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मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का इस तरह से हुआ झारखंड में विरोध

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मणिपुर में आदिवासी महिलाओं के साथ हुई ज्यादती का विरोध झारखंड में भी हो रहा है. महिलाओं के मंच जस्टिस फॉर मणिपुर सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता सर्वाइवर्स के बैनर तले कई महिला संगठनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया और नेताओं का पुतला जलाया.

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मणिपुर में आदिवासी महिलाओं से गैंगरेप के बाद उनकी नग्न परेड कराने वाली घटना के विरोध में झारखंड में शनिवार को महिला संगठनों ने डंगराटोली चौक से अल्बर्ट एक्का चौक तक विरोध मार्च निकाला. विरोध-प्रदर्शन के बाद उन्होंने बताया कि अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति (एडवा) ने विरोध प्रदर्शन के बाद मांग की कि मणिपुर की सरकार को बर्खास्त किया जाये और पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलाया जाये. एडवा की राज्य सचिव वीना लिंडा ने मांग की है कि जिन लोगों ने इस घृणित कांड को अंजाम दिया है, उन्हें सलाखों के पीछे भेजा जाये और सरकार उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलवाये.

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मणिपुर की पीड़ित महिलाओं को मिले न्याय : एडवा

उन्होंने कहा कि मणिपुर में आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र करके सड़कों पर घुमाया जा रहा है. उनकी बेइज्जती की जा रही है. इसकी वह घोर निंदा करती हैं. साथ ही सरकार से मांग करती हैं कि इन महिलाओं को त्वरित न्याय मिले, इस दिशा में सरकार दिशा-निर्देश जारी करे. वीना लिंडा ने कहा कि तीन महीने से मणिपुर जल रहा है. लेकिन, केंद्र की सरकार ने चुप्पी साध रखी है. उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर जल नहीं रहा, मणिपुर को जलाया जा रहा है. जाति, धर्म के नाम पर उन्माद फैलाया जा रहा है.

महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर केंद्र ने साधी चुप्पी

एडवा (AIDWA) की राज्य सचिव ने रांची में मार्च निकालने के बाद कहा कि मणिपुर में इतने लंबे समय से चल रही हिंसा पर कहा है कि यह केंद्र सरकार की भी नाकामी है कि वह इसको अब तक कंट्रोल नहीं कर पायी. उन्होंने कहा कि जब भी महिलाओं का उत्पीड़न होता है, केंद्र सरकार चुप्पी साध लेती है. बात चाहे महिला खिलाड़ियों की हो या मणिपुर की आदिवासी महिलाओं की. उन्होंने मणिपुर के मुख्यमंत्री को अविलंब बर्खास्त करने और महिलाओं को न्याय दिलाने की मांग की है.

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दयामनी बारला समेत इन महिलाओं ने किया प्रदर्शन

अल्बर्ट एक्का चौक पर प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, राष्ट्रीय महिला और बाल कल्याण मंत्री और मणिपुर के मुख्यमंत्री का पुतला दहन किया गया. प्रदर्शन में एलिना होरो, सुनीता लकड़ा, दयामनी बारला, लीना, तारामणि साहू, तमन्ना बेगम, नगमा, डा किरण, शांति सेन, नंदिता भट्टाचार्य, कुमकुम, लीना पदम, ज्योतिषा कल्लामकल, सुषमा बिरुली, अलोका कुजूर, वासवी किड़ो, दीपा, जोशना, सिंघी खलखो सबिता कुजूर, सिस्टर सत्य, मुक्ता मरांडी, मृणालिनी टेटे, स्वीटी केरकेट्टा और अन्य महिला साथियों के द्वारा अपना वक्तव्य रखा गया और मणिपुर में हुई घटना की घोर निंदा की गयी.

स्कूलों की छात्र-छात्राओं ने भी किया प्रदर्शन

संत अन्ना और उर्सुलाइन दोनों स्कूलों और कॉलेजों की छात्राओं ने प्रदर्शन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. केंद्र और राज्य सरकारों से जवाब मांगा गया. जमकर नारेबाजी की गयी. मार्च में शामिल महिलाओं ने इस शर्मनाक घटना को देश की आधी आबादी पर घातक प्रहार करार दिया. कहा कि देश में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ का नारा धोखा साबित हुआ है.

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इन संगठनों ने किया विरोध-प्रदर्शन

महिलाओं के मंच जस्टिस फॉर मणिपुर सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता सर्वाइवर्स के बैनर तले कई महिला संगठनों ने मिलकर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन किया. इस मंच का गठन मणिपुर की घटना के खिलाफ महिलाओं की आवाज बुलंद करने के लिए कई महिला सामाजिक कार्यकर्ताओं एवं संगठनों ने मिलकर किया है. महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा और दमन के खिलाफ आवाज उठाना और महिलाओं के अधिकार के लिए निरंतर संघर्ष करना इस मंच का संकल्प है.

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