21.2 C
Ranchi
Saturday, February 8, 2025 | 07:08 pm
21.2 C
Ranchi

BREAKING NEWS

दिल्ली में 5 फरवरी को मतदान, 8 फरवरी को आएगा रिजल्ट, चुनाव आयोग ने कहा- प्रचार में भाषा का ख्याल रखें

Delhi Assembly Election 2025 Date : दिल्ली में मतदान की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग ने कर दिया है. यहां एक ही चरण में मतदान होंगे.

आसाराम बापू आएंगे जेल से बाहर, नहीं मिल पाएंगे भक्तों से, जानें सुप्रीम कोर्ट ने किस ग्राउंड पर दी जमानत

Asaram Bapu Gets Bail : स्वयंभू संत आसाराम बापू जेल से बाहर आएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है.

Oscars 2025: बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप, लेकिन ऑस्कर में हिट हुई कंगुवा, इन 2 फिल्मों को भी नॉमिनेशन में मिली जगह

Oscar 2025: ऑस्कर में जाना हर फिल्म का सपना होता है. ऐसे में कंगुवा, आदुजीविथम और गर्ल्स विल बी गर्ल्स ने बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए ऑस्कर 2025 के नॉमिनेशन में अपनी जगह बना ली है.
Advertisement

झारखंड में आदिमानव का इतिहास 70 हजार साल पुराना, छोटानागपुर के पठारी क्षेत्रों की गुफा हैं इसके साक्ष्य

Advertisement

झारखंड का सिंहभूम इलाका निम्न पूर्व पाषाण काल से लेकर नवपाषाण काल तक का केंद्र रहा. रामगढ़, हजारीबाग, भागलपुर, बीरभूम (धनबाद व बोकारो), जंगल महल और मानभूम में गतिविधियां मिली हैं.

Audio Book

ऑडियो सुनें

रांची, अभिषेक रॉय:

- Advertisement -

झारखंड में आदिमानव या मानव सभ्यता का इतिहास करीब 70 हजार वर्ष पुराना है. इसकी शुरुआत नर्मदा घाटी के विस्तार से हुई. छोटानागपुर के पठारी क्षेत्रों में 18 फीट चौड़े और 15 फीट गहराई वाले कई गुफा इसके साक्ष्य हैं. राज्य का सिंहभूम इलाका निम्न पूर्व पाषाण काल से लेकर नवपाषाण काल तक का केंद्र रहा. रामगढ़, हजारीबाग, भागलपुर, बीरभूम (धनबाद व बोकारो), जंगल महल और मानभूम में गतिविधियां मिली हैं.

राज्य में नवपाषाण काल तक के आदि मानवों के 298 बड़े केंद्र चिह्नित :

एएसआइ की मानें, तो राज्य में नवपाषाण काल तक के आदि मानवों के 298 बड़े केंद्र चिह्नित हो चुके हैं. इन इलाकों में जीविकोपार्जन के लिए आदि मानवों ने औजार परंपरा, शिकार, टहनी आधारित कृषि पद्धति से लेकर अनाज और दलहन जैसी फसलों को उपजाने की परंपरा विकसित की. रांची यूनिवर्सिटी के इतिहास विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ कंजीव लोचन ने जनवरी महीने में पुस्तक ‘ झारखंड का आदि मानव अतीत : एक भूमिका’ जारी कर इस विषय की गंभीरता पर चर्चा की है.

पुस्तक में पाषाणकाल के पौधों का है जिक्र :

पुस्तक में शोध के आधार पर पाषाणकाल में भी राज्य में पाये जाने वाले पौधों का जिक्र किया गया है. इनमें बैगन, एंडाइव, कटिल, कमल, तुर, आम, नारियल, कपास, इलाइची, अदरक, काली मिर्च और हल्दी का इस्तेमाल आदिमानव भोजन के रूप में करते थे. कृषि पद्धति के विकास के साथ जौ, चावल, काला चना, सेम, मूंग, मोथ बींस भी उपजाना सीखा.

खुदाई में राज्य के कई जिलों से मिले उपकरण :

पाषाणकालीन झारखंड में तीन तरह के उद्यमों के साक्ष्य मिलते हैं. इनमें पहले स्तर पर हैं लैटरिटिक मिट्टी से काटने वाले औजार. इसमें हस्त कुठार, खुरचनी, शल्क समेत अन्य तैयार किये जाते थे. आदिमानवों ने उच्च पुरापाषाण काल में लैटराइट और बजरी मिट्टी से पार्श्व खुरचनी, चाकू, ट्रैंचेट्स व छेनी बनाना सीखा और लघुपाषाण काल में उद्यम कर लाल मिट्टी से खोदनी समेत अन्य उपकरण तैयार किये. एएसआइ की ओर से पलामू के मरवानिया, मोहन टांड़, साहिबगंज के बंदकोटा व आमजनी, सिंहभूम की संजय नदी घाटी व लोटा पहाड़ इलाके में खुदाई के दौरान कई ऐसे सूक्ष्म उपकरण मिले हैं.

सिंहभूम क्षेत्र था आदिमानवों की गतिविधियों का केंद्र

सिंहभूम के लोटा पहाड़ समेत वर्तमान के पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां में आदिमानवों के विचरण के प्रमाण मिलते रहे हैं. शोध के अनुसार, यहां निम्न, मध्य और उच्च पूर्वपाषाण काल की तीनों संस्कृतियों के ठिकाने मिले हैं. राज्य के पाषाणकालीन पुरुष और स्त्री का कद पांच फीट 10 इंच से लेकर पांच फीट दो इंच तक होता था. पारिस्थितिकीय विविधता होने से आदिमानव कुटुंब यानी 25 से 60 लोगों के समूह में रहते और मिलकर शिकार करते थे.

ट्रेंडिंग टॉपिक्स

Advertisement
Advertisement
Advertisement

Word Of The Day

Sample word
Sample pronunciation
Sample definition
ऐप पर पढें