ़ भेजा जाता है. सिसई व बसिया से बड़े पैमाने पर बालू को रांची ले जाया जाता है. एक हाइवा की कीमत गुमला में 12 से 13 हजार है. लेकिन इसे रांची में ले जाकर 20 से 23 हजार रुपये में बेचा जा रहा है.

लोहरदगा

600 ट्रैक्टर से वसूली

लोहरदगा जिले में बालू का अवैध धंधा बड़ी तेजी से फल-फूल रहा है. पुलिस, अंचल प्रशासन और खनन विभाग के सहयोग से यह कारोबार चल रहा है. हर दिन सेन्हा,कुडू, किस्को, भंडरा, कैरो से बालू निकल रहा है. पहले 600 रुपये प्रति ट्रैक्टर कीमत थी, आज वह 2000 रुपये प्रति ट्रैक्टर िबक रही है

पलामू

हर रोज 50000 की वसूली

मेदिनीनगर में पहले सामान्य दिनों में 800 से 900 रुपये ट्रैक्टर बालू मिलता था. अभी चार से पांच हजार रुपये प्रति ट्रैक्टर बालू अवैध तरीके से बेचा जा रहा है. हर दिन जिले में बालू के अवैध कारोबार में लगभग 100 ट्रैक्टर लगा हुआ है. इसके एवज में प्रति ट्रैक्टर 500 रुपये का चढ़ावा बालू कारोबारी देते हैं.

देवघर

721 का बालू चार हजार में

मार्च 2021 में देवघर में 100 सीएफटी 1500 में बिक रहा था और आज चार हजार रुपये में 100 सीएफटी मिल रहा है. जिले में पांच सरकारी घाट हैं. राज्य सरकार ने घाटों में बालू की सरकारी दर प्रति 100 सीएफटी 721 रुपये तय की है. जिन घाटों की नीलामी ही नहीं हुई है, उन घाटों से कोई शुल्क नहीं लगता है.

गोड्डा

24 घाटों से अवैध ढुलाई

गोड्डा जिले में पांच वर्ष पूर्व 38 घाट संचालित हुआ करते थे. वर्तमान में 17 घाटों का सर्वे हुआ है. लेकिन तकरीबन 24 घाट ऐसे हैं, जहां से अवैध बालू की ढुलाई होती है. घाट में अभी कोई पैसा नहीं लिया जा रहा है. जो भी अवैध उठाव हो रहे हैं, वह राशि केवल बालू माफियाओं व पुलिस के बीच बंटता है.

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