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Exclusive : निक्की प्रधान और सलीमा टेटे से खास बातचीत, कहा- टीम ने खींची लंबी लकीर, अब निगाहें 2024 पर

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निक्की प्रधान और सलीमा टेटे टोक्यो ओलंपिक के बाद प्रभात खबर से खास बातचीत की है, उन्होंने कई मुद्दों पर बात चीत की. साथ ही उन्होंने अपने अनुभव भी शेयर किये, पेश है बातचीत के प्रमुख अंश

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Nikki pradhan And Salima Tete Interview रांची : तोक्यो ओलिंपिक में इतिहास रचकर स्वदेश लौटीं झारखंड की महिला हॉकी खिलाड़ी निक्की प्रधान और सलीमा का बुधवार को रांची पहुंचने पर भव्य स्वागत किया गया. अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच खूंटी की निक्की प्रधान और सिमडेगा की सलीमा टेटे शाम को कोकर स्थित प्रभात खबर कार्यालय पहुंची, जहां दोनों का स्वागत किया गया और उन्हें सम्मानित भी किया गया.

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इस अवसर पर दोनों ने तोक्यो ओलिंपिक के दौरान भारतीय महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन के साथअपने अनुभव साझा किये. उन्होंने बताया कि सेमीफाइनल में हमारी टीम हारी जरूर और हमें कांस्य पदक नहीं जीत पाने का मलाल रहेगा, लेकिन तोक्यो में हम बड़ी लकीर खींच कर लौटे हैं.

वहां जाने से पहले हमने सोच लिया था कि इतिहास रचकर लौटेंगे. जो लक्ष्य लेकर हम तोक्यो गये थे, उससे कहीं ज्यादा हासिल कर लौटे हैं. अब हमारा लक्ष्य 2024 ओलिंपिक हैं, जहां से हम जरूर पदक लेकर आयेंगे और देशवासियों को जश्न मनाने का मौका देंगे. दोनों ने कहा कि सेमीफाइनल में हमारी टीम जी-जान से खेली, लेकिन वह दिन हमारा नहीं था. हालांकि हारकर भी हमलोगों ने देशवासियों का दिल जीता है. स्वदेश और अपने राज्य लौटने पर जिस तरह का प्यार और सम्मान मिला है, वह शानदार अनुभव है. इससे आगे और अच्छा करने की प्रेरणा भी मिल रही है.

सरकार को सलाह : दोनों ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र के लगभग हर घर में हॉकी के खिलाड़ी हैं, लेकिन उन्हें सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं. हॉकी को बढ़ावा देने के लिए सरकार को यहां और डे-बोर्डिंग सेंटर की स्थापना करनी चाहिए. एस्ट्रोटर्फ की सुविधाएं बढ़ाने की जरूरत है. इससे यहां के खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय लेवल के खेल का अनुभव मिल सकेगा.

निक्की व सलीमा से प्रभात खबर ने की िवशेष बातचीत
Qकोरोना में तोक्यो ओलिंपिक की तैयारी कैसे की

इस पर सलीमा ने कहा कि कोरोना काल में भी उनका खेल जारी रहा. खुद को फिट रखने के लिए कमरे में ही वर्कआउट किया. हमारी तैयारी में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (साइ) ने काफी मदद की. बेंगलुरु में अच्छी सुविधाएं थीं, जहां हम लोगों ने ओलिंपिक की तैयारी की.

Qकिस टीम के साथ खेलना ज्यादा चुनौतीपूर्ण रहा

नीदरलैंड के खिलाफ खेलना चुनौतीपूर्ण रहा. हालांकि इस मैच के पहले दो क्वार्टर में हमने शानदार खेल दिखाया. उसके बाद विश्वास हो गया कि हम दूसरी टीमों को चुनौती पेश कर सकते हैं. तीन मैच हारने के बाद टीम का हौसला टूट गया था, लेकिन सपोर्टिंग स्टाफ ने हौसला बढ़ाया. इसके बाद हमलोगों ने कमबैक किया. आयरलैंड को हरा हम क्वार्टर फाइनल में पहुंचे. वहां हमने दक्षिण अफ्रीका को हराया और सेमीफाइनल में पहुंचे.

Qअपने राज्य की धरती पर आकर कैसा लगा

जब हम झारखंड की धरती पर लौटे, तो एयरपोर्ट पर काफी लोग हमसे मिलने आये. शानदार स्वागत से गर्व महसूस हो रहा है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तोक्यो जाने से पहले फोन पर हमसे बात की थी और हौसला बढ़ाया था.

कैसा रहा अनुभव

निक्की ने कहा कि ओलिंपिक में हम पहली बार सेमीफाइनल में पहुंचे और कांस्य पदक के लिए खेला. इस हार से हमें आगे और बेहतर करने की प्रेरणा मिलेगी. हम समीक्षा करेंगे कि कहां चूक हुई. उसी के अनुसार हम तैयारी करेंगे. बेंगलुरु में जब कैंप लगेगा, तब उस कमी पर हम काम करेंगे.

प्रतिभा से जीता विश्वास

दोनों ने बताया कि घरवालों ने हमें सपोर्ट किया, पर शुरुआत में घरवाले कहते थे कि खेल से कुछ नहीं मिलेगा, खेत में काम करो. खेत में काम करने के साथ हमलोगों ने खेल जारी रखा. समय निकालकर खेलना शुरू किया. स्टेट खेले, फिर नेशनल खेलने का मौका मिला. बाद में घरवालों का सपोर्ट मिला.

Posted By : Sameer Oraon

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