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Ranchi news : विभाग ने बिजली चोरी का दर्ज किया केस तो आपके पास क्या हैं विकल्प? जानें क्या कहते हैं विशेषज्ञ

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प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन व हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने दी जानकारी.

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रांची. अक्सर देखा जाता है कि जो कानून के दृष्टिकोण से बेहद छोटे मामले होते हैं, उसे भी कोर्ट में लाया जाता है. इससे कोर्ट और आम आदमी दोनों का समय बर्बाद होता है. पीड़ित पक्ष को न्याय भी समय पर नहीं मिल पाता है. इसलिए बेहतर यह है कि लोग ऐसे मामलों को लोक अदालत में ले जायें. लोक अदालत न्याय पाने का सुलभ व सुगम रास्ता है. यहां समय व पैसे दोनों की बचत होती है. समझाैते के आधार पर मामलों का निष्पादन किया जाता है. हाल के दिनों में लोक अदालत के जरिये मामलों के निष्पादन की संख्या में काफी वृद्धि हुई है, लेकिन अभी इस मामले में और भी जागरूकता की जरूरत है. उक्त बातें शनिवार को प्रभात खबर ऑनलाइन लीगल काउंसेलिंग में झारखंड स्टेट बार काउंसिल के चेयरमैन व हाइकोर्ट के अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने कही.

खूंटी के शशांक राज का सवाल :

बिजली विभाग ने मीटर रहते हुए बिजली चोरी का केस दर्ज कर दिया है. मामला न्यायालय में चल रहा है. इससे राहत पाने के लिए क्या कानूनी रास्ता है?

अधिवक्ता की सलाह :

विभाग ने किस परिस्थिति में केस किया, इसके संदर्भ में आपने विस्तृत जानकारी नहीं दी है. फिर भी जो बातें आपने कही, उससे पता चलता है कि आपके यहां मीटर लगा हुआ है. फिर भी विभाग ने केस कर दिया है. इस मामले में सबसे पहले आपको न्यायालय में अधिवक्ता के माध्यम से यह आवेदन करना चाहिए कि इस मामले को लोक अदालत में ट्रांसफर कर दिया जाये. ऐसे मामले लोक अदालत में सुलझाये जा सकते हैं.

रातू के अजय कुमार का सवाल :

सीयूजे में कार्यरत हैं, लेकिन समय पर प्रोन्नति नहीं मिल रही है, जबकि दूसरी सेंट्रल यूनिवर्सिटी में प्रोन्नति दी जा रही है. क्या करें?

अधिवक्ता की सलाह :

जब प्रोन्नति का प्रावधान है, तो समय पर प्रोन्नति आपका अधिकार है. यदि यह लाभ नहीं मिल रहा है, तो आप कानून की शरण ले सकते हैं. ऐसे मामले को हाइकोर्ट में ले जाया जा सकता है.

रांची के साैरभ गुप्ता का सवाल :

उनका प्ले स्कूल है तथा बिल्डिंग में लिफ्ट लगायी गयी है, लेकिन उसके संचालन में तकनीकी परेशानी आ रही है. इसकी शिकायत के बाद भी कंपनी ने आज तक समस्या दूर नहीं की है. उन्हें क्या करना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

इस समस्या को लेकर आप उपभोक्ता फोरम में जा सकते हैं. वहां लिफ्ट की समस्या दिखाते हुए शिकायतवाद दर्ज करायें. वहां से आपको जरूर न्याय मिलेगा.

मेदिनीनगर के विनय कुमार सिन्हा का सवाल :

इपीएफ के मामले में उन्हें धनबाद के ट्रिब्यूनल से अवार्ड मिला है. उसके खिलाफ बीएसएनएल ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दायर की थी, जो खारिज हो चुकी है. अपील भी खारिज हो गयी है.सुप्रीम कोर्ट से भी उसकी याचिका खारिज हो चुकी है. इसके बाद फिर से बीएसएनएल ने हाइकोर्ट में याचिका दायर की है. वैसी स्थिति में उन्हें क्या कदम उठाना चाहिए?

अधिवक्ता की सलाह :

अपने अवार्ड को लागू कराने के लिए आप उस ट्रिब्यूनल में आवेदन दायर करें, जहां से आपको न्याय मिला था, ताकि आपके आवेदन पर ट्रिब्यूनल अवार्ड को लागू करा सके.

हजारीबाग के मनोज प्रसाद का सवाल :

सूचना के अधिकार के तहत सूचना देना जरूरी है क्या?

अधिवक्ता की सलाह :

सूचना का अधिकार नियम नहीं, बल्कि कानून है. कानून में यह प्रावधान है कि सूचना मांगनेवाले को तय समय सीमा के अंदर सूचना उपलब्ध कराना है. सूचना का अधिकार कानून प्रभावी कानून है, जिसका उपयोग किया जाना चाहिए. इससे सरकारी विभागों में पारदर्शिता आयेगी. लोगों को उनका हक-अधिकार भी मिलेगा. वैसी सूचना, जो राष्ट्र व समाजहित में गोपनीय रखी जाती है, उसे छोड़ कर किसी भी विभाग से सूचना मांगी जा सकती है. सूचना छुपाना गलत है. इससे बचना चाहिए.

रांची के सोनू कुमार का सवाल :

जमीन का कागजात रहने के बाद भी किसी दूसरे ने उनकी जमीन पर चहारदीवारी का निर्माण कर दिया है? अपनी जमीन मुक्त कराने के लिए क्या कर सकते हैं?

अधिवक्ता की सलाह :

जमीन का सेल डीड है. म्यूटेशन भी आपका हो चुका है, तो जमीन आपकी है. आपकी जमीन पर जिस व्यक्ति ने चहारदीवारी बनायी है, उसका अतिक्रमण माना जायेगा. उसे खाली कराने के लिए आपके पास सिविल कोर्ट व जिला प्रशासन के पास शिकायत करने का विकल्प है, लेकिन पहले सीओ-एसडीओ के पास आवेदन देना चाहिए.

इन्होंने भी ली कानूनी सलाह :

बरियातू रांची के केदारनाथ लाल, धनबाद की पूजा, हजारीबाग के बलदेव कुमार राणा, गोपाल प्रसाद, अजीत कुमार, कृष्णा प्रसाद, कुंदन कुमार, राजीव सिन्हा, राम प्रकाश, अनूप कुमार, मनीष प्रसाद, काैशल किशोर सहित कई लोगों के कानूनी सलाह ली है.

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डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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