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Ranchi news : समरी लाल 29 व भेड़ा सिंह 23 साल बाद जीते थे चुनाव

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लंबे संघर्ष के बाद जनता ने पहनाया ताज. कई बार हारने के बाद भी मैदान नहीं छोड़ा.

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मनोज सिंह, रांची.

झारखंड की राजनीति में कई ऐसे नेता हैं, जिसने कई बार हारने के बाद भी मैदान नहीं छोड़ा. लड़ते-लड़ते जनता का विश्वास जीता. बाद में जनता ने उन्हें अपना प्रतिनिधि भी बनाया. इनमें कांके से पिछली बार चुनाव जीतने वाले समरी लाल और रामगढ़ से 2000 में जीतने वाले शब्बीर अहमद उर्फ भेड़ा सिंह शामिल हैं.

भेड़ा सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं. वह विधायक बने तो जरूर, लेकिन अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाये. श्री सिंह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर 2000 में रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव जीते थे. पहली बार भेड़ा सिंह 1977 से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के बैनर चुनाव लड़े. इसमें जनता पार्टी के विश्वनाथ चौधरी को 14679 तथा भेड़ा सिंह को 7648 मत मिले. इसके बाद वह लगातार 2000 तक सीपीआइ के टिकट से ही चुनाव लड़ते रहे. 1980 में वह 9886 मतों के अंतर से हारे. वर्ष 2000 में हुए चुनाव में वह 12586 मतों के अंतर से जीते थे. वह सिर्फ छह माह ही विधायक रहे. 12 सितंबर 2000 को हृदय गति रुकने से उनका निधन हो गया. वह अंत तक अपने दल में बने रहे. बाद में हुए उपचुनाव में तत्कालीन मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़े. उन्होंने भेड़ा सिंह की पत्नी नादिरा बेगम को हरा दिया.

1990 से चुनाव लड़ रहे थे समरी लाल, 2019 में जीते

कांके विधानसभा सीट से समरी लाल 29 साल तक चुनाव लड़ते रहे. 1990 से समरी लाल ने चुनाव लड़ना शुरू किया था. 2019 के चुनाव में कांके की जनता ने उनको अपना प्रतिनिधि चुना. इस वर्ष भारतीय जनता पार्टी ने श्री लाल को टिकट नहीं दिया है. श्री लाल भाजपा से पहले कई राजनीतिक दलों से अपना किस्मत आजमा चुके थे. 1990 में समरी लाल पहली बार जनता दल के टिकट से चुनाव लड़े थे. केवल 2014 में वह चुनाव नहीं लड़े. 2019 में भाजपा ने उनको टिकट दिया और वह विधायक बनें.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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