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लालू प्रसाद की उम्मीदों को लगा झटका, नहीं मिलेगी पेरोल

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no payroll to lalu prasad yadav रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की उम्मीदों को बुधवार (8 अप्रैल, 2020) को तगड़ा झटका लगा. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उन्हें पेरोल मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब यह उम्मीद भी खत्म हो गयी है. जेलों में कोविड19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कुछ कैदियों को रिहा करने की योजना बनायी थी.

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रांची : बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाला के सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव की उम्मीदों को बुधवार (8 अप्रैल, 2020) को तगड़ा झटका लगा. कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते उन्हें पेरोल मिलने की उम्मीद थी, लेकिन अब यह उम्मीद भी खत्म हो गयी है. जेलों में कोविड19 के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने कुछ कैदियों को रिहा करने की योजना बनायी थी.

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इसी योजना के तहत उम्मीद थी कि राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को भी पेरोल पर रिहा किया जा सकता है. लेकिन, कोरोना संक्रमण के विस्तार को रोकने के लिए हुई एक उच्चस्तरीय बैठक में जो फैसला हुआ, उसने लालू की रिहाई के रास्ते बंद कर दिये.

झारखंड हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश एससी मिश्रा, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, जेल आईजी शशि रंजन व डालसा के सचिव की मौजूदगी में हुई बैठक में तय किया गया कि आर्थिक अपराध के मामले में सजा भुगत रहे लोगों और ऐसे सजायाफ्ता, जिन्हें सात साल से ज्यादा की सजा हुई है, उन्हें पेरोल नहीं दी जायेगी.

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गंभीर आपराधिक मामलों को छोड़कर सात साल से कम अवधि की सजा पाने वाले कैदियों की पेरोल का विरोध सरकार अदालत में नहीं करेगी. उन सभी मामलों में संबंधित कोर्ट ही फैसला करेगा. इस बैठक के बाद लालू प्रसाद के पेरोल पर चल रही बहस थम गयी.

उल्लेखनीय है कि लालू प्रसाद यादव आर्थिक मामलों में दोषी करार दिये गये हैं और उन्हें चारा घोटाला के कई मामलों में सजा हो चुकी है. इसलिए उन्हें पेरोल नहीं मिलेगी. लालू प्रसाद यादव लंबे अरसे से बीमार हैं और कई बार जमानत के लिए हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक का दरवाजा खटखटा चुके हैं.

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कोर्ट से हर बार उनकी जमानत की अर्जी खारिज हो जाती है. कोरोना वायरस को देखते हुए उम्मीद थी कि उन्हें जेल से निकलने का एक अवसर मिल सकता है, लेकिन वह अवसर भी अब उन्हें नहीं मिल पायेगा. इसके पहले, लालू प्रसाद को बेहतर इलाज के लिए नयी दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स) भेजे जाने की चर्चा थी.

हालांकि, लालू प्रसाद यादव ने रांची स्थित राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) के डॉक्टरों पर पूरा भरोसा जताया और कहा कि यहां के डॉक्टर जैसा चाहें, उनका इलाज करें. इसके बाद रिम्स के मेडिकल बोर्ड ने तय किया कि लालू प्रसाद के लिए विशेषज्ञ यूरोलॉजिस्ट की सलाह ली जायेगी और जरूरत पड़ी, तो उन्हें एम्स भी भेजा जायेगा. लेकिन, अब रांची में ही एम्स की गाइडलाइन के अनुसार उनका इलाज चल रहा है.

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