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झारखंड में पुरानी पेंशन योजना की क्यों हो रही थी मांग, नयी पेंशन योजना से यह कैसे है अलग ? जानें विस्तार से

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झारखंड सरकार के कर्मचारी लंबे समय पुरानी पेंशन योजना की मांग कर रहे थे. 2014 से पूर्व वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन ने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था. ऐसे में सवाल ये उठता है कि राज्य सरकार के अतंर्गत आने वाले कर्मचारी इसकी लंबे समय से क्यों कर रहे थे

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झारखंड सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना लागू कर दी. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सितंबर माह में बड़ा फैसला लेते हुए इस स्कीम पर मुहर लगा दी. इसके तहत दिसंबर 2004 या उसके बाद रिटायरमेंट लेने वाले कर्मचारियों को इस योजना का लाभ मिल सकेगा. हालांकि, इस योजना का लाभ लेने वाले कर्मचारियों को ये बताना होगा कि उन्हें सरकार द्वारा जारी एसओपी की शर्तें मान्य है. इसके लिए उन्हें शपथ पत्र दायर करना होगा.

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बता दें कि राज्य सरकार के कर्मचारी लंबे समय से इसकी मांग कर रहे थे. 2014 से पूर्व वर्तमान सीएम हेमंत सोरेन ने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया था. इसके बाद राज्य सरकार के कर्मचारियों ने खुशी जताते हुए हेमंत सोरेन के पक्ष सड़क पर उतरकर जमकर नारेबाजी की थी. ऐसे में सवाल ये उठता है कि राज्य सरकार के अतंर्गत आने वाले कर्मचारी इसकी लंबे समय से क्यों कर रहे थे. नया पेंशन योजना और पुरानी पेंशन योजना में क्या फर्क है. तो आज हमको इन दोनों योजनाओं के बारे बतायेंगे, जिससे कि आपका ये संशय क्लियर हो जाये.

क्या है पुरानी पेंशन योजना

पुरानी पेंशन योजना के तहत कर्मचारियों को पूर्व निर्धारित फार्मूले के अनुसार पेंशन मिलती थी जो उसके वेतन का 50 फीसदी होता है. इसके अलावा उन्हें साल में दो बार मंहगाई भत्ता सोशधन का लाभ भी मिलता था. इसके लिए वेतन से किसी प्रकार से कोई कटौती नहीं की जाती थी यानी कि भुगतान निर्धारित था. इसके अलावा सामान्य भविष्य निधि यानी कि जीपीएफ का भी प्रावधान था. जीपीएफ का मतलब है जेनरल प्रोविडेंट फंड (General Provident Fund).

क्या है जीपीएफ (जेनरल प्रोविडेंट फंड)

दरअसल जीपीएफ यानी कि जेनरल प्रोविडेंट फंड सभी सरकारी कर्मचारियों को अपने वेतन का एक निश्चित प्रतिशत योगदान करने की अनुमति देता है. जो सेवानिवृत्ति होने के समय कर्मचारी को भुगतान की जाती है.

नयी पेंशन योजना

केंद्र सरकार ने साल 2004 में नयी पेंशन योजना को लागू किया था. हालांकि, सहस्त्र बलों के लिए ये स्कीम लागू नहीं है. साल 2018-19 में केंद्र ने इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिये इसमें कुछ बदलाव किये थे. दरअसल नयी पेंशन योजना यानी कि NPS एक ऐसी स्कीम है, जहां कर्मचारी अपने वेतन से अपने पेंशन कोष में योगदान करते हैं. जिसमें सरकार का भी समान योगदान होता है. इसके बाद फंड को पेंशन फंड मैनेजर्स के माध्यम से निर्धारित निवेश योजनाओं में निवेश किया जाता है.

इसके योजना के तहत आने वाले सभी कर्मचारी अपने मूल वेतन का 10 फीसदी योगगान देता है. केंद्र सरकार की मानें तो ये योजना कर्मचारियों को पेंशन फंड (PF) और निवेश पैटर्न का चयन करने का विकल्प प्रदान करता है. बता दें कि NPS निजी क्षेत्र में काम कर रहे व्यक्ति भी इस योजना का चुनाव कर सकते हैं. रिटायरमेंट के समय कर्मचारी कॉर्पस का 60% निकाल सकते हैं, जो टैक्स-फ्री है और बाकी 40% ऐन्युइटी में निवेश किया जाता है, जिस पर टैक्स लगता है.

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