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Exclusive: इको टूरिज्म की अधिसूचना जैनियों की आस्था के अनुकूल नहीं: जैनमुनि श्रीश्री प्रमाण सागर जी

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जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ पर्वत को इको टूरिज्म बनाये जाने पर जैन समाज ने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है. इस विषय पर जैनमुनि श्रीश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज से हमारे संवाददाता राकेश सिन्हा ने बातचीत की.

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जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखर जी यानि पार्श्वनाथ पर्वत को इको टूरिज्म बनाये जाने पर जैन समाज ने कड़ी आपत्ति दर्ज करायी है. इस विषय पर जैनमुनि श्रीश्री 108 प्रमाण सागर जी महाराज से हमारे संवाददाता राकेश सिन्हा ने बातचीत की. प्रस्तुत है मुख्य अंश…

विवाद किस बात को लेकर है?

सरकार ने दो अगस्त 2019 के अपने गजट नोटिफिकेशन में पर्वत पर इको टूरिज्म बनाने की घोषणा की है. यदि पर्वत पर पर्यटक स्थल बना, तो श्री सम्मेद शिखर जी अपवित्र होगा. इको टूरिज्म की अधिसूचना जैनियों की भावना और धार्मिक आस्था के अनुकूल नहीं है और न ही यह धार्मिक दृष्टि से उचित है.

देशभर में जैन समाज आंदोलन कर रहा है, क्या मांगें हैं?

हमारी चार मांगें हैं, जो जैनियों की धार्मिक आस्था से जुड़ी हुई है. सरकार ‘इको टूरिज्म’ की जगह ‘इको तीर्थाटन’ की अधिसूचना जारी करे. संपूर्ण पर्वत को सरकार तीर्थस्थल घोषित करे. इससे पूरे परिक्षेत्र की पवित्रता बनी रहेगी. मथुरा, काशी-विश्वनाथ, अयोध्या, उज्जैन को जैसे तीर्थस्थल घोषित किया गया है, वैसे ही व्यवस्था श्री सम्मेद शिखर जी में भी हो.

हमारी तीसरी मांग है कि जैनियों के लिए निर्विवाद परिक्रमा पथ बने. क्योंकि हजारों जैन तीर्थ यात्री पर्वत की परिक्रमा करते हैं. पर्वत के एक भाग को जैनियों का पवित्र स्थल मानने के बजाय संपूर्ण पर्वत को पवित्र स्थल घोषित करने की जरूरत है. शिखर जी का कण-कण मेरे लिए पवित्र है. हमारी चौथी मांग है कि यहां जो भी दर्शन के लिए आते हैं, वे जैन रीति-रिवाज व उनकी आस्था के अनुरूप दर्शन, भ्रमण व पूजन करें.

इको टूरिज्म सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश पर बना है?

हम जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट की इस पर रूलिंग है और सरकार को सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देश को मानना होता है. सरकार वन क्षेत्र को संरक्षित करें, हम या हमारा जैन समाज उनके साथ है. वाइल्ड लाइफ सेंचुरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट का कुछ दिशा-निर्देश है. सरकार उसके अनुरूप काम करे. हमें जिन बातों से आपत्ति है, सिर्फ उसे स्वीकार कर ले, तो हम साथ हैं. पर्वत के संरक्षण में हम साथ हैं, पर जैनियों की धार्मिक भावना का ख्याल रखा जाना चाहिए.

यात्रियों की सुविधा और क्षेत्र के विकास के लिए पर्यटक शब्द का इस्तेमाल हो रहा है. ऐसा नहीं होने पर सरकार राशि खर्च करने में असमर्थ है?

विकास के लिए कला एवं संस्कृति विभाग है. धार्मिक मामला संस्कृति से जुड़ा हुआ है और किसी संस्कृति को विकसित करने के लिए सरकार राशि भी खर्च करती है. यदि संस्कृति विभाग नहीं है, तो सरकार बनाये. कई राज्यों में इसके लिए सेपरेट मंत्रालय भी है. तीर्थस्थल की अवधारणा के अनुसार विकास होना चाहिए.

पार्श्वनाथ पर्वत से दूसरे समाज की भी धार्मिक आस्था जुड़ी हुई है.

सभी धर्म को श्रद्धाभाव से देखा जाना चाहिए. हमने समाज के लोगों से अपील की है कि समझदारी और सकारात्मकता से काम लेना चाहिए. जितने श्रद्धालु आते हैं, सभी धर्म और श्रद्धा की भावना से आते हैं. अपना सारा धार्मिक कार्य करें और अन्य लोगों के भी श्रद्धा का सम्मान करें. यदि अवांछित चीजें दिखती है, तो लोग कानून अपने हाथ में न लें. कई गलतियां जानकारी के अभाव में होती हैं. उसे संबंधित व्यक्ति पर ही छोड़ दें.

आगे की आंदोलन की रूपरेखा क्या होगी?

यह स्वत: स्फूर्त आंदोलन है. आंदोलन की कोई रूपरेखा नहीं बनी है. समाज इस बात के लिए उद्वेलित है. सरकार उसे दूर करे. सरकार की योजना आम पर्यटक स्थल बनाने की नहीं रही होगी, पर ऐसी कोई संभावना दिख रही है, तो इसे सुधारना चाहिए. हमारी मांग गजट नोटिफिकेशन को वापस लेने की नहीं, बल्कि संशोधन करने की है. श्री सम्मेद शिखर जी जैनियों का प्राण है. यदि घात होगा, तो चीख निकलेगी. शीर्ष स्तर पर बात चल रही है. उम्मीद है कि सकारात्मक परिणाम आयेगा.

श्री दिगंबर जैन समाज का मौन जुलूस आज

श्री दिगंबर जैन समाज के नेतृत्व में मंगलवार को सुबह नौ बजे अपर बाजार स्थित दिगंबर जैन मंदिर से मौन जुलूस निकाला जायेगा. यह जुलूस सम्मेद शिखरजी में उपजे विवाद के निबटारा के लिए निकाला जा रहा है. इस मौन जुलूस में श्री दिगंबर जैन समाज के अलावा श्री श्वेतांबर जैन समाज, तेरापंथी समाज सहित अन्य समाज के लोग शामिल होंगे.

जुलूस मंदिर परिसर से निकलकर शहीद चौक, कचहरी रोड होते हुए जाकिर हुसैन पार्क जाकर समाप्त होगा. इसके बाद एक प्रतिनिधिमंडल की ओर से राज्यपाल को ज्ञापन दिया जायेगा. मौन जुलूस में पंचायत के अध्यक्ष पदम कुमार छाबड़ा, उपाध्यक्ष प्रदीप बाकलीवाल, सुभाष विनायक्या, पंकज कुमार पांडया, प्रमोद कुमार झांझरी, सुनील कुमार सेठी के अलावा कार्यकारिणी के सदस्य सहित समाज के गणमान्य लोग शामिल होंगे.

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